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पिंपरी चिंचवड में 5 महिने में जन्मा देश का पहला बच्चा

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड शहर की जानी मानी प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ.शुभांगी कांबले ने कर दिखाया। गर्भाश्य में पल रहे 5 महिने की बेबी समय से पहले दुनिया में आने को आतुर थी। माता उज्जवला पवार और कालेवाडी तापकीर चौक स्थित साई कृपा हॉस्पिटल की प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभांगी कांबले दोनों की सांसें अटक गई। लेकिन डॉ.शुभांगी ने जच्चा -बच्चा दोनों को सुरक्षित और स्वस्थ्य बचाने का निर्णय लिया। मेडिकल से जुडी हर संभव इलाज को अपनाया और 5 महिने में ही 400 ग्राम वजन की बेबी को दुनिया में लाने की सफलता हासिल की। इसके बाद वाकड के सूर्या हॉस्पिटल में अहम भूमिका निभाते हुए तीन महिने बेबी को अपने हॉस्पिटल में कृत्रिम गर्भाश्य मशीन में रखकर जीवनदान दिया। अस्पताल में 94 दिनों के इलाज के बाद बेबी का वजन 400 ग्राम से बढकर 2,130 ग्राम हो गया है। अब बेबी आठ महीने की हो गई। अपने माता पिता के साथ घर पर स्वस्थ्य जीवन बीता रही है। ऐसी जानकारी पत्रकार परिषद में डॉ.शुभांगी कांबले ने दी। इस अवसर पर डॉ.बोरा, माता पिता शशीकांत पवार,उज्जवला पवार उपस्थित थे।

 

साईकृपा हॉस्पिटल की प्रसूति रोग तज्ञ विशेषज्ञ डॉ.शुभांगी कांबले का चमत्कार

साईकृपा अस्पताल की प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभांगी कांबले ने कहा, उज्ज्वला पवार को पिछले साल मई में डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके गर्भाशय के दो भाग थे, एक छोटा और एक बड़ा। इस गर्भावस्था में कम से कम 6 महीने तक प्रसव पीड़ा होने की संभावना रहती है। इसलिए प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने में मरीज को ज्यादा तकलीफ हो रही थी। इसलिए बैग का मुंह मार्च महीने में ही बंद कर दिया गया। उस समय चौथा महीना शुरू हो रहा था। छठे महीने तक मरीज को तीन बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पिछली बार जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब मरीज को उच्च रक्तचाप होने लगा था। उस वक्त प्रेग्नेंसी सिर्फ 24 हफ्ते की थी। प्रसव आमतौर पर 38 से 40 सप्ताह के बीच होता है।

 

94 दिन का चला बेबी के वजन बढने व स्वस्थ्य होने का इलाज

गर्भाशय को सातवें महीने तक खींचने के लिए आराम देने वाला इंजेक्शन दिया गया। तरह-तरह के इलाज किए गए। लेकिन, डिलीवरी 24वें हफ्ते में ही हो गई यानी 11 से 12 हफ्ते पहले। बच्चे का वजन महज 400 ग्राम था। तो यह एक बड़ी जटिलता थी। सांस में तकलीफ होने की वजह से सांस की नली डालनी पड़ी। ऐसे में बच्ची को सूर्या अस्पताल के नियोनेटल विभाग में भर्ती कराया गया। सूर्या में डॉक्टरों ने बच्चे को बचाने की भरसक कोशिश की। सांस लेने के लिए फेफड़े खोलने की दवाएं दी गईं। गर्भनाल के जरिए बच्चे को दवाइयां और पोषक तत्व दिए गए। डेढ़ महीने तक बच्ची का वेंटिलेटर पर इलाज चला। अस्पताल में 94 दिन के इलाज के बाद बच्ची का वजन 400 ग्राम से बढ़कर दो हजार 130 ग्राम हो गया है।

 

बेबी की माता-पिता ने डॉक्टरों का माना आभार

बच्ची की मां उज्ज्वला पवार ने कहा कि गर्भावस्था के चौथे और पांचवें महीने में तकलीफ शुरू होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुभांगी कांबले ने बहुत अच्छा व्यवहार किया। उनकी लड़ाई और डॉक्टर की कोशिश कामयाब रही। हमारा बच्चा अब ठीक है। मैं उन डॉक्टरों का दिल से शुक्रगुजार हूं जिन्होंने बच्चे को जीवन दिया।

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