पुणे-मेडिकल अडवांसमेंट का नमूना पेश करते हुए देश में पहली बार यूट्रस (गर्भाशय) ट्रांसप्लांट के बाद एक महिला ने गर्भ के 31 हफ्ते पार कर लिए हैं। तीन हफ्ते बाद एक नन्हा मेहमान भी उनके घर आ जाएगा। इसी के साथ वह यूट्रस ट्रांसप्लांट से बच्चे को जन्म देने वाली पहली महिला होंगी। गौरतलब है कि महिला में उनकी मां का यूट्रस ट्रांसप्लांट किया गया है।पुणे के गैलेक्सी केयर हॉस्पिटल में वडोदरा की महिला का ट्रांसप्लांट सर्जन शैलेश पंटाबेकर ने किया था। उन्होंने बताया कि महिला ने 28 हफ्तों का अहम वक्त पार कर लिया है। अब से तीन हफ्तों में सी-सेक्शन के जरिये डिलिवरी कराई जाएगी। नॉर्मल प्रेग्नेंसी में 40 हफ्तों के बाद डिलिवरी होती है लेकिन यूट्रस ट्रांसप्लांट में 34 हफ्तों के बाद सी-सेक्शन करना होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यूट्रस को बिना नसों के ट्रांसप्लांट किया जाता है और मरीज को लेबर पेन का एहसास नहीं होता। हॉस्पिटल में स्त्री रोग विशेषज्ञ मिलिंद तेलांग ने बताया कि भ्रूण का वजन 1.2 किलोग्राम है। अभी अगर डिलिवरी कराई जाती है तो भी बच्चे को बचाया जा सकेगा। बच्चा अभी स्वस्थ है और उसका नॉर्मल विकास हो रहा है। उन्होंने बताया कि मां और बच्चे का ध्यान तब तक रखा जाएगा जब तक डिलिवरी नहीं हो जाती। हॉस्पिटल डिलिवरी कराने के लिए समर्थ है।वडोदरा की महिला ने अपनी मां का यूट्रस लिया है। स्त्री रोग विशेषज्ञ और आईवीएफ एक्सपर्ट पंकज कुलकर्णी ने बताया कि यह समझना जरूरी है कि यह यूट्रस 20 साल के बाद डिलिवरी कर रहा है। ऐसे में डिलिवरी तक क्लिनिकल और सोनॉग्रफी मॉनिटरिंग ध्यान से करना जरूरी है।
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