पिंपरी- कहते हैं जब दर्द हद से ज्यादा बढ जाए और नासूर बनकर आम जनता की लहू में दौडने लगे. जनता की आवाज सुनने वाला कोई नहीं. शासन-प्रशासन गांधी के तीन बंदर की भूमिका में हो तो ऐसे में गांधी के शास्त्र को अपनाना ही बेहतर होता है.
पेट्रोल, डीजेल, रसोई गैस के दाम आसमान छुने लगा, बेरोजगारों की संख्या बढने लगी. सत्ताधारी अपने वादों से मुकरने लगी तो राष्ट्रवादी काग्रेंस ने सरकार का धिक्कार व निषेध करते हुए आज मौन आदोंलन करने पर मजबुर हो गई. पिंपरी चिंचवड समेत पूरे महाराष्ट्र में मौन आंदोलन पर राष्ट्रवादी वाले बैठे है. पिंपरी में शहर अध्यक्ष संजोग वाघेरे अपनी पूरी टीम के साथ खरालवाडी के पार्टी कार्यालय के सामने मौन आंदोलन पर बैठे है. गांधीजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद आंदोलन की शुरुआत हुई. विरोधी पक्षनेते दत्ता साने, महिला अध्यक्षा वैशाली काळभोर, युवक अध्यक्ष विशाल वाकडकर, पूर्व महापौर योगेश बहल, नगरसेवक भाऊसाहेब भोईर, नाना काटे, मयुर कलाटे, नगरसेविका संगीता ताम्हाणे, सुलक्षणा शिलवंत, पूर्व नगरसेवक अतुल शितोळे, महंमद पानसरे, निलेश पांढरकर, पंडीत गवळी, राजेंद्र साळुंखे, प्रवक्ते फजल शेख, युवती अध्यक्षा वर्षा जगताप, विश्रांती पाडाळे आदि पदाधिकारी आंदोलन कर रहे है. राफेल विमान बनविण्याची एचएल कंपनीची क्षमता नाही. हिंसा – सनातन संस्थेवर बंदी कधी आणणार? आणि अशांती – कर्जमाफी घोषित केल्यानंतर शेतक-यांच्या आत्महत्या थांबल्या का ? या आत्महत्यांबद्दल कोणावर 302 कलम लावायचा? ऐसा स्लोगन आंदोलन स्थल पर लिखे गए है.
Tags पिंपरी में राष्ट्रवादी वालों का मौन आंदोलन
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