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जिजामाता हॉस्टिपल के डॉक्टर,नर्स अकार्यक्षम,गर्भवती महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड महानगरपालिका ने पिंपरी के जिजामाता हॉस्पिटल की नई इमारत बनाने में 35 करोड रुपये खर्च किया। शहर के लोगों को लगा कि अब वायसीएम जाने की जरुरत नहीं पडेगी,सारी सुविधाएं यहां मिलेगी। लेकिन दुर्भाग्यवश जिजामाता हॉस्पिटल में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं। डॉक्टर,नर्स,स्टाफ मरीजों के साथ अभद्र व्यवहार करते है,अपमानित करते है,घंटों बिना इलाज के बैठाकर रखते है,अगर पेशंट थोडा सीरियस हुआ तो वायसीएम ट्रांसफर कर देते है। जिजामाता हॉस्पिटल की इंचार्ज डॉ.सुनिता सालवे का एक हास्यपद बयान आया है कि वायसीएम के डॉक्टर,नर्स स्टाफ पेशंट को गंभीरता से नहीं लेते,हम गंभीरता से लेते है। यह तो वही बात हुआ कि आसमान में थूंकना और अपने मुंह में गिरना।

 

गर्भवती महिला को डराया,झूठी रिपोर्ट बतायी

जिजामाता हॉस्पिटल के प्रसुतिगृह विभाग में कुछ महिलाओं के साथ अभद्रता की गई,उनको झूठी और डराने वाली रिपोर्ट बताकर गुमराह किया गया। यह घटना 13 सिंतबर 2022 की है। एक सरिता यादव नामक 8 महिने की गर्भवती को अचानक पेन(दर्द) होने लगा। उसके परिजन जिजामाता हॉस्पिटल में दोपहर 12 बजे ले गए। 3 घंटे बैठाकर रखा,कोई दवा,इंजेक्शन नहीं दिए। आखिर में एक सोनोग्राफी निकाली गई। इंचार्ज डॉ.सुनिता सालवे ने कही कि थैली का मुंह खुल चुका है,बच्चा थैली फाडकर बाहर आ जाएगा, वायसीएम में लेकर जाओ। घरवालों ने वायसीएम के नाम पर पत्र मांगा। पत्र देने और एंबुलेंस बुलाने के लिए एक घंटा लगा। तब तक महिला का दर्द से बुरा हाल हो गया।

 

बिना इलाज 3 घंटे गर्भवती महिला तडपती रही,टपोरी भाषा और अभद्र व्यवहार

वायसीएम में गर्भवती महिला को लाया गया। वहां के डॉक्टर ने मात्र 13 रुपये का एक इंजेक्शन लगाया और महिला का दर्द कम होने लगा। वायसीएम ने सोनोग्राफी निकाली,जिसमें सबकुछ नार्मल रिपोर्ट आया। जिजामाता हॉस्पिटल की सोनोग्राफी जब वायसीएम के डॉक्टर ने देखी तो उसमें भी नॉर्मल रिपोर्ट दिखी। वायसीएम के डॉक्टरों ने कहा कि थैली का मुंह बंद है,आपको गलत रिपोर्ट बताया गई। थोडी देर में ही गर्भवती महिला सरिता यादव का दर्द गायब हो गया और वह अपने घर लौट गई। 13 सिंतबर के दिन ऐसे दो और गर्भवती महिलाओं को जिजामाता हॉस्पिटल के स्टाफ ने गुमराह किया और डराया। एक महिला की प्रसुति हुई। उसके परिजनों को 3 घंटे तक जानकारी नहीं दी गई कि आखिर क्या हुआ। पूछने पर टपोरी भाषा में स्टाफ अपमानित भरे और धमकी भरे जवाब दिए। ऐसा लगता ही नहीं कि हॉस्पिटल में हैं,ऐसा लगता है कि किसी टपोरियों,गुंडे,मवालियों के झुंड में आ गए। सुना था कि डॉक्टर भगवान का दूसरा रुप होता है,लेकिन जिजामाता में कुछ और ही रुप दिखाई देता है। जिजामाता हॉस्पिटल के बनने से लगा कि वायसीएम का लोड कम होगा,लेकिन इच्छाशक्ति और साकारात्मक सोच वाले स्टाफ के बिना यह संभव नहीं।

 

जिजामाता हॉस्पिटल की इंचॉर्ज डॉ.सुनिता का गैर जिम्मेदाराना जवाब

यह मामला जब एक पत्रकार के संज्ञान में आया तो वह जिजामाता इंचॉर्ज डॉ. सुनिता सालवे से संपर्क किया। सवाल किया कि आप किस आधार पर कहा कि थैली का मुंह खुल गया है,थैली फाडकर बच्चा बाहर आ जाएगा,वायसीएम में ले जाओ। हमारे सोनोग्राफी रिपोर्ट में दिखा रहा है? डॉ.सुनिता का जवाब बडा गैरजिम्मेदाराना और हास्यपद वाला आया। 1) डॉ.सुनिता ने कहा कि संबंधित गर्भवती महिला की जांच मैंने नहीं की 2) मेरे टेबल में जो स्टाफ ने रिपोर्ट सौंपी उस आधार पर वायसीएम भेजी 3) वायसीएम के डॉक्टर,नर्स स्टाफ किसी मरीज को गंभीरता से नहीं लेते,केयर नहीं करते और हम रिस्क नहीं लेते।

 

जिजामाता हॉस्पिटल के इंचार्ज डॉ.सुनिता सालवे से सवाल:

 

1) संबंधित गर्भवती महिला को दोपहर 12 से 3 बजे तक बिना कोई इलाज के क्यों बैठाकर रखा गया?

2) वायसीएम के डॉक्टर मात्र 13 रुपये के इंजेक्शन लगाकर पेन(दर्द) कम किया,फिर इस इंजेक्शन को आप लोग क्यों नहीं लगाए?

3) जिजामाता की सोनोग्राफी में रिपोर्ट जब नॉर्मल आयी तो आप किस आधार पर गर्भवती महिला और उसके परिजन को डराया कि थैली का मुंह खुल चुका है,बच्चा थैली फाडकर बाहर आ जाएगा,वायसीएम ले जाओ?

4) वायसीएम के डॉक्टर,नर्स ने आपकी सोनोग्राफी रिपोर्ट को नॉर्मल बताया,फिर गुमराह क्यों किया गया?

5) जिजामाता हॉस्पिटल में कोई मरीज हल्का सीरियस हुआ तो सीधे वायसीएम रिफर करते हो,फिर किस आधार पर कहा कि वायसीएम के डॉक्टर,स्टाफ मरीजों को गंभीरता से नहीं लेते,केअर नहीं करते।

6) जब वायसीएम के डॉक्टर,स्टाफ आपकी नजर में केयरलेस हैं तो आप अपने हॉस्पिटल के मरीजों को वहां रिफर क्यों करती हो?

7) मरीज के परिजन फोन करते हैं तो मुझे बार बार फोन मत करो, मरीज के बारे में मेडिकल जानकारी किससे लें?

8) आपने कहा कि गर्भवती महिला की जांच मैंने नहीं की,फिर अपने स्टाफ के गलत और झूठी रिपोर्ट के आधार पर आपका निर्णय लेना कितना योग्य रहा? झूठी रिपोर्ट देने वाले स्टाफ पर आप क्या कार्रवाई करेंगी?

 

डॉ.सुनिता और उनका स्टाफ अकार्यक्षम,आयुक्त के बेहतर स्वास्थ्य संकल्पना की धज्जियां

ऐसा लगता है कि जिजामाता हॉस्पिटल डॉ.सुनिता साल से संभाला नहीं जा रहा है। वो स्वयं में अकार्यक्षम है,बाकी उनका स्टाफ तो अकार्यक्षम है ही। ऐसे अकार्यक्षम स्टाफ के भरोसे हॉस्टिपल चला रहा है। जिन टैक्सदाता के पैसों से वेतन पाते हैं उनके प्रति वफादार,प्रमाणिक नहीं तो ऐसे लोगों को आयुक्त शेखर सिंह तत्काल जवाबदारी से मुक्त करना चाहिए। क्योंकि आयुक्त शेखर सिंह बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा की संकल्पना को लेकर इस शहर में आए है। ऐसे अकार्यक्षम स्टाफ आयुक्त की संकल्पना और प्रयासों को मटियामेट कर रहे हैं। गर्भवती महिला हो या अन्य मरीज किसी के जान के साथ खिलवाड नहीं होना चाहिए।

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