नई दिल्ली-केंद्र सरकार अंग्रेजों के जमाने के कुछ कानूनों में संशोधन करने जा रही है। इसके लिए सरकार दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक 2023 लाएगी। इसकी जानकारी लोकसभा में देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ’आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वे सभी पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। इन तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड, एक है क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड। इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब ’भारतीय न्याय संहिता 2023’ होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह ’भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ प्रस्थापित होगा। और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह ’भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ प्रस्थापित होगा।’
’नए कानून की भावना भारतीयों को अधिकार देने की’
लोकसभा में बोलते हुए गृहमंत्री ने कहा कि ’इन तीनों कानूनों को रिप्लेस कर के इनकी जगह तीन नए कानून जो बनेंगे, उनकी भावना भारतीयों को अधिकार देने की होगी। इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं होगा। इसका उद्देश्य होगा लोगों को न्याय देना।’ अमित शाह ने कहा कि ’18 राज्यों, छह केंद्र शासित प्रदेशों, भारत की सुप्रीम कोर्ट, 22 हाईकोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सासंद और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए हैं। चार साल तक इस पर काफी चर्चा हुई है। हमने इस पर 158 बैठकें की हैं।
भगोड़ों को सजा देने के लिए किए जाएंगे प्रावधान
दाऊद इब्राहिम काफी समय से भगोड़ा है। अब हमने तय किया है कि सत्र न्यायालय के जज किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी केस चला सकती है और फैसला सुना सकती है, फिर चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में हो। उसे सजा से बचना हो तो भारत आए और केस लड़ें।
सरकार ने गठित की थी समिति
बता दें कि केंद्र सरकार ने आईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय सबूत कानून 1872 में संशोधन के लिए एक आपराधिक कानून संशोधन समिति का गठन किया। इस समिति का प्रमुख दिल्ली स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वाइस चांसलर डॉ. रणबीर सिंह को बनाया गया। इस समिति के अन्य सदस्यों में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ. जीएस बाजपेयी, डीएनएलयू के वाइस चांसलर डॉ. बलराज चौहान और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी, और दिल्ली डिस्ट्रिक्ट एंड सेशल कोर्ट के पूर्व जज जीपी थरेजा शामिल थे। फरवरी 2022 में इस समिति ने जनता से सुझाव के बावजूद सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। अप्रैल 2022 में कानून मंत्रालय ने राज्य सभा में बताया कि सरकार आपराधिक कानूनों की समीक्षा कर रही है।
देशद्रोह कानून होगा निरस्त
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस कानून के तहत हम देशद्रोह जैसे कानून निरस्त कर रहे हैं। शाह ने कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के बनाए कानून से चल रहा था। अब इन तीन नए कानूनों से देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य तय किया है कि दोषसिद्धि की दर को 90 प्रतिशत से ज्यादा किया जाएगा। अपराध स्थल पर फोरेंसिक टीम का जाना अनिवार्य होगा। नए विधेयक में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के मामले से संबंधित नए प्रावधान किए गए हैं। नाबालिग से दुष्कर्म जैसे मामलों में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही एक तय सीमा में सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी जाएगी।