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कोर्ट ने आधार कार्ड को उम्र का सबूत मानने से किया इंकार

पुणे- एक मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड उम्र का सबूत नहीं है। कोर्ट यूनिक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी(यूआईए) से मिली जानकारी के बाद यह टिप्पणी की। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह केवल पता और पहचान का एक दस्तावेज है। जन्म तारीख के लिए बर्थ सर्टिफिकेट और दूसरे दस्तावेजों का सहारा लिया जा सकता है। कोर्ट ने पुणे पुलिस की ओर से दायर एक आवेदन को खारिज करते हुए यह बात कही। आवेदन में कहा गया था कि एक केस में आरोपी के पास दो आधार मिले हैं। जिसमें एक में वह बालिग है और दूसरे में नाबालिग। पुणे कोर्ट ने आरोपी को नाबालिग मानकर मामले को किशोर न्यायालय को भेज दिया था। बेंच ने कहा कि अगर पुलिस को लगता है कि आरोपी ने फर्जी आधारकार्ड दिया है तो वह इसके लिए उसके खिलाफ मामला दर्ज करें।

जस्टिस रेवती ढेरे की बेंच ने पुणे पुलिस की ओर से दायर एक आवेदन को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि आरोपी की जन्म तारीख के लिए बर्थ सर्टिफिकेट और दूसरे दस्तावेजों का सहारा लिया जा सकता है। बेंच ने कहा कि यदि पुलिस को लगता है कि आरोपी ने फर्जी आधार कार्ड दिया है, तो वह इसके लिए उसके खिलाफ मामला दर्ज करें।

क्या है पूरा मामला
आवेदन में यूआईडीएआई को एक आरोपी के आधार कार्ड से जुड़े दस्तावेज देने का निर्देश देने की मांग की गई थी। क्योंकि आरोपी के पास से दो आधार कार्ड मिले थे। हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी संदीप कुमार के पास से पुलिस को जो पहले आधार कार्ड मिला था, उसमें जन्म तारीख 1 जनवरी 1999 लिखी थी, जबकि आरोपी ने पुणे सत्र न्यायालय में आरोपी खुद को नाबालिग साबित करने के लिए जो आवेदन दायर किया था, उसके साथ जो आधार कार्ड लगाया था। उसमें उसकी जन्म तारीख 5 मार्च 2003 थी। पुणे न्यायालय ने आरोपी को नाबालिग मानकर उसके मामले को किशोर न्यायालय को भेज दिया था। पुलिस ने पुणे कोर्ट के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

हाई कोर्ट ने खारिज किया आवेदन
आवेदन में पुलिस ने कहा था कि उसने यूआईडीएआई से आरोपी की सटीक जन्म तारीख को लेकर आधार कार्ड से जुड़े दस्तावेजों की जानकारी मांगी थी, लेकिन यूआईडीएआई ने कहा है कि अदालत के निर्देश के बिना वह कोई जानकारी नहीं देगा। इससे पहले यूआईडीएआई का पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि आधार कोई उम्र के निर्धारण का दस्तावेज नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को स्पष्ट किया है। इस बात को स्वीकार करते हुए बेंच ने पुलिस के आवेदन को खारिज कर दिया।

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