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देश की राष्ट्रपति एक शिक्षक,गर्व की बात-आयुक्त शेखर सिंह

शिक्षकों के कंधों पर छात्रों का भविष्य और राष्ट्र का निर्माण-श्रीरंग बारणे

पिंपरी- मानव जाति की दृष्टि से शिक्षकों का पद महत्वपूर्ण है और छात्रों के भविष्य के निर्माण के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण और संस्कारी पीढ़ी के निर्माण का कार्य इन्हीं के हाथों होता है। मावल लोकसभा क्षेत्र से सांसद श्रीरंग बारणे ने शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पुरस्कार से सम्मानित करना खुशी का क्षण है। पिंपरी चिंचवड मनपा के आयुक्त एवं प्रशासक शेखर सिंह ने जोर देकर कहा कि सभी शिक्षकों को छात्रों को केंद्र मानकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देना चाहिए और छात्रों और शिक्षकों के बीच संबंधों को मजबूत करना चाहिए।

 

मनपा आयुक्त शेखर सिंह और सांसद श्रीरंग बारणे के हाथों मेघावी शिक्षक पुरस्कृत

पिंपरी चिंचवड़ मनपा ़शिक्षा विभाग की ओर से प्रो.रामकृष्ण मोरे सभागार में विभिन्न पुरस्कार समारोह जैसे अनुकरणीय विद्यालय और मेधावी शिक्षकों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मान्यवर अपने विचारों की गंगा बहा रहे थे। इस मौके पर पालिका के स्कूलों में लागू पीसीएमसी पैटर्न का उद्घाटन किया गया। अतिरिक्त आयुक्त विकास ढाकणे,शिक्षा विभाग के उपायुक्त संदीप खोत,खेल विभाग के उपायुक्त विट्ठल जोशी, प्रशासन अधिकारी संजय नाइकेडे,सहायक प्रशासन अधिकारी रोहिणी शिंदे,विशेष अधिकारी किरण गायकवाड़,शिक्षा विभाग की पर्यवेक्षक अनीता जोशी,पुणे मनपा के पूर्व मेयर दत्तात्रेय गायकवाड़,सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के प्रो.श्रीरंजन अवटे,आकांक्षा फाउंडेशन की निदेशक जयश्री ओबेरॉय,लीडरशिप फॉर इक्विटी के मयूरेश भोइटे सहित पुरस्कार विजेता,शिक्षक और नागरिक उपस्थित थे।

 

विद्यालयों में अंग्रेजी की जगह स्थानीय भाषा को वरीयता मिलें-श्रीरंग बारणे

सांसद श्रीरंग उर्फ अप्पा बारणे ने कहा, शिक्षक न केवल वेतनभोगी कर्मचारी होते हैं बल्कि कभी-कभी वे छात्र के शिक्षक के साथ-साथ माता-पिता, भाई बहन जैसी विभिन्न भूमिकाएँ निभाते हैं। इसके माध्यम से वे छात्रों को बेहतर बनाने के साथ-साथ उनके जीवन को आकार देने का काम करते हैं। वे सरकार द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को भी ईमानदारी से निभाते हैं। पिंपरी चिंचवड़ मनपा के माध्यम से पालिका के स्कूलों को पर्याप्त सेवा सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इस शहर में कार्यरत शिक्षक एक मायने में भाग्यशाली हैं। लेकिन ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षक विपरीत परिस्थितियों से पार पाकर ईमानदारी से ज्ञान देने का कार्य करते हैं। मराठी माध्यम में प्रवेश लेने का चलन कम हुआ है और अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा लेने की दर बढ़ती जा रही है। हालांकि, स्थानीय क्षेत्रीय भाषाओं को वरीयता दी जानी चाहिए। छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए नगर पालिका प्रयासरत है। पालिका के स्कूली छात्र सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं। इस अवसर पर उन्होंने आशा व्यक्त की कि शिक्षकों को उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी है और वे इसे ईमानदारी से निभाएं।

 

देश की राष्ट्रपति एक शिक्षक,गर्व की बात-आयुक्त शेखर सिंह

आयुक्त और प्रशासक शेखर सिंह ने कहा, यह गर्व की बात है कि देश में सर्वोच्च पद संभालने वाली महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक शिक्षक के रूप में कार्यरत थीं। शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा सुधार की गुंजाइश रहती है। पालिका के स्कूल में प्रत्येक छात्र का मूल्यांकन करने और शिक्षा में उसकी प्रगति की जांच करने पर जोर दिया जाएगा। कोरोना के दौरान छात्र वास्तव में स्कूल नहीं जा सके। इसलिए सभी को उनकी शैक्षिक गुणवत्ता पर प्रभाव को देखते हुए छात्रों की गुणवत्ता में सुधार करने का प्रयास करना चाहिए।

 

मनपा के विद्यालय देश में बनेंगे एक आदर्श मॉडेल-विकास ढाकणे

अतिरिक्त आयुक्त विकास ढाकणे ने पालिका के स्कूलों में लागू पीसीएमसी पैटर्न की जानकारी दी। इस अवसर पर उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यदि मनपा के विद्यालयों के छात्रों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, तो वे शहर के समग्र विकास के साथ-साथ उसकी प्रतिष्ठा में भी इजाफा करेंगे। अगले कुछ वर्षों में,बाहरी राज्यों के व्यक्ति, स्कूल और संगठन मनपा के स्कूलों का दौरा करने आएंगे,पालिका के विद्यालयों को एक आदर्श मॉडेल आने वाले दिनों में बनाएंगे। उन्होंने शिक्षकों से इस पहल को सफल बनाने के लिए शिक्षकों,प्राचार्यों और अभिभावकों की भागीदारी के साथ हर संभव प्रयास करने की अपील की।

 

इन शिक्षकों का पुरस्कार से सम्मान

इस अवसर पर अनुकरणीय शिक्षकों उषा तपकीर, अलका बेलापुरकर, जयश्री गायकवाड़, अपर्णा साल्वी, सुजाता लोखंडे, वनिता नेहे, सविता माने, अरुणा महानवर, मंगल राउत, शीतल काकड़े, कल्पना जाधव, अपर्णा ढोरे, सहित अनुकरणीय शिक्षकों और स्कूलों को पुरस्कार दिए गए। शोभा तिलकर, सुनीता शिंदे, माधुरी कुलकर्णी, दिव्या भोसले, हंसा लोहार, विद्यारानी वाल्हेकर, सुजाता श्रीसुंदर, आशा देशमुख, सुमंगल चोपडे, आशा निगड़े, नीता खाड़े और आदर्श शिक्षक संदीप वाघमारे, दत्तात्रेय पवार, संतोष भोटे, सुभाष कांबले, राजू कांबले,नवनाथ शिंदे, विजय लोंधे, विलास पाटिल, राजेंद्र कांगुडे, विक्रम मोरे शामिल हैं। आदर्श विद्यालयों में कुदलवाड़ी प्राथमिक विद्यालय नं। 89, जयवंत प्राथमिक विद्यालय भोईरनगर, माध्यमिक विद्यालय थेरगांव, यशस्वी माध्यमिक विद्यालय मोशी को आदर्श विद्यालय पुरस्कार दिया गया। श्रीमती लीलाबाई कांतिलाल खिंवसरा, प्राथमिक विद्यालय मोहननगर,आकांक्षा फाउंडेशन द्वारा संचालित नगर अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालय बोपखेल को विशेष योग्यता पुरस्कार दिए गए। अन्नामृत फाउंडेशन को सामाजिक आभार पुरस्कार दिया गया।

 

प्रो.श्रीरंजन अवटे का भविष्यकालीन चुनौतियों पर व्याख्यान

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और लेखक श्रीरंजन अवटे ने समकालीन शिक्षा के सामने आने वाली चुनौतियों के विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रशासन अधिकारी संजय नायकेड़े ने किया, जबकि कार्यक्रम का सूत्रसंचालन शिक्षा विभाग के अविनाश वालुंज ने किया।

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