पुणे-महाराष्ट्र के चैरिटी कमिश्नर शिवकुमार डिगे ने सभी चैरिटेबल संस्थाओं को अपने नाम में भ्रष्टाचार निर्मूलन और मानवाधिकार जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करने का आदेश दिया है। यहीं नहीं उन्होंने एनजीओ को इन शब्दों को हटाने के लिए 1 महीने का समय भी दिया है। इन एनजीओ में समाजसेवी अन्ना हजारे का एनजीओ भी शामिल है। कमिश्नर के अनुसार राज्य में कुल 8 लाख चैरिटेबल ट्रस्ट में से तकरीबन 500 एनजीओ ऐसे हैं, जो इन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। गुरुवार को अपने ऑर्डर में शिवकुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐक्शन लेना सरकार की जिम्मेदारी है। साथ ही उन्होंने अपने अधिकारियों को इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करनेवाले एनजीओ पर कार्रवाई करने को कहा।
शिवकुमार ने कहा कि यह आदेश महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट को देखते हुए लिया गया है, जिसमें ऐसे एनजीओ के नाम शामिल हैं जो इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र में एक होमगार्ड और एक पुलिस कर्मचारी की पत्नी समेत 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिन पर दुकानदारों से एनजीओ के नाम पर जबरन वसूली का आरोप है।
शिवकुमार ने जिन एनजीओ को नाम हटाने के लिए नोटिस भेजा है, उनमें अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन न्यास भी शामिल है। वहीं इसके कार्यवाहक संजय पठारे ने पुष्टि भी की कि उन्हें चैरिटी कमिश्नर कार्यालय (पुणे डिविजन) से नोटिस मिला है। उन्होंने कहा कि हमारा समूह जिला न्यायालय का रुख कर चुका है। संजय ने कहा, ‘हमारा मुद्दा कोर्ट में है इसलिए नया आदेश हम पर लागू नहीं होगा।’
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