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फर्जी दस्तावेजों के जरिए 114 करोड़ की धोखाधडी

मॉन्ट वर्ट बिल्डर्स और गैर बैंकिंग वित्त (एनबीएफ) के निदेशक पर अपराध दर्ज

पिंपरी- जाली दस्तावेजों के आधार पर बिल्डर और किसान से 114 करोड़ रुपये की ठगी की गई। उस मामले में जयंत वल्लभदास कनेरिया,मोहन पांडुरंग कलाटे,धीरजलाल गोरधनदास हंसालिया,एन्वायरंट डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक, निखिल वल्लभदास कनेरिया,नीरज जयंत कनेरिया, कुमार रंजीत निम्हान और पवन कंकलिया,मॉन्ट वर्ट बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड और नीरज कुमार एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और एनबीएफ वित्तीय संस्था विस्त्रा आयटीसी इंडिया व मोतीलाल ओसवाल रियल इस्टेट इन्वेस्टर के खिलाफ शिवाजीनगर प्रथम श्रेणी कोर्ट के आदेश पर वाकड पुलिस स्टेशन में आईटीसी इंडिया और मोतीलाल ओसवाल रियल एस्टेट निवेशक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। ऐसी जानकारी आज पत्रकार परिषद में रयत विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष सूर्यूकांत अर्जुन सरवदे,अ‍ॅड सत्यजीत काकडे,अ‍ॅड किरण शिंदे,किसान के पुत्र स्वप्निल कलाटे ने दी।

इस मामले के मुख्य आरोपी जयंत कनेरिया ने अपने ही बेटे व भाई के नाम पर मोन्ट वर्ट बोल्डर्स प्रा.लिमिटेड और नीरज कुमार एसोसिएट्स प्रा.लिमिटेड एन्वायरंट डेवलपर्स प्रा.लि. दो कंपनियों की स्थापना कर निदेशक हैं। सर्वेक्षण संख्या 277 ने सर्वेक्षण संख्या 195/1 और 196/3 में पैनोरमा परियोजना के लिए 44 करोड़ 40 लाख रुपये और वेदांता परियोजना के लिए 12 करोड़ 30 लाख रुपये की परियोजना निधि जुटाने की परियोजना प्रस्ताव तैयार किया। दोनों परियोजनाओं के लिए वित्तीय कंपनियां विस्त्रा और मोतीलाल ओसवाल कुल 56 करोड़ 70 लाख रुपये देने को राजी हुईं। जयंत कनेरिया ने निदेशक मोहन कलाटे और धीरजलाल हंसालिया के साथ हाथ मिलाया और फर्जी प्रस्ताव बनाकर और विस्तारा और मोतीलाल ओसवाल वित्तीय कंपनियों के साथ दो प्रॉपर्टी गिरवी दस्तावेज बनाकर निदेशक के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया और 114 करोड़ रुपये का ऋण लिया।

जयंत कनेरिया ने अपने बेटे और भाई की दो कंपनियों में 57 करोड़ 90 लाख रुपये ट्रांसफर किए। इस मामले में निदेशक संजय पाडुरंग कलाटे और किसान वसंत कलाटे की सहमति के बिना दो परस्पर दस्तावेज निष्पादित किया। सर्वे नंबर 277 व सर्वे नंबर 195/1 व 196/3 में निदेशक जयंत कनेरिया, धीरजलाल हंसालिया व मोहन कलाटे से जब आय के विकास के बारे में पूछा गया। फिर डीड के अस्तित्व में आने के बाद से दोनों करारबंधक को निदेशक संजय कलाटे और किसान वसंत कलाटे से छिपा कर रखा गया। जानकारी देने से परहेज किया गया।

संजय कलाटे ने जुलाई 2022 में पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई। हालाँकि, पुलिस ने इस वित्तीय अपराध पर ध्यान नहीं दिया, उन्होंने सभी दस्तावेज कोर्ट को सौंप दिए। इसे प्रथम श्रेणी न्यायालय के संज्ञान में लाने के बाद न्यायालय ने निदेशक मंडल और वित्तीय संस्थानों के खिलाफ वाकड थाने में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। तदनुसार, संजय कलाटे ने निदेशक और वित्तीय संस्थान के खिलाफ मामला दायर किया है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

इस मामले में पुलिस द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार करने में देरी हो रही है। इस संबंध में जांच पुलिस निरीक्षक (अपराध शाखा) रामचंद्र घाडगे द्वारा की जा रही थी, लेकिन जब जांच अधिकारी ने संबंधित आरोपी को नोटिस जारी किया, तो पुलिस आयुक्त ने जांच को ईओडब्ल्यू को स्थानांतरित करने का आदेश दिया। फिर से ईओडब्ल्यू को जांच क्यों सौंपी गई, जबकि थानेदार ने इसके लिखित आदेश दिए थे। तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने कार्यालय की टिप्पणी के आधार पर जांच को पूरी तरह से बंद कर दिया था। पुलिस आयुक्त के माध्यम से काम कर रहे हैं ईओडब्ल्यू शिकायतों को लंबित रखे या शिकायत को क्लीन चिट दे.कुल मिलाकर हम देखते हैं कि ईओडब्ल्यू और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर पुलिस आयुक्त की कार्रवाई सवालों के घेरे में थी. उम्मीद है कि जल्द होगी.

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