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कृष्णकांड:कुकरमुत्ते हुए गुलजार,आरोपों की बौछार

पिंपरी- महाभारत का युद्ध समाप्त होने पर टूटे फूटे धनुष्य बाण,तीर तलवार,भाला लेकर कुछ लोग मैदान में डटे थे और यह दिखाने का प्रयास कर रहे थे कि यह महाभारत का युद्ध उन्होंने ही जीता। ठीक इसी तर्ज पर पिंपरी चिंचवड शहर में कृष्ण लीला समाप्त हो चुकी है,मगर कुछ पात्र कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं। आए दिन नए नए बयानों की बौछार कर रहे है। कुछ मौखिक तो कुछ पत्रकार परिषद के माध्यम से टूटे फूटे शब्दों के बाण चला रहे है।

 

बिन आधार वाले आरोप,ठोस प्रमाण नहीं

ये वो लोग है जब शहर के प्रथम पुलिस कमिश्नर पद्नाभन के तबादले के बाद ऐसे ही बिन आधार के आरोपों की बौछार कर रहे थे। इनको केवल सुर्खियों में बने रहने की आदत है। कोई पत्रकार परिषद आयोजित करने की जिम्मेदारी संभाल रहा है,कोई लगने वाला खर्च संभालता है तो कोई मीडिया को मैनेज करने की जवाबदारी निभाता है। मकसद केवल तात्कालीन पुलिस कमिश्नर कृष्ण प्रकाश की बदनामी करना। आज तक आरोप लगाने वाले किसी व्यक्ति ने ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया। कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक रुप से खुलकर नहीं बोला कि मेरे से… इस काम के लिए… कृष्ण प्रकाश के नाम पर… इतने रुपये रिश्वत के रुप में लिया गया।

 

कैसे होते हैं कुकुरमुत्ते?

कृष्ण प्रकाश का तबादला होते ही ऐसे आरोप लगाने वाले कुकुरमुत्ते उग आए है। जिनके पास कोई प्रमाण नहीं,केवल आरोपों की बौछार कर रहे है। कुकुरमुत्ते उसे कहा जाता है जो बारिश के मौसम में खेत,खलिहान,जंगल में सफेद रंग की छतरीदार उगे दिखाई देते है,मौसम जाने के बाद कुकुरमुत्ते गायब हो जाते है।

 

कृष्ण प्रकाश ने क्या किया,जो लोग दुश्मन बन बैठे?

कृष्ण प्रकाश ने बेलगाम वालों की नकेल कसा,अवैध धंधों,भाईगिरी,गिरोजबाजों को जेल में डाला। गलत लोगों को दबाया,गरीबों को न्याया दिलाया। शहर में जीरो टॉलरेंस की दिशा में काम किया। सफेदपोश,खादीधारियों के दबाव में काम नहीं किया। उनका कहना था कि उनके उपर किसी नेता का दबाव का असर नहीं होता,कानून बदलो या मुझे बदलो,कानून के दायरे में रहकर गलत गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी। कई गिरोहबाजों,अपराधियों के विरुद्ध मकोका,गुंडा एक्ट,तडीपार के तहत कार्रवाई की। कुछ लोगों के पेट में दर्द इस बात की है कि उनकी आपसी राजनैतिक दुश्मनी,विवाद को कृष्ण प्रकाश उनके मनमर्जी के हिसास से नहीं सुना। कोई सरेआम बैंक को लूटे,किसी का अपहरण करके प्राणघातक हमला करे,सरेआम पिस्तौल लहराकर दशहत निर्माण करें,खाकी वर्दी में रहकर गंदा काम करें,और पुलिस गांधी के तीन बंदर की तरह मूक दर्शक बनकर रहे,कृष्ण राज में ये हो नहीं सकता। कृष्ण प्रकाश ने अपना सुदर्शन चक्र इन पर चलाया तो तिलमिला गए। दुश्मन बन बैठे,आरोपों का टोकरा लेकर गली गली घूम रहे है।

 

कुकुरमुत्तों के बिन आधार वाले बयान पर जनता हंस रही

कृष्ण प्रकाश का तबादला होते ही कुछ लोग कुकुरमुत्ते की तरह उग आए है। आरोपों की बौछार कर रहे है,शहर की जनता इनकी मूर्खता पर हंस रही है। क्योंकि बिन आधार आरोप लगा रहे है,एक भी बंदा सामने नहीं आया जो यह कहे कि मेरे से इस काम के लिए इतना पैसा लिया गया। कुकुरमुत्ते किस बात की मांग कर रहे है वह भी हास्यपद है। कृष्ण प्रकाश के लिए सहायक पुलिस निरिक्षक अशोक डोंगरे और कुछ अन्य पुलिस वाले करोडों रुपये की उगाही की,ऐसा एक पत्र डोंगरे के फर्जी हस्ताक्षर से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। अशोक डोंगरे के संज्ञान में पत्र आया तो वे नए पुलिस कमिश्नर अंकुश शिंदे को एक विधिवत पत्र लिखा और मांग की है कि कृष्ण प्रकाश और उनकी बदनामी की जा रही है। यह पत्र फर्जी है,हस्ताक्षर फर्जी है,ठीक उसी तरह जब प्रथम कमिश्नर पद्नाभन के तवादले के बाद लिखा गया था। दोनों पत्रों की स्टाइल,लिखावट एक जैसी है। जिसकी आज तक की जांच में शुन्य बटा सन्नाटा निकला। डोंगरे ने पत्र और आरोपों की जांच की मांग की है। साथ ही मास्टरमाइंड दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।

 

कुकुरमुत्तों का मदारी वाला खेल अब बंद होना चाहिए

कुछ लोग मीडिया के माध्यम से मांग को दोहराया कि आरोपों की जांच हो। फिर नया क्या हुआ। डोंगरे ने जो जांच की मांग की वही कुकुरमुत्ते भी कर रहे है। नया तब होता जब ठोस प्रमाण के साथ प्रेस से हुबहु होते। इन दिनों कृष्णलीला के नकली पात्र मौखिक,लिखित रुप से ….कौआ उड़,तोता उड़.गधा उड़,चिडिया उड़ का मदारी वाला खेल दिखा रहे है। हम एक बार फिर दोहराते हैं कि हम किसी का वकालतनामा नहीं लिया,अगर कोई दोषी हो तो कानून सजा मिले,लेकिन बिन आधार के बदनामी किसी पुलिस आला अफसर का करना कहां का न्यायसंगत है ?

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