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पुणे में बोले मुख्य न्यायाधीश मिश्रा,हर नागरिक को है सम्मान से मरने का अधिकार

पुणे-सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने इच्छा मृत्यु को लेकर अहम टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस ने शनिवार को कहा कि कानूनी तौर पर कोई भी व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता, लेकिन किसी को भी सम्मान के साथ मरने का अधिकार जरूर है। पुणे में बैलैंसिंग ऑफ कॉन्स्टिट्यूशनल राइट्स के विषय पर आयोजित एक व्याख्यान को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने यह बात कही। जस्टिस दीपक मिश्रा ने लिविंग विल का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कोई इंसान कभी न ठीक होने वाली किसी बीमारी से पीड़ित है और वह इच्छामृत्यु चाहता है तो वह इसके लिए अपनी ’लिविंग विल’ बना सकता है। दीपक मिश्रा ने कहा कि यह हर व्यक्ति का अपना अधिकार है कि वह अंतिम सांस कब ले और इसके लिए उस पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए्।बता दें कि बीते 9 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छा मृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत (लिविंग विल) को गाइडलाइन्स के साथ कानूनी मान्यता दे दी थी। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि मरणासन्न व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि कब वह आखिरी सांस ले।

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