पुणे. मराठा समाज को आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर मराठा क्रांति मोर्चा ने एक बार फिर आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। मोर्चे ने मुख्यमंत्री को पंढरपुर में आषाढी एकादशी की पूजा ना करने देने की बात कही है। श्री राम मंगल कार्यालय में हुई मोर्चा की राज्य स्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया। राज्य में मौजूद किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इस आरक्षण का विरोध नहीं किया है। राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय बड़े पैमाने पर कृषि कार्य में संलग्न है और वे ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के तहत शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
सरकार से नाराज हैं मराठा– मराठा क्रांति मोर्चा के राज्य समन्वयक राजाभाऊ गायकवाड़ ने बताया,”मराठा आरक्षण समेत अन्य मांगों को लेकर राज्य भर में मराठा समाज के 58 मोर्चे निकले जिसमें लाखों की तादाद में लोग शामिल हुए। इसके बावजूद राज्य सरकार समाज की मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही। अब आरक्षण पर फैसला होने तक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का पंढरपुर की महापूजा नहीं करने दी जाएगी।” बैठक में सरकार के उदासीन रवैया पर कड़ी नाराजगी जताई गई।58 जगहों पर निकला था मोर्चा– कोपर्डी में मराठा समाज की नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म व हत्या के बाद मराठा समाज का गुस्सा फूटा था। इसे लेकर साल 2017 में राज्यभर में 58 जगहों पर मराठा समाज ने मोर्चा निकाला था। इस दौरान अारक्षण की मांग भी उठी थी। इस मोर्चे ने देशभर में चर्चा बटोरी थी। हालांकि, मराठा समाज द्वारा निकाले गए मोर्चों में भारी भीड़ जुटने के बावजूद कोई अनुशासनहीनता नहीं हुई थी। राज्य की पिछली सरकार ने मराठा समाज को 16 फीसदी आरक्षण दिया था, जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। फिलहाल यह मामला अदालत में विचाराधीन है।सीएम ने दिया था आश्वासन– उस दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मोर्चे के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर आरक्षण मसले का हल निकलने का आश्वासन दिया था। उन्होंने मराठा आरक्षण के मसले को आगे बढ़ाने के लिए प्रशासनिक और राजनीतिक सदस्यों के साझा उपस्थिति में काम करने का आश्वासन दिया थे। लेकिन तकरीबन एक साल हो जाने के बावजूद अभी थी आरक्षण के मुद्दे पर कोई हल न निलकने से मराठा समाज नाराज है।