पुणे. एमआईटी विश्व शांति गुरुकुल ने छात्राओं के इनर वीयर्स का रंग तय किया है। स्कूल के मुताबिक ये या तो सफेद होंगे या स्किन कलर का होगा। यही नहीं इस स्कूल ने छात्राओं के लिए 20 से 22 जटिल नियम भी अनिवार्य किए है, जिसके उल्लंघन पर सीधे फौजदारी की कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। स्कूल मैनेजमेंट का कहना है कि ये कदम लड़कियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है। जिसके बाद परिजनों ने स्कूल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है।
नियम न मानने पर दर्ज होगा पेरेंट्स पर केस
– अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल ने छात्रों की स्टूडेंट डायरी में नियमों की एक लंबी लिस्ट लिखवाई है। जिसे अनिवार्य रूप से पालन करने के लिए कहा गया है। स्कूल की ओर से बच्चों के पेरेंट्स को नियम पालन को लेकर एक एफिडेविट भी साइन करके जमा करने का आदेश दिया गया है। नियम के मुताबिक, जो अभिवावक इस नियम को नहीं मानेगा उसके खिलाफ केस भी दर्ज किया जाएगा।
नए फैसले के खिलाफ हुआ प्रदर्शन
– स्कूल का नया टर्म 15 जून से शुरू हुआ है और छात्रों को 2 जुलाई को ये डायरी दी गई है। परिजनों ने बुधवार को इसके खिलाफ स्कूल के बाहर प्रदर्शन भी किया। इसकी शिकायत प्राइमरी शिक्षा के डायरेक्टर से भी की गई है।
क्या है नया नियम?
– नए नियम के मुताबिक, छात्राओं के ड्रेस के नीचे के इनर वियर के रंग सफेद और बॉडी कलर के अलावा किसी और रंग के नहीं हो सकते।
– इमरजेंसी के अलावा स्कूल के टॉयलेट्स एक निश्चित समय पर इस्तेमाल किए जाएंगे।
– स्कूल छात्रों से 500 रुपये का जुर्माना वसूलेगा अगर छात्र पीने का पानी और बिजली अनावश्यक रूप से इस्तेमाल करते पाए गए।
– इसके अलावा 500 रुपये का जुर्माना तब भी लिया जाएगा अगर सेनेटरी पैड्स को सही तरह से तय डब्बे में नहीं डाला गया।
– स्कूलों ने छात्रों के साथ-साथ उनके अभिभावकों के लिए भी नियमावली बनाई है। इसमें वे आपस में बात नहीं करेंगे, स्कूल के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं करेंगे, प्रबंधन और मीडिया से संवाद नहीं करेंगे।
– स्कूल प्रबंधन ने साइकिल पार्किंग के लिए भारी शुल्क निर्धारित किया है। इस सालाना शुल्क के लिए 1500 रुपए एडवांस में चुकाने होंगे। पेरेंट्स को सफाई खर्च का बोझ भी उठाना पड़ेगा।
फाइन लगाना गलत-पेरेंट्स
– स्कूल डायरी में उल्लेखित इस नियमावली को लेकर अभिभावकों ने कड़ी नाराजगी जताई है। शुल्क वृद्धि के विरोध में भी अभिभावकों की कृति समिति और स्कूल प्रबंधन के बीच विवाद जारी है। एक अभिभावक का कहना है कि सफाई, बिजली की बचत, पानी बचाना और व्यक्तिगत स्वच्छता आदि सभी अच्छी बातें हैं, लेकिन स्कूल को इसके लिए फाइन लगाने की बजाए छात्र-छात्राओं में इसके लिए जागरूकता बढ़ानी चाहिए।