पुणे- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 415 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। ईडी ने कहा कि ये संपत्तियां यस बैंक-डीएचएफएल गबन मामले में पुणे स्थित व्यवसायी अविनाश भोसले और बिल्डर संजय छाबड़िया की हैं। ईडी ने भोसले से संबंधित 164 करोड़ रुपये और छाबड़िया से संबंधित 251 करोड़ रुपये की संपत्ति पर नज़र रखी है। ईडी इस मामले में अब तक 1827 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर चुका है।
यस बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष राणा कपूर ने डीएचएफएल को 3,983 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। कपूर परिवार द्वारा नियंत्रित डूइट अर्बन वेंचर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड। इस कंपनी को ऋण के रूप में 600 करोड़ रुपये दिए गए थे। उसके बाद यस बैंक ने बांद्रा रिक्लेमेशन प्रोजेक्ट के लिए डीएचएफएल कंपनी के एक समूह आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को 750 करोड़ रुपये का एक और ऋण दिया। उस राशि को कपिल वधावन और धीरज वधावन ने डायवर्ट किया था। इस मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद सीबीआई ने इस रकम की और जांच की और भोसले को कंसल्टेंसी फीस के तौर पर 68 करोड़ रुपये मिले। भोसले को यह राशि 2018 में तीन परियोजनाओं के लिए मिली थी। इनमें एवेन्यू 54 और वन महालक्ष्मी, दो परियोजनाएं निर्माण व्यवसायी संजय छाबड़िया द्वारा विकसित की गई थीं।
भोसले को वर्ली में एक झुग्गी पुनर्विकास परियोजना में परामर्श शुल्क भी मिला। यह दिखाया गया था कि भोसले की कंपनियों से परियोजना की संभावित लागत,वास्तुशिल्प और इंजीनियरिंग डिजाइन,परियोजना निर्माण और अनुबंध,वित्तीय मूल्यांकन और संरचना पर परामर्श किया गया था। लेकिन सीबीआई जांच में पाया गया कि भोसले की कंपनियों ने ऐसी कोई सुविधा नहीं दी थी।
इसके अलावा संजय छाबड़िया के रेडियस ग्रुप द्वारा डीएचएफएल से लिए गए 2000 करोड़ रुपये के कर्ज में से 292 करोड़ 50 लाख रुपये भोंसले के जरिए डायवर्ट किए गए। आरोप है कि यह राशि दो कंपनियों के जरिए डायवर्ट की गई।