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चिंचवड में त्रिकोणीय नहीं,भाजपा-राष्ट्रवादी में सीधी लड़ाई

पिंपरी- चिंचवड विधानसभा चुनाव प्रचार अपने अंतिम पडाव में पहुंच चुका है। 24 फरवरी को शाम 6 बजे प्रचार का शोरगुल थम जाएगा और 26 फरवरी को लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चुनाव के आखिरी राउंड में भाजपा-राकांपा ने अपने बडे नेताओं को मैदान में उतारा है। भाजपा ने बहन पंकजा मुंडे को बुलाया तो कल राकांपा ने धनंजय मुंडे को बुलाकर भीड जुटाई। शरद पवार,आदित्य ठाकरे,मुख्यमंत्री शिंदे,उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सभाएं आखिरी दिनों में होने वाली है।

 

कलाटे से काटे को नुकसान

चिंचवड विधानसभा में अबतक जो माहौल बना है और राजनीतिक बुद्धिजीवी की समझ से बातें छनकर निकल रही है,यह है कि भाजपा की उम्मीदवार अश्विनी जगताप की आज भी लीड बरकरार है। हलांकि नाना काटे ने ऐढी चोटी का जोर लगाकर लीड को तोडने में कुछ हद तक सफलता हासिल की है लेकिन जीत की जादुई आंकड़ों से आज भी दूर हैं। नाना काटे का सीधा नुकसान निर्दल उम्मीदवार राहुल कलाटे कर रहे है। राहुल कलाटे के पास नेता नहीं अभिनेता नहीं,लेकिन उनका तूफानी प्रचार यंत्रणा और जुझारु कार्यकर्ता की एक फौज उनके साथ है। राहुल का माहौल केवल इसलिए नहीं बन पा रहा है कि उनके प्रचार के लिए कोई नेता सभा,रैली नहीं कर रहा। कलाटे चिंचवड की मतदाता को ही अपना माय बाप,भाग्यविधाता मानकर चल रहे है। वाकड परिसर में सीटी बज रही है लेकिन अन्य भागों में वाकड की तरह सीटी बजने की आवाज कमजोर साबित हो रही है।

 

अश्विनी जगताप की लीड के पीछे के कारण

चिंचवड विधानसभा क्षेत्र में बिना भेदभाव के स्व.लक्ष्मण जगताप द्धारा किए गए विकास काम। अपने कार्यकर्ताओं को मजबुत करना और आर्थिक दृष्टि से आगे बढाना। चिंचवड में 36 भाजपा के नगरसेवक है। इसमें से तुषार कामठे ने त्यागपत्र देकर राकांपा में शामिल हुए। राकांपा के पास कुल 9 नगरसेवक है। भाजपा का अपना कैडर वोटबैंक है जो इधर उधर खिसकता नहीं। जयश्री राम वाले भाजपा के साथ हैं। चिंचवड में आरएसएस का गृहक्षेत्र है। शिवसेना के सांसद श्रीरंग बारणे का साथ है। जो थेरगांव,चिंचवड,रावेत,बिजलीनगर परिसर में दबदबा रखते हैं। भाजपा का प्रचार सिस्टम अनुशासित,बेहतरीन ढंग का है। भाजपा के पास गुड प्रबंधक की टीम है। जो बिना शोरशराबा के बूथ,पन्ना तक काम में जुटी है। अश्विनी जगताप के प्रति महिलाओं में गजब की सहानुभुति खुलकर देखी जा रही है। डोर टू डोर प्रचार का जबर्दस्त असर देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खुद चिंचवड और कसबा विधानसभा क्षेत्र की मॉनिटरिंग की कमान संभाले हुए हैं।

 

नाना काटे की रफ्तार तेज,मगर जीत से अभी दूर

राकांपा और आघाडी के उम्मीदवार नाना काटे ने प्रचार के आखिरी राउंड में अपनी रफ्तार तेज कर दी है। बडे बडे नेताओं के मैदान में उतरने से त्रिकोणीय लडाई को सीधी लडाई में बदलने में सफल रहे। लेकिन डोर टू डोर काम करने वाले कार्यकर्ताओं का अभाव है। राकांपा का कैडर वोट नहीं है। नाना काटे के चेहरे और राष्ट्रवादी को मानने वाले लोग ही इनके पास है। प्रचार सिस्टम बिखरा है। रहाटणी के कार्यालय में कार्यकर्ताओं,पूर्व नगरसेवकों का जमावडा होता है,लेकिन मतदाताओं के बीच जिम्मेदार कोई पदाधिकारी,कार्यकर्ता नहीं पहुंच रहा है। रोजनदारी पर कुछ बच्चे घर घर हैंडबिल फेंककर चलते बनते है। हैंडबिल अपने घरों के गेट,दरवाजे से कोई उठाता नहीं,पढ़ता नहीं।

 

कलाटे को अपना पुराना मतों का रिकॉर्ड बचाने की चुनौति

राजनीतिक समझ रखने वाले बुद्धिजीवी लोगों का मानना है कि अश्विनी जगताप ने जो शुरुआती प्रचार में लीड पकडी वह आज भी बरकरार है। इतना अवश्य हुआ कि नाना काटे ने आखिरी प्रचार के राउंड में लीड को काफी हद तक तोडकर मुख्य लडाई में आ गए। भाजपा के नेताओं ने जो एक लाख की लीड की घोषणा की थी वह मुंगेरीलाल के हसींन सपने साबित होंगे। अब तस्वीर साफ हो गई कि कौन एक नंबर और कौन दो नंबर की लडाई लड रहा है। निर्दल उम्मीदवार राहुल कलाटे के सामने अपना पुराना रिकॉर्ड 1 लाख 12 हजार मत को बचाने का संकट है। यह चुनाव राहुल कलाटे की प्रतिष्ठा से जुडा है। हलांकि तूफानी प्रचार से कलाटे किसी से पीछे नहीं है। भाजपा को भी अपनी परंपरागत सीट बचाने की चुनौति है। अब देखना होगा कि चिंचवड विधानसभा क्षेत्र की मतदाताओं के मन में क्या है? किसको हिरो बनाती है किसको जीरो? यह 2 मार्च को मतगणना के दिन ही दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।इस चुनाव की विशेषता यह है कि भाजपा-राकांपा दोनों ने अपनी प्रतिष्ठा की लडाई से जोड ली है। चुनावी प्रचार में कोई किसी से कम नहीं दिखाई दे रहा है।मतदान के दिन मतदाताओं को घरों से निकाल करके बूथ केंद्रों पर ले जाना भी एक चुनौति होगी। प्रचार के आखिरी चार दिनों में अगर कोई चमत्कार हो जाए और नंबर गेम बदल जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।क्योंकि मतदाताओं में चुनाव को लेकर उत्साह नहीं दिख रहा। पुणे जिलाधिकारी डॉ.राजेश देशमुख चिंचवड और कसबा विधानसभा में ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने की दिशा में प्रयासरत है। अब देखना होगा कि किसकी भैंस पानी में जाती है और किसकी पानी से बाहर रहती है? परिणाम जो भी आए लेकिन यह तय है कि जीत का अंतर कम रहेगा।

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