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पिंपरी पालिका को झटका,572 ठेका कामगारों के पक्ष में कोर्ट का एतिहासिक निर्णय

पिंपरी- देश के इतिहास में औद्योगिक न्यायालय,पुणे ने ठेका कर्मचारियों के पक्ष में एक एतिहासिक निर्णय सुनाया। इस निर्णय के अनुसार पिंपरी चिंचवड मनपा के विभिन्न विभागों में 1998-99 से ठेके पर काम कर रहे 572 कर्मचारियों को पालिका कर्मचारियों के अनुसार समान वेतन,फरक रकम देने का आदेश दिया। साथ ही यह भी आदेश दिया कि अगर ठेकेदार बदलता है तो भी कर्मचारियों को काम से नहीं हटाया जा सकता। न्यायालय के इस निर्णय से जहां राष्ट्रीय श्रमिक आघाडी ने अपनी लंबी कानूनी लड़ाई को जीता,वहीं 572 कर्मचारियों के मायूस चेहरों पर मुस्कान देखने को मिली। पिंपरी चिंचवड मनपा के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है। ऐसी जानकारी आज पत्रकार परिषद में कामगार नेता और राष्ट्रीय श्रमिक आघाडी के अध्यक्ष और नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड युनियन्स के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष यशवंत भोसले ने दी। इस अवसर पर जाने माने वकील सुनिल मंचरकर,दिपक पाटिल,नाना लांडे,जयदेव अक्कलकोट,राहुल शिरोले,दत्ता गायकवाड,निकम आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।

 

पिंपरी पालिका को 572 करोड़ रुपये देने का कोर्ट का आदेश

यशवंत भोसले ने सविस्तार जानकारी देते हुए कहा कि औद्योगिक न्यायालय ने पिंपरी चिंचवड मनपा को 572 करोड रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। इस हिसाब से प्रति कामगारों को 1 करोड़ रुपये मिलना आपेक्षित है। इसके पहले भी मनपा ने कोर्ट के आदेश के बाद 40 करोड रुपये दे चुकी है। अगर मनपा प्रशासन इस निर्णय को सुप्रिम कोर्ट में चुनौति देगी तो हमारी कामगार युनियन लंबी कानूनी लडाई के लिए तैयार है। अगर ऐसा हुआ तो पालिका से फरक रकम के साथ साथ 9% व्याज की दर से पैसा वसुला जाएगा। कल सोमवार 23 जनवरी 2023 को सुबह सभी कामगार मनपा भवन में अपनी डियुटी करने जाएंगे,अगर पालिका ने इन्हें ज्वाइंट नहीं किया तो यह कोर्ट के आदेश की आवहेलना होगी,जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी मनपा आयुक्त की होगी। ऐसी चेतावनी यशवंत भोसले ने दी।

 

उच्च न्यायालय के निर्णय पर औद्योगिक न्यायालय पुणे ने लगाई मुहर,सुप्रिम कोर्ट ने भी सही ठहराया

राष्ट्रीय श्रमिक आघाडी के अध्यक्ष और नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड युनियन्स के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष यशवंत भोसले ने बताया कि पिंपरी चिंचवड मनपा में सन 1998-99 से स्वास्थ्य विभाग में 572 कर्मचारी ठेका प्रणाली से काम कर रहे थे। शहर के स्लम एरिया में शौचालय,सड़कों के कूड़ा कचरा उठाने,साफ सफाई करने,वायसीएम में स्वच्छता,मरीजों की देखभाल का काम किया करते थे। सभी कर्मचारी पालिका द्धारा नियुक्त सुलभ इंटरनेशनल,विशाल एंटरप्रायजेस और एम पी एंटरप्रायजेस नामक ठेका कंपनी में नियुक्त थे। लेकिन ये कर्मचारी पालिका के स्थायी कर्मचारियों की तरह समान वेतन,समान काम,सेवा में स्थायी नौकरी से वंचित रहे। 572 कर्मचारी राष्ट्रीय ़श्रमिक आघाडी संघटना के सदस्य है। यशवंत भोसले ने कर्मचारियों को न्याय दिलाने के लिए मनपा के तत्कालीन आयुक्तों से पत्राचार किया,लेकिन कोई प्रतिसाद न मिलने के बाद कोर्ट की शरण में गए। मुंबई उच्च न्यायालय में 2001 में याचिका क्र.2193/2001 दायर की। उच्च न्यायालय ने 24/2/2003 में आदेश दिया कि ठेका पर काम कर रहे कामगारों को काम से नहीं निकाला जा सकता। वेतन कितना होना चाहिए यह औद्योगिक न्यायालय पुणे निर्णय लें। अपर कामगार आयुक्त बी.के.पाटिल ने सभी कामगारों का रिकॉर्ड की जांच की और आदेश दिया कि काम के अनुसार ही वेतन दिया जाए,साथ ही वेतन का फरक का भुगतान किया जाना चाहिए। मनपा ने सुप्रिम कोर्ट में चुनौति दी। लेकिन सुप्रिम कोर्ट ने आदेश को सही ठहराते हुए बरकरार रखा।

 

औद्योगिक न्यायालय,पुणे ने क्या एतिहासिक आदेश सुनाया?

 

1) कामगार संघटना यह पंजिकृत है। इनको कामगारों के लिए न्याय मांगने का अधिकार है।

2) संघटना की ओर से किया दावा रेफरन्स(आयट) कानूनी रुप से योग्य है।

3) संघटना के सभासद कर्मचारी पिंपरी चिंचवड मनपा के कर्मचारी हैं,औद्योगिक न्यायालय ने यह मान्य किया।

4) संघटना की ओर से जो समान वेतन की मांग की गई वह योग्य है ऐसा औद्योगिक न्यायालय ने माना।

5) 572 में से 469 कर्मचारियों को मुंबई उच्च न्यायालय के आदेशानुसार फरक रकम देने में पालिका अवमानना याचिका में कर्मचारियों के पालिका ने इसके पूर्व 28 फरवरी 2019 को 16,09,79,646 रकम का भुगतान कर चुकी है। पिंपरी चिंचवड मनपा कर्मचारियों के अनुसार ठेका कर्मचारियों को वेतन दो,ऐसा आदेश औद्योगिक न्यायालय पुणे के पीठासीन अध्यक्ष के. एस.गौतम ने सुनाया है। मनपा की ओर से वकील एस बी मालेगावकर ने बहस में हिस्सा लिया तो राष्ट्रीय ़श्रमिक आघाडी की ओर से याचिकाकर्ता ने बहस की।

 

औद्योगिक न्यायलय के इस एतिहासिक निर्णय से देश के करोडों कामगारों की आस जगी है,इस निर्णय का आधार बनाकर करोडों कामगार अब न्याय पा सकते है। उनका ठेकेदार,संबंधित सरकारी संस्था शोषण नहीं कर सकेंगे। सरकारी कर्मचारियों की तरह ठेका कर्मचारियों को समान वेतन,समान काम की तर्ज पर रखा जाएगा। ऐसा दावा कामगार नेता यशवंत भोसले ने किया है।

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