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शिवसेना कार्यालय पर कब्जा को लेकर महाभारत

पिंपरी-महात्मा फुलेनगर में स्थित शिवसेना कार्यालय पर कब्जा को लेकर इन दिनों शिवसैनिकों के बीच महाभारत छिडा हुआ है. कार्यालय के जन्मदाता पूर्व सभापति सीमा सावळे का कार्यालय पर कब्जा फिलहाल बरकरार है, मगर शिवसेना इस पर अपना दावा ठोंक रही है. कार्यालय किसके पास रहना चाहिए? यह सबसे बडा सवाल है.
आज पूर्व नगरसेवक जितेंद्र ननावरे ने पत्रकार परिषद में सीमा सावळे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब वे बंद कार्यालय के ताला को तोडा तो सीमा सावले और सारंग कामतेकर का धमकी भरा फोन आया. गंदी गालियां दी.परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी. पत्रकारों को फोन पर हुए संवाद के कुछ अंश को ननावरे ने सुनाया. इस पत्रकार परिषद में शिवसेना शहर अध्यक्ष योगेश बाबर, पूर्व नगरसेविका सुलभा उबाळे भी मौजूद थी. यह कार्यालय शिवसेना के हवाले करने की मांग पदाधिकारियों ने की है . इस संबंध में एक पत्र पिंपरी पुलिस, एमआयडीसी पुलिस को दिया गया है.
दूसरी तरफ जब हमारे संवाददाता ने सीमा सावळे से इस संदर्भ में प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने बताया कि जब वे शिवसेना में थी और गजानन बाबर सांसद थे तब वे 2009 में इस कार्यालय को अपने खर्च से निर्माण करवायी थी और तात्कालीन सांसद गजानन बाबर के हाथों उद्घाटन हुआ था. इस कार्यालय में जो बिजली मीटर कनेक्शन लगा है वो उनके नाम पर है. बांधकाम से लेकर हर खर्च वो खुद अपनी जेब से की है .ऐसा सीमा सावळे ने बताया. भाजपा में जाने व वॉर्ड बदलने के बाद कार्यालय काफी दिनों से बंद था. बंद कार्यालय का ताला तोडकर जितेंद्र नानावरे ने फाईल रिकॉर्ड तथा अन्य साहित्य को तहस नहस किया और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा की अवहेलना की. मीडिया को जो फोन संवाद सुनाया गया वो आधा अधूरा है. मुझ पर किन गलत व गंदे शब्दों का प्रयोग ननावरे ने किया वो मीडिया को नहीं सुनाया गया . इस बारे में पिछले महिने पुलिस मेें शिकायत की थी जिसका संज्ञान लेते हुए जोन-3 के डीसीपी गणेश शिंदे ने जितेंद्र ननावरे को अपने कार्यलय में बुलाकर काफी फटकार लगाई थी. ताला तोडकर अंदर घुसने के जुर्म में डकैती का केस लगाने की धमकी भी दी थी. डीसीपी के फटकार के बाद ननावरे ने कार्यालय की चाबी वापस सीमा सावले के हवाले कर दी है.
यह कार्यालय एमआयडीसी की जगह पर निर्माण किया गया और शिवसेना के नाम पर पंजिकृत है. इस नाते शिवसेना अपना दावा ठोंक रही है. दूसरी तरफ सीमा सावळे ने इस कार्यालय की जगह प्राप्त करने से लेकर निर्माण कार्य तथा अन्य खर्च खुद अपनी जेब से खर्च की है. कई सालों से कर्यालय पर सीमा सावले का ही कब्जा रहा है और आज भी है. 2009 में जब इस कार्यालय का निर्माण हुआ था तब जितेंद्र ननावरे नगरसेवक तो क्या राजनीति में भी नहीं थे. अभी तक राष्ट्रवादी कांग्रेस में थे. हाल ही में वे शिवसेना में प्रवेश किए है. इस कार्यालय को बनाने संवारने में उनका दूर दूर तक कोई योगदान नहीं है. अगर पुराने शिवसैनिक दावा करें तो बात समझ में आती है मगर ननावरे के आगे आने का एक ही मकसद नजर आता है वो है पिंपरी विधानसभा का चुनाव. जिसको लेकर ननावरे अभी से सुर्खियों में रहना चाहते है. यह भी चर्चा है कि ननावरे केवल एक मुखौटा है परदे के पीछे शिवसेना का एक बडा स्थानीय लीडर है जो इस मामले को तूल दे रहा है.

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