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चिखली इंद्रायणी नदी से जलभरकर देहूरोड घोराडेश्वर मंदिर तक कांवड यात्रा

चिखली – भगवान भोलेनाथ का पवित्र मास सावन के शुभारंभ के साथ ही कांवड़ यात्रा भी शुरू हो चुकी है। कांवड़ यात्रा को लेकर शिव भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिलता है। श्रावण माह के चलते शिवालय में जनसैलाब उमड़ रहा है। आज सुबह से ही शिव मंदिरों के बाहर लंबी लंबी कतारें देखी जा रही है। शिव मंदिर के पट खुलते ही चारों ओर बाबा भोलेनाथ के जयकारे गूंज रहे है।

चिखली इंद्रायणी नदी से जलभरकर देहूरोड घोराडेश्वर मंदिर तक कांवड यात्रा
पिछले 9 वर्षों से अखंडित परंपरा के साथ पुणे से सटे पिंपरी चिंचवड शहर के चिखली से आज सुबह विश्व हिन्दू परिषद,बजरंग दल चिखली,नवयुग कावड़िया संघ और व्यापारी मित्र मंडल की ओर से कांवड़ यात्रा का आयोजन किया गया है। इस कांवड़ यात्रा में सैकड़ों शिवभक्त शामिल हुए। साथ ही इस कांवड़ यात्रा में गाजे-बाजे के साथ कस्बें के नवयुवक,बच्चे कावड़ कंधे पर लेकर यात्रा में शामिल हुए। कावडियों ने इंद्रायणी नदी से तीर्थ जल भरकर देहूरोड घोराडेश्वर मंदिर की ओर पैदल कूच किए। भगवान शिव को जल अर्पित कर मनोकामना की अभिलाषा लेकर निकलि। इस कांवड़ यात्रा की शुरआत आज सुबह चिखली कुदलवाड़ी परिसर से हुई।

चिखली के पूर्व नगरसेवक दिनेश यादव कांवड यात्रा में शामिल
वही यह कांवड़ यात्रा देहुरोड परिसर के प्राचीन शिव मंदिर घोराडेश्वर मंदिर तक आयोजित की गई है। वहां पहुंचकर शिव मंदिर में कांवड़ यात्रा से ले गए जल से शिवलिंग का जलाभिषेक किया गया। इस कांवड़ यात्रा में चिखली के नगरसेवक दिनेश यादव समेत कई मान्यवर उपस्थित थे। कांवड़ यात्रा में बड़ी संख्या में पुरुष और बच्चों ने भाग लिया। यह कांवड़ यात्रा का नौवां साल है। ज्यादातर कांवड़ यात्रा का आयोजन उत्तर भारत में होता है लेकिन उत्तर भारतीय लोग अब धीरे धीरे सभी राज्य में कार्यरत है जिसके चलते अब अन्य जगहों पर भी कांवड़ यात्रा निकाली जाती है जिसमे कई लोग बढ़चढ़कर हिस्सा लेते है।

पुराणों में कांवड यात्रा की मान्यवताएं
पुराणों में बताया गया है कि कांवड़ यात्रा देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने का सबसे सरल और सहज तरीका है। भगवान शिव के भक्त बांस की लकड़ी पर दोनों ओर टिकी हुई टोकरियों के साथ गंगा के तट पर पहुंचते हैं और टोकरियों में गंगाजल भरकर शिवालयों की ओर कूच करते है। कांवड़ को अपने कंधों पर रखकर लगातार यात्रा करते हैं और अपने क्षेत्र के शिवालयों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं होता है। साथ ही घर में धन धान्य की कभी कोई कमी नहीं होती है और अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है।

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