नागपुर-महाराष्ट्र में प्लास्टिक पर बैन के बाद जहां एक ओर राज्य सरकार ने पेट (पॉलिएथिलीन टेरेफ्थैलेट) बोतलों और दूध के पाउच के बायबैक (दोबारा खरीदने) की योजना को एक महीने के लिए टाल दिया है, वहीं दूसरी ओर कारोबारी असमंजस में हैं। नागपुर के मैन्युफैक्चरर्स का मानना है कि यह स्कीम तब तक कामयाब नहीं हो सकती, जब तक राज्य सरकार इसकी ढुलाई से संबंधित चुनौतियों का उपाय नहीं करती है।
‘बोतलों की संख्या पर निगरानी बड़ी चुनौती’
पहले बुधवार से इस योजना की शुरुआत होने वाली थी लेकिन सोमवार शाम को मैन्युफैक्चर्स को पता चला कि फिलहाल इसे स्थगित कर दिया गया है। बोतलों को खरीदते वक्त रीटेलर को एक डिपॉजिट फीस अदा करनी होगी, जब ग्राहक इस्तेमाल की गई बोतलों और पाउच को लेकर आएगा तो यह रकम रिफंड हो जाएगी। पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन (नागपुर) के संस्थापक सदस्य विधान भरतिया का कहना है, ‘अभी यह साफ नहीं है कि रीटेलर द्वारा बेची जाने वाली बोतलों और इस्तेमाल के बाद वापस आने वाली बोतलों की संख्या पर कैसे नजर रखी जाएगी। इसमें एक बड़ी गड़बड़ी यह है कि रीटेलर लौटाई गई बोतलों को फेंककर डिपॉजिट मनी अपनी जेब में डाल सकता है।’
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