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भाजपा विधायकों की कंपनियां देगी सरकारी विभागों में प्रायवेट नौकरियां

पिंपरी – जी हां! चौकिए मत,यह बात सोलह आने सच है। महाराष्ट्र सरकार के विभिन्न सरकारी विभागों में रिक्त 2 लाख से ज्यादा पदों पर अब 9 प्रायवेट कंपनियां युवाओं को नौकरी देने जा रही है। कुछ कंपनियों के मालिक भाजपा के विधायक है। कुछ भाजपा के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के सगे संबंधितों की है। राज्य सरकार ने सरकारी विभागों में निजीकरण के दरवाजे चतुर्थ श्रेणी के 132 प्रकार के पदों को भरने जा रही है। युवाओं के लिए अब सरकारी नौकरी एक सपना बन जाएगा। केंद्र की मोदी सरकार पहले से ही हवाई अड्डा,रेलवे,कोयला,बंदरगाह आदि को अंडानी,अंबानी के हाथों गिरवी रखकर प्रायवेट कर दिया है। अब भाजपा की महाराष्ट्र सरकार मोदी के पदचिन्हों पर चलकर 2 लाख से ज्यादा पदों को प्रायवेट कंपनियों के द्धारा भरने की रणनीति अपनाई है। इसके लिए 9 कंपनियों की नियुक्ति भी कर चुकी है। महाराष्ट्र सरकार के कार्यासन अधिकारी श्रीराम गवई के हस्ताक्षर से अध्यादेश जारी किया गया है।

निगडी के तहसील कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन नेताओं
सरकारी कर्मचारियों को अनुबंध आधार पर भर्ती करने के शिंदे-फडणवीस-पवार सरकार के फैसले के खिलाफ मराठा युवा महासंघ की ओर से आज प्रतियां जलाई गई। एक ओर जहां मराठा आरक्षण के लिए समुदाय सड़कों पर उतर आया, वहीं दूसरी ओर सरकार ने यह फैसला लेकर मराठा समुदाय के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया। धनाजी येलकर-पाटिल, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मानव कांबले, मारुति भापकर और अन्य ने निगडी में तहसील कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन लिया।

राज्य सरकार का निजीकरण की ओर कदम
डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर के आरक्षण को खत्म करने का यह चोर दरवाजा कहा जा सकता है। सरकारी नौकरियां प्रायवेट कंपनियां ठेके से देगी तो आरक्षण किससे और क्यों मांगा जाएगा? राज्य में मराठा आरक्षण का आंदोलन जारी है। लेकिन आरक्षण के लिए आंदोलन किसके लिए,जब सरकारी नौकरियां नहीं बचेगी। सरकार की ओर से जारी अध्यादेश के मुताबिक विभिन्न विभागों में हजारों पद नौ निजी कंपनियों के जरिए भरे जाएंगे। इसमें प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के 132 प्रकार के पद शामिल हैं।

सरकारी नौकरियों का निजीकरण,फिर आरक्षण का क्या फायदा?
राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों के निजीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है, जबकि राज्य में विभिन्न समुदाय आरक्षण के लिए आक्रामक रहे हैं। एमपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों ने सरकारी पदों को प्राइवेट माध्यम से भरने का विरोध किया है। इस मौके पर सवाल उठाया गया कि जब सरकारी नौकरियां ही नहीं रहेंगी तो आरक्षण का क्या फायदा। एक तरफ राज्य में आरक्षण के मुद्दे पर आंदोलन चल रहा है, वहीं राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी कर विभिन्न विभागों में हजारों पदों को भरने के लिए नौ निजी कंपनियों का चयन किया है। ये निजी कंपनियां राज्य सरकार के विभागों, अर्ध-सरकारी विभागों, निगमों, स्थानीय निकायों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य प्रतिष्ठानों को कामगार प्रदान करेंगी।

इन प्राइवेट कंपनियों से
उच्च कुशल जनशक्ति के इस कैडर में प्रोजेक्ट मैनेजर, मैनेजर, आईटी ऑफिसर, सीनियर इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर, सूचना अधिकारी जैसे विभिन्न 70 प्रकार के हजारों पद भरे जाने वाले हैं। इन पदों पर लोगों को प्रति माह डेढ़ लाख से अस्सी हजार तक वेतन दिया जाएगा। कुशल जनशक्ति के इस कैडर में लॉ ऑफिसर, टीचर असिस्टेंट ऑफिसर, अकाउंट्स ऑफिसर, असिस्टेंट रिसर्चर जैसे हजारों पद भरे जाने वाले हैं। इन पदों पर लोगों को पैंतालीस हजार से पंद्रह हजार तक मासिक वेतन दिया जाएगा। इस बीच, अर्ध-कुशल और अकुशल श्रेणियों में हाउसकीपिंग, हेल्पर, मजदूर जैसे हजारों पद भी निजी कंपनियों द्वारा भरे जाने वाले हैं।

राज्य सरकार द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी के मुताबिक
इस बीच स्थानीय निकायों, निगमों, अर्ध-सरकारी संगठनों और संस्थानों में कुल मिलाकर ढाई लाख पद फिलहाल खाली हैं।
एमपीएससी के छात्र पूछ रहे हैं कि अगर ये सभी पद नौ निजी कंपनियों के माध्यम से भरे जाने हैं तो महीनों तक पढ़ाई करने का क्या मतलब है।
फिलहाल राज्य में मनोज जारांगे पाटिल के आंदोलन से माहौल गरमाया हुआ है। मराठा समुदाय के बाद अब अन्य समुदाय भी आरक्षण की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। लेकिन इस मौके पर ये सवाल उठ रहा है कि जब सरकारी नौकरियां ही नहीं रहेंगी तो आरक्षण का क्या फायदा। क्योंकि निजी कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट भर्ती करते समय आरक्षण की कोई बंदिश नहीं होगी। मनोज जारांगे पाटिल ने नौकरिय…

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