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भय्यू महाराज ने गोली मारकर खुदकुशी की

भय्यू महाराज की पहली पत्नी माधवी का नवंबर 2015 में पुणे में निधन हो गया था
– 30 अप्रैल 2017 को मध्य प्रदेश के शिवपुरी की डॉ. आयुषी के साथ दूसरी शादी की थी
– मध्य प्रदेश सरकार ने अप्रैल 2018 में राज्यमंत्री का दर्जा दिया, हालांकि उन्होंने इसे स्वीकर नहीं किया

इंदौर.अध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज (50) ने मंगलवार को यहां अपने स्प्रिंग स्थित घर पर गोली मारकर खुदकुशी कर ली। बताया जा रहा है कि उनके परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद हुआ था। बहस के बाद उन्होंने खुद को कमरे बंद कर लिया और कनपटी पर गोली मार ली। वह जमींदार परिवार से थे। उन्होंने मॉडलिंग से करियर शुरू किया था। सूत्रों के मुताबिक भय्यू महाराज का अंतिम सस्कार बुधवार को किया जाएगा। अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को उनके बापट चौराहे स्थित सूर्यादय आश्रम में रखा जाएगा।

दाईं कनपटी पर गोली लगी, अस्पताल पहुंचने से पहले मौत

– बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉ. राहुल पाराशर के मुताबिक भय्यू महाराज को जब अस्पताल लाया गया, उससे आधा घंटे पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। उन्हें दाईं कनपटी पर गोली लगी थी।

पहली पत्नी की मौत के डेढ़ साल बाद की थी दूसरी शादी
– भय्यू महाराज की पहली पत्नी माधवी का नवंबर 2015 में पुणे में निधन हो गया था। वे महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रहने वाली थीं। पहली शादी से उनकी एक बेटी कुहू (18) है। वो पुणे में पढ़ाई कर रही है। भय्यू महाराज ने 30 अप्रैल 2017 को मध्य प्रदेश के शिवपुरी की डॉ. आयुषी के साथ दूसरी शादी की थी।

कर्ज में डूबा बताकर सार्वजनिक जीवन से संन्यास लिया था
– महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में उनका खासा प्रभाव था। उन्होंने खुद को कर्ज में डूबा हुआ बताकर सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेने का एलान किया था। संन्यास के बावजूद उनके सार्वजनिक और आध्यात्मिक कार्य संचालित होते रहे। सिंहस्थ से पहले हुए धर्म सम्मेलन में सरकार द्वारा नहीं बुलाने पर वे नाराज हो गए थे।

राज्य मंत्री का दर्जा ठुकराया था
– मध्य प्रदेश सरकार के 2 जुलाई 2017 को 6.67 करोड़ पौधे लगाने के दावे को महाघोटाला करार देकर कुछ संतों ने ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने का ऐलान किया था। इनमें नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पं. योगेंद्र महंत शामिल थे।
– राज्य सरकार ने अप्रैल 2018 में इन सभी को राज्यमंत्री का दर्जा दिया। हालांकि, भय्यू महाराज ने सरकार के इस ऑफर को लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा था कि वे नर्मदा मैया की सेवा बिना किसी पद के साथ भी करते रहेंगे।

मोदी, अण्णा हजारे का अनशन तुड़वाने पर सुर्खियों में आए
– भय्यू महाराज 2011 में तब चर्चा में आए जब यूपीए सरकार ने उन्हें दूत बनाकर अन्ना हजारे के अनशन खत्म करवाने के लिए भेजा था। बाद में अन्ना ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था। उस वक्त उनके साथ महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख भी थे।
– सितंबर 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी सद्भावना उपवास पर बैठे थे। तब उपवास खुलवाने के लिए उन्होंने भय्यू महाराज को आमंत्रित किया था।

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