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भीमा-कोरेगांव: पुणे पुलिस का दावा- कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुख्ता सबूत, सही वक्त पर इस्तेमाल

पुणे-पुणे के पुलिस कमिश्नर के वेंकटेशम का कहना है कि पुलिस ने वैज्ञानिक तरीके से सबूतों को इकट्ठा और उनका विश्लेषण करने के बाद भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में कार्रवाई की है। उनका कहना है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में जिन वामपंथी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था, उनके खिलाफ अदालत में सही समय पर इन सबूतों को इस्तेमाल किया जाएगा।
जब उनसे यह पूछा गया कि सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई और 6 सितंबर तक नजरबंद रखने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश क्या पुलिस के लिए झटका है, तो वेंकटेशम ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने हमें वक्त दिया है। कोर्ट को भरोसा दिलाने के लिए हम सबूतों के साथ एक शपथपत्र दाखिल करेंगे। इसमें बताया जाएगा कि यह गिरफ्तारियां क्यों जरूरी थीं। इस मामले में हमने केवल सबूतों पर आधारित पेशेवर कार्रवाई की है।’
पुलिस कमिश्नर का दावा- बहुत सारे सबूत
बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट पांच कार्यकर्ताओं में से एक गौतम नवलखा को जब रिहा करने वाला था, तभी सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया। दिल्ली हाई कोर्ट की यह टिप्पणी कि गिरफ्तारी वॉरंट के लिए सबूत पर्याप्त नहीं थे, वेंकटेशम ने कहा, ‘एक ट्रांजिट रिमांड हासिल करने के लिए जो भी जरूरी थी, उसे उपयुक्त अदालत के सामने रखा गया था। हमारे पास इस मामले में बहुत सारे सबूत हैं।’ ‘फरेंसिक परीक्षण से साजिश बेनकाब’
वेंकटेशम पुलिस के पास मौजूद कई ‘फंसाने वाले’ पत्रों के संदर्भ में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। पुलिस का दावा है कि यह खत पिछले चार महीनों के दौरान मारे गए छापों में जब्त किए गए हैं। पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ता प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के नेताओं के संपर्क में थे और वे सरकार को गिराने की साजिश का हिस्सा थे। पुलिस कमिश्नर का कहना है, ‘हमने उनके बीच कोड भाषा में हुई बातचीत को हमने डीकोड किया है। पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का वैज्ञानिक और फरेंसिक परीक्षण किया गया है।’
‘फंसाने वाले सबूत का खुलासा’

पुलिस कमिश्नर वेंकटेशम का कहना है, ‘कई फंसाने वाले सबूत सामने आए हैं, जिनसे पता चला है कि छात्रों को जंगल में ट्रेनिंग, धन मुहैया कराने और हथियारों पर चर्चा के लिए भेजा जाता था। इसके साथ ही इन हथियारों को खरीदकर सुरक्षाबलों और दूसरे संस्थानों के खिलाफ किस तरह से ज्यादा हिंसक गतिविधियों को अंजाम देना है, इसका भी खुलासा हुआ है।’

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