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शास्तिकर माफ या सरकारी छलावा?

पिंपरी-बहुचर्चित,बहुप्रलंबित,बहप्रतिक्षित शास्तिकर माफी का शासन अध्यादेश 3 मार्च को आया। भाजपा ने पूरे शहर में वाहवाही लूटने के लिए कटआउट पोस्टर बैनर लगाए। लेकिन जब अध्यादेश की प्रतियां पढ़ी गई और समझी गई तो शास्तिकर माफी की सरकारी जादूगरी का पर्दाफाश हुआ। जनता के साथ धोखाधडी,छलावा,फरेब भाजपाईयों ने किया ऐसा साफ दिखाई दे रहा है। 3मार्च तक के सभी अवैध बांधकामों पर लगे शास्तिकर माफ तो हुआ लेकिन भविष्य में निर्माण होने वाले अवैध बांधकामों पर शास्तिकर की तलवार लटकी रहेगी। साथ ही साथ संपत्ति धारक जब तक मूल टैक्स की पूर्ण रकम अदा नहीं करेगा तब तक शास्तिकर माफी का फायदा नही ले पाएगा। पालिका को अपनी तिजोरी 31 मार्च तक भरनी है और अपना वार्षिक टारगेट पूरा करना है। शास्किर माफी का फायदा लगभग 1 लाख धारकों को होगा,शर्त इतना है कि पूरा मूल टैक्स की अदायगी करें। कुल मिलाकर शास्तिकर का भूत पीछा नहीं छोडेगा। यह आदेश जनता की आंखों में धूल झोंकने का एक रूप मात्र है।

पिंपरी चिंचवड में अवैध निर्माण पर 2008 से पेनल्टी टैक्स लगाया जा रहा है। आयकर की दोहरी पेनल्टी है और टैक्स वसूली की पेनल्टी समेत करीब 600 करोड़ का टैक्स बकाया है। पेनल्टी टैक्स के कारण बेसिक टैक्स कोई नहीं देता। नगर पालिका के आयकर संग्रह पर बड़ा असर पड़ा है। 2017 में पालिका चुनाव के दौरान भाजपा ने शास्तिकर माफ करने का वादा किया था। लेकिन, उस समय बीजेपी ने आदेश जारी किया था कि पांच सौ वर्ग फुट का शास्तिकर, एक हजार वर्ग फुट का 50 फीसदी जुर्माना और डेढ़ हजार वर्ग फुट का दोगुना शास्तिकर माफ किया जाए। इस पर पिंपरी चिंचवड़ के नागरिकों ने विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर शास्तिकर माफ करने की मांग की।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चिंचवड़ विधानसभा उपचुनाव प्रचार सभा में घोषणा की थी कि शास्तिकर के ’जीती। उसके बाद दूसरे दिन राज्य सरकार ने ’जीआर’ जारी किया। राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अनुमति से नागपुर में आयोजित शीतकालीन सत्र में माफी की घोषणा की थी। जिससे शहर के करीब एक लाख अवैध निर्माण धारकोेंं को राहत मिली है।

महाराष्ट्र सरकार की उप सचिव प्रियंका कुलकर्णी-छपवाले ने आज (शुक्रवार) सजा का आदेश जारी किया है। इसके अनुसार कुछ शर्तें तय की गई हैं। अवैध निर्माण संपत्ति के मालिकों को पहले मूल कर का पूरा भुगतान करना होगा, तभी शास्तिकर माफ किया जाएगा। शास्तिकर की छूट शासनादेश जारी होने की तिथि तक अवैध निर्माणों पर लागू रहेगी। महाराष्ट्र नगरपालिका अधिनियम, 1949 की धारा 267 (ए) के अनुसार, अवैध निर्माण के लिए शास्तिकर माफ किया गया है, यानी निर्माण को नियमित नहीं माना जाएगा। आदेश में कहा गया है कि चूंकि शास्तिकर माफ कर दिया गया है, इसलिए पालिका राज्य सरकार से किसी तरह की वित्तीय सहायता या मुआवजे की मांग नहीं कर सकता है।

पिंपरी चिंचवडकर ने जहां सरकारी आदेश को ध्यान से पढ़ा, वहीं इसमें बेसिक रिकवरी पर ज्यादा जोर दिया गया है। यदि आय धारक मूल कर का भुगतान करते हैं, तो उनका शास्तिकर माफ कर दिया जाएगा। इस तिथि के बाद अवैध निर्माण पर पेनल्टी लगेगी। क्योंकि, पालिका पर बेसिक इनकम टैक्स के 240 करोड़ रुपये और पेनाल्टी के रूप में 660 करोड़ रुपये बकाया है। यह आदेश इसलिए है क्योंकि सिर्फ 240 करोड़ रुपए ही वसूल नहीं हो पाए हैं। साथ ही अवैध निर्माणों पर भी यह फैसला शासनादेश आने की तिथि तक ही लागू रहेगा। सजा का मूल नियम बना रहेगा और अवैध निर्माणों को नियमित नहीं किया जाएगा। इसलिए यह शास्तिकर अगले साल फिर से लागू होगा।

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