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चिखली अस्पताल मोशी में स्थानांतरित पर ग्रामस्थों का तीव्र विरोध

पिंपरी-पिंपरी चिंचवड़ मनपा की ओर से चिखली में बनने वाले 850 बिस्तरों वाले अस्पताल को मोशी में स्थानांतरित कर दिया गया है। विकासभाऊ साने सोशल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के युवा नेता विकास साने ने कहा कि चिखली के नागरिक इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं और चिखली के नागरिक चिखली में इस नियोजित अस्पताल को बनाने के लिए आंदोलन करेंगे। फिर भी बात नहीं मानी गई तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

चिखली अस्पताल मोशी में स्थानांतरित पर ग्रामस्थों का तीव्र विरोध
विकास साने बुधवार (18) को पिंपरी में आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। इस अवसर पर पूर्व ग्राम पंचायत सदस्य सदाशिव नेवाले, विष्णु मोरे पाटिल, अंकुश भांगरे, बालासाहेब मोरे, साहेबराव रोडे, युवराज पवार, अप्पा साने, संतोष जाधव सहित अन्य उपस्थित थे। इस अवसर पर विकास साने ने कहा कि चिखली में जब यह अस्पताल बनने जा रहा था तब 214 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। उस समय जब क्षमता अस्पताल को मोशी में स्थानांतरित किया गया था, तब प्रशासन ने घोषणा की थी कि इसके लिए 450 करोड़ का प्रावधान किया गया है। विकास साने को डर है कि जब तक यह अस्पताल बनेगा तब तक यह आंकड़ा 900 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। प्रशासन और राजनीतिक नेताओं की मिलीभगत से यह भ्रष्टाचार नगर पालिका के खजाने पर अतिरिक्त बोझ डालेगा। अगर कार्यवाहक विधायक महेशदादा लांडगे ने इच्छा जताई तो इस अस्पताल को वापस चिखली में स्थानांतरित किया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो विकास साने ने कहा कि चिखली के नागरिकों की ओर से वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

वंजर जमींन अचानक वनीकरण कैसे घोषित?
इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए विकास साने ने बताया कि पिंपरी चिंचवड़ मनपा द्वारा 20 जनवरी 2021 को चिखली में बंजर भूमि पर स्वीकृत 850 बिस्तरों वाले अस्पताल को अचानक वनीकरण जमींन घोषित करकेअस्पताल मोशी में स्थानांतरित किया गया। इसको लेकर चिखली के नागरिकों में आक्रोश है। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी की समस्या जहां अब शांत हो रही है वहीं पालिका के लचर रवैये पर शहरवासी हैरानी जता रहे हैं। एक महीने पहले चिखली से अस्पताल को स्थानांतरित करने के लिए सत्ता पक्ष और नगरपालिका प्रशासन की सांठगांठ का एहसास होने पर पालिका के आयुक्त को पत्र लिखा था। मनपा ने लिखित जवाब दिया और कहा कि अस्पताल चिखली में नहीं बल्कि मोशी में स्थित होगा। इस बारे में और पूछताछ की गई तो बताया गया कि वन भूमि होने के कारण अस्पताल बनाने में दिक्कत आ रही है, हालांकि इस जमीन पर समूह संख्या 1653, 1654 में जल शोधन केंद्र जगद्गुरु तुकाराम महाराज संतपीठ पहले ही स्थापित हो चुका है। हालाँकि, भले ही उक्त भूमि वन विभाग के कब्जे में है, फिर भी एफसीए 1980 (वन संरक्षण अधिनियम) के अनुसार वनीकरण अधिनियम में आवश्यक परिवर्तन करके चिखली में एक अस्पताल स्थापित करना आसानी से संभव है।

इस जगह के दस्तावेजों में अन्य दावों के बीच अभी भी पिंपरी चिंचवड़ मनपा अस्पताल, फायर स्टेशन प्राइमरी स्कूल का जिक्र है। इस क्षेत्र में एक नगरपालिका अस्पताल बनाया जाएगा और एक बोर्ड लगाया गया है कि कोई भी यहां अतिक्रमण न करें। मैंने स्वयं इस जानकारी पर सेनापति बापट रोड, पुणे में वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से विस्तार से चर्चा की है और चिखली के नागरिकों के अधिकारों को केवल राजनीतिक उद्देश्यों से कुचला जा रहा है। इस मौके पर विकास साने ने फैसला लिया है कि यह फैसला चिखली के लोगों के साथ अन्यायपूर्ण है। चिखली के नागरिक सत्तापक्ष और प्रशासन पालिका की मिलिभगत को पर्दाफाश करेंगे और नाकाम करेंगे।

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