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पवना थडी स्टॉल आवंटन में 70% छोटे व्यवसायिकों का कब्जा,महिला बचत गट वंचित

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड़ मनपा शहर की महिलाओं को आर्थिक,आत्मनिर्भर और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने,महिलाओं में विपणन और बिक्री कौशल विकसित करने के उद्देश्य से 2007 से पवनाथड़ी मेले का आयोजन कर रहा है। पवना थड़ी मेले के आयोजन में मनपा प्रशासन लाखों रुपये फूंक देती है। इस साल भी पालिका ने 16 से 20 दिसंबर 2022 तक सांगवी में पवना थडी का आयोजन किया है और 800 स्टॉल लगाए गए हैं। पालिका के अधिकारी कह रहे हैं कि स्वयं सहायता समूहों को 750 स्टॉल आवंटित किए गए हैं। अधिकारियों के ये आंकडे भूलभूलैय्या वाले है। अधिकारियों और स्थानीय नेताओं की सांठगांठ से स्टॉल आवंटन में खूब गोलमाल हुआ है। महिला बचत गट के नाम पर धांधली की गई और बाहरी व्यवसायिकों को स्टॉल आवंटित की गई। ये व्यवसायिक निर्धारित नियमों का पालन नहीं कर रहे। बाजार पेठ की तुलना में ज्यादा महंगे दाम में वस्तुओं की बिक्री करते पाए गए। मल्टीस्टार कंपनियों द्धारा निर्मित वस्तुएं बेची जा रही है। एक रोटी की कीमत 70 रुपये और एक सब्जी की कीमत 80 रुपये प्लेट ग्राहकों से लिया जा रहा है। मेले का आज आखिरी दिन है। सवाल है कि पालिका ने महिला बचत गट की महिलाओं को सामने रखकर जिस उद्देश्य से यह पवना थडी वर्षों पहले शुरु की,क्या अपने उद्देश्यों में सफल हुई या विफल?

 

पवना थडी मेले के स्टॉलों पर व्यापारियों का कब्जा

पिंपरी चिंचवड शहर की स्व-निर्मित महिलाओं के स्व-निर्मित सामानों के लिए बाजार उपलब्ध कराने के लिए जहां पवना थडी का आयोजन किया जाता है, वहीं कई स्टॉल वास्तव में पिंपरी चिंचवड शहर के बाहर के लोगों ने हडपा हैं, और अधिकांश स्टॉलों में तैयार माल बेचे जा रहे हैं। कई स्टॉल पर ऐसी चीजें बिकती हैं जो जानी-मानी कंपनियों की लगती हैं। स्पष्ट है कि शहर के अन्यत्र व्यवसाय करने वाली अनेक महिलाओं ने स्टॉल लगा रखे हैं, इसलिए केवल महिला स्वयं सहायता समूह के नाम का ही प्रयोग किया जाता है, लेकिन स्टॉलों पर छोटे व्यवसायी ही बेचते पाए जाते गये है। छोटे व्यवसायिक बाहरी है,जनप्रतिनिधियों ने स्थानीय किसी महिला के नाम स्टॉल हडपकर अपने चहेते बाहरी व्यवसायिकों को चोर दरवाजे से एन्ट्री दिलाने में कामयाब हुए है।

 

पालिका अधिकारियों पर जनप्रतिनिधियों का दबाव

पालिका के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जनप्रतिनिधियों का भारी प्रेशर आता है। अपने चहेतों के नामों की लिस्ट देते है। 70% स्टॉल धारक जनप्रतिनिधियों के चेहते पाते है जो शहर से बाहर के होते है केवल 20% महिला बचत गट की महिलाओं को स्टॉल मिलते है। जनप्रतिनिधियों के बढ़ते दबाव के आगे पालिका के अधिकारी,कर्मचारी भी नतमस्तक दिखाई देते है।

 

जनप्रतिनिधियों का बढ़ता हस्तक्षेप

जहां पवना थडी में महिला स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधियों को वरीयता दिए जाने की उम्मीद थी, वहीं कई स्टॉल धारक शहर के बाहर के और जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों के परिचित बताए जा रहे हैं। कुछ स्टॉल धारकों से इस बारे में चर्चा की तो पवना थड़ी मेले में मात्र 10 से 15 प्रतिशत स्टॉल शहर के महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामानों के हैं, जबकि अधिकांश छोटे व बड़े व्यवसायिक समूहों पर आरोप है कि पवना थाड़ी पर उनका कब्जा है। अतः स्पष्ट है कि पालिका हर साल पवना थाडी के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिए लाखों रुपये खर्च करता है। अगले वर्ष पवना थडी का आयोजन करते समय पिंपरी चिंचवड शहर में रहने वाली महिलाएं और इन महिलाओं को घर में बने सामान को बेचने को तरजीह देनी चाहिए ताकि महिला सशक्तिकरण के मकसद को हासिल किया जा सके। साथ ही पवना थडी मेले के स्टॉल आवंटन में जो पालिका प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्धारा लूट हुई है उसकी गहन जांच पालिका आयुक्त को करनी चाहिए। दोषी अधिकारी,कमचारियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसी मांग कई शहर की कई महिला बचत गट ने की है।

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