मुंबई. शुक्रवार को पुणे में एक सभा को सम्बोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा,”फिलहाल देश की राजनीति में आरक्षण को लेकर गंदी राजनीति की जा रही है। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियां में, सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा के लिए आरक्षण की मांग की जा रही है। लेकिन अब कुछ सरकारी विभागों के साथ शिक्षा का भी निजीकरण किया गया है।निजी क्षेत्र में बड़ी संख्या में नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं, इसलिए हम आरक्षण और इसके लिए लड़ रहे हैं। इसके पीछे राजनीतिक दल केवल लोगों की भावनाओं के साथ खेल रहे हैं। उन्हें केवल वोट चाहिए। युवाओं को चाहिए कि वे स्थिति समझें।”
स्थानीय को दो नौकरी
– राज ठाकरे ने दूसरे राज्यों से आए हुए लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि प्राइवेट नौकरी में परप्रांतियों को नौकरी दी जाती है, जबकि हमारे मराठी भाई बहन बेरोजगार रह जाते हैं। राज्य के प्राइवेट और सरकारी नौकरी में 80 से 90 फीसदी नौकरी स्थानीय लोगों को देना चाहिए। साथ ही स्कूलों में एडमिशन के लिए भी स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो लोगों को आरक्षण का जरूरत ही नहीं होगी। बुधवार को हुई हिंसा में घायल एक शख्स ने शुक्रवार को मुंबई के एक हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। इसमें अब तकतीन लोगों की मौत हो चुकी है। इस मुद्दे पर मनसे चीफराज ठाकरे ने कहा कि कि आरक्षण जाति के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर देनी चाहिए।