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अल्पसंख्याक दर्जा प्राप्त शिक्षा संस्थानों पर जांच की आंच

भाजपा विधायक लक्ष्मण जगताप की मांग पर जांच शुरु
शिक्षण अधिकारी ज्योत्सना शिंदे ने दी कार्रवाई के आदेश

पिंपरी- पुणे जिले के पिंपरी चिंचवड शहर और मावल तहसील के अंतर्गत फर्जी तरीके से अल्पसंख्याक दर्जा प्राप्त स्कुल,कालेज,शिक्षा संस्थानों पर जांच की गाज गिरी है। महाराष्ट्र शासन,पुणे जिला प्रशासन और पिंपरी चिंचवड शिक्षा विभाग ऐसे तमाम शिक्षा संस्थानों की जांच करने के आदेश जारी किए है जो अल्पसंख्याक दर्जा प्राप्त करने के लिए फर्जी कागजात,गलत जानकारी देकर मान्यता प्राप्त की है। सरकारी गाइडलाइन का पालन नहीं करते और आर्थिक लाभ उठा रहे है। कुछ शिक्षा संस्थान कार्रवाई के डर से अल्पसंख्याक का दर्जा सरेंडर कर दिए है कुछ कार्रवाई से बचने के लिए इधर उधर हाथ पैर मार रहे है। लेकिन कार्रवाई की जांच की आंच से बचना मुश्किल है। राज्य सरकार इस मामले में सख्त दिखाई दे रही है।
पिंपरी चिंचवड शहर,मावल तहसील परिसर में कुल 69 नामचिन शिक्षा संस्थानों ने कोकणी,हिन्दी,सिंधी,पंजाबी,कन्नड,माल्यालम भाषिक और धार्मिक आधार पर बौद्ध,क्रिश्चन,जैन,मुस्लिम का अल्पसंख्याक का दर्जा प्राप्त किए है। मान्यता प्राप्त करते समय कई अनियमिताएं की है। अल्पसंख्याक दर्जा के लिए संबंधित भाषा भाषिक वर्ग से 50 प्रतिशत विश्वस्तों का होना अनिवार्य होता है। लेकिन शासन प्रशासन ने जांच में पाया कि उस भाषा भाषिक के विश्स्त सदस्यों की संख्या 50% से कम है और संस्था में अन्य भाषिक विश्वस्तों की संख्या ज्यादा है।अल्पसंख्याक दर्जा प्राप्त करने के लिए कानूनी हलफनामा(एफीडेविट) भी जमा कराए है। ऐसे संस्थाओं की न केवल अल्पसंख्याक का दर्जा समाप्त किया जाएगा बल्कि उन पर कानूनी कार्रवाई भी की जाने वाली है।साथ ही अबतक उठाए आर्थिक लाभ का हिसाब भी देना पडेगा।

विधायक लक्ष्मण जगताप ने आरटीआई के तहत एक पत्र शासन को भेजकर खुलासा मांगा है कि ऐसे कितने स्कुल,कालेज अथवा शिक्षा संस्थान है जो दर्जा प्राप्त करने में अनियमिताएं की और आर्थिक लाभ लिया? नियमानुसार 52% उस समाज के छात्रों को प्रवेश देना बंधनकारक है,दुर्बल घटक के लिए 25% आरक्षित सीटों को भरने का पालन हुआ अथवा नहीं? समय समय पर पालकों ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की उस बारे में शासन ने अबतक क्या ठोस कदम उठाए? इसका खुलासा महाराष्ट्र सरकार के संबंधित शिक्षा मंत्री से करने की मांग की है। पिछले 8 सालों में अल्पसंख्याक दर्जा प्राप्त शिक्षा संस्थानों के गैरव्यवहार,अनियमिताओं,गाइडलाइन का पालन न करने,फर्जी मार्ग से दर्जा प्राप्त करने वालों के विरुद्ध अब तक क्या कार्रवाई हुई? अगर नहीं तो विलंब का कारण क्या है? इन तमाम सवालों का जवाब शासन से मांगा था। विधायक जगताप के पत्र का संज्ञान लेते हुए शासन-प्रशासन ने शिक्षा संस्थानों की जांच शुरु हो चुकी है। जांच में बडे बडे नामचिन संस्थानों के चेहरे बेनकाब होने वाले है।
पिंपरी चिंचवड मनपा शिक्षा विभाग के शिक्षाणधिकारी ज्योत्सना शिंदे ने एक पत्र जारी करके अल्पसंख्याक दर्जा प्राप्त सभी शिक्षा संस्थानों के रिकॉर्ड को खंगालने का आदेश दिए है। पिछले तीन सालों का ऑडिट रिपोर्ट शिक्षा संस्थानों को सौंपने,अल्पसंख्याक दर्जा प्राप्त प्रमाणपत्र,सारे विश्वस्तों के संबंधित भाषा भाषिक होने के प्रमाण,कितने छात्रों को इसके तहत प्रवेश दिया गया,सूची जमा करने का आदेश दिया। फर्जी तरीके से दर्जा प्राप्त,गाइडलाइन का पालन न करने वालों के विरुद्ध ऑनस्पॉट कार्रवाई करने,मान्यता रद्द करने,कानूनी शिकंजा कसने के निर्देश दिए है।

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