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शिंदे गुट राजनीतिक दल नहीं,इनकी कार्यकारिणी असंवैधानिक-सिब्बल

नई दिल्ली- शिवसेना के पार्टी चिन्ह ’धनुष्यबाण’ पर किसका अधिकार है, इस पर आज दिल्ली में केंद्रीय चुनाव आयोग के समक्ष सुनवाई चल रही है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल उद्धव ठाकरे समूह का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इसमें उन्होंने शिवसेना के संविधान का मुद्दा उठाया और दावा किया कि प्रतिनिधि सभा ठाकरे की है।

 

शिवसेना के संविधान के अनुसार,प्रतिनिधि सभा ठाकरे समूह की है न कि शिंदे समूह की प्रतिनिधि सभा। जो लोग पार्टी छोड़ चुके हैं वे प्रतिनिधि सभा का हिस्सा नहीं हो सकते हैं। कपिल सिब्बल ने खेली है बड़ी पारी।

 

शिंदे गुट राजनीतिक दल नहीं- सिब्बल

शिंदे गुट के विधायक पार्टी प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए बिना गुवहाटी क्यों गए? उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से अपने विचार व्यक्त करने चाहिए थे। क्या शिंदे समूह ने राजनीतिक दल के तौर पर दस्तावेज जमा किए हैं? ऐसा सवाल पूछते हुए सिब्बल ने यह भी कहा है कि शिंदे ग्रुप कोई राजनीतिक दल नहीं है।

 

कपिल सिब्बल के तर्क के मुख्य बिंदु

 

शिंदे गुट की याचिका में कपिल सिब्बल की मुद्दों को मिटाने की कोशिश,बगावत हुई तो आयोग में आने में एक महीना क्यों लगा?

राष्ट्रीय कार्यकारिणी हमारे पास है,शिंदे समूह की राष्ट्रीय कार्यकारिणी अवैध है।

ठाकरे समूह की कार्यकारी समिति को बर्खास्त नहीं किया जा सकता है। ठाकरे की कार्यपालिका एक संविधान की तरह है।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अवधि बढ़ाएँ या चुनाव कराएँ।

एकनाथ शिंदे के हलफनामे की जाँच करें। हमें प्रतिनिधि बैठकें करने की अनुमति दें। हमारे पास दोनों जगहों पर ज्यादा ताकत है, हॉल में भी हमारे पास जगह है।

पार्टी प्रमुख के पद का विस्तार दें, ठाकरे समूह की चुनाव आयोग से मांग, हमारे पास संविधान के अनुसार प्रतिनिधि सभा है, शिंदे समूह के पास प्रतिनिधि सभा नहीं है,जो असंवैधानिक है।

 

शिंदे गुट के दस्तावेजों में खामियां, 61 में से 28 जिलाध्यक्षों के पास शपथ पत्र नहीं।

लोकतंत्र के हिसाब से कहा जाना चाहिए था कि आप गुवाहाटी क्यों गए? वह पार्टी की बैठक में शामिल हुए बिना गुवाहाटी चले गए, एकनाथ शिंदे पहले शिवसेना में थे और काम कर रहे थे।

एक राजनीतिक दल के रूप में, क्या शिंदे समूह ने कोई दस्तावेज़ प्रस्तुत किया है? शिंदे समूह कोई राजनीतिक दल नहीं है।

शिवसेना की सभी प्रक्रियाएं चुनाव आयोग के निर्देशानुसार होती हैं, ठाकरे समूह ही असली शिवसेना है,भंग नहीं की जा सकती ठाकरे गुट की राष्ट्रीय कार्यकारिणी,आयोग के समक्ष सिब्बल ने सौंपा शिवसेना का संविधान। यह बहस संसदीय व्यवस्था का मजाक है

 

दोनों समूहों ने आयोग के समक्ष हलफनामा प्रस्तुत किया

शिवसेना के ठाकरे गुट ने अब तक कुल 22 लाख 24 हजार 950 पदाधिकारियों के 160 राष्ट्रीय कार्यकारिणी प्रतिनिधियों, 2,82,975 संगठनात्मक प्रतिनिधियों, 19,21,815 प्राथमिक सदस्यों के हलफनामे चुनाव आयोग को सौंपे हैं। जबकि शिंदे गुट ने आयोग को 12 सांसद, 40 विधायक, 711 सांगठनिक प्रतिनिधि, 2046 स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि और 4,48,318 प्राथमिक सदस्यों समेत 4,51,127 पदाधिकारियों के शपथ पत्र सौंपे हैं।

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