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धरती से चंद्रमा-मंगल तक बुलेट ट्रेन: जापान की नई उड़ान

टोक्यो- दुनिया में स्पेस के लिए एक रेस चल रही है। मुकाबला है अंतरिक्ष में सबसे पहले अपने पैर जमाने का। कोई चांद पर बेस बनाना चाहता है तो कोई मंगल ग्रह पर कॉलोनी। इस बीच काजिमा कंस्ट्रक्शन की मदद से जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक कृत्रिम अंतरिक्ष शहर और पृथ्वी, चंद्रमा और मंगल को जोड़ने वाली इंटर-प्लेनेटरी ट्रेनों के निर्माण की घोषणा की है। वैज्ञानिक अब सिर्फ अंतरिक्ष में जाने का सपना नहीं देख रहे बल्कि यह नए दौर की स्पेस रेस है जो शुरू हो चुकी है।

 

पिछले हफ्ते एक प्रेस कान्फ्रेंस में टीम ने ’ग्लास’ स्ट्रक्चर विकसित करने की अपनी भविष्य की योजनाओं की घोषणा की,जिसमें शून्य और कम गुरुत्वाकर्षण में ह्यूमन मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम को ’कमजोर होने’ से बचाने के लिए पृथ्वी जैसा गुरुत्वाकर्षण और वातावरण होगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण और वातावरण से बाहर रहने में कई तरह के रिस्क होते हैं। खासकर अंतरिक्ष में बच्चों को जन्म देना और भी जटिल होता है। हालांकि इसके प्रभावों का अध्ययन नहीं किया गया है। माना जाता है कि स्पेस में पैदा होने वाले बच्चे धरती पर लौटने के बाद अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते।

 

स्पेस के शहर में होगी हरी घास और ग्रैविटी

क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन का उद्देश्य ’द ग्लास’ का निर्माण करना है। कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण वाली इस शंक्वाकार संरचना में पब्लिक ट्रांसपोर्ट, हरी घास और वाटर सिस्टम के साथ धरती जैसी सुविधाएं मौजूद होंगी। पिछले हफ्ते प्रेस कान्फ्रेंस में, इस संरचना का कंप्यूटर मॉडल दिखाया गया जिसमें नदियां, पानी और इंसानों के रहने के लिए पार्क जैसी सुविधाओं को दिखाया गया।

 

2050 तक सामने आ सकता है नमूना

इसका आकार एक उल्टा कोन जैसा था जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की नकल करने के लिए घूम रहा था। इसकी ऊंचाई लगभग 1300 फीट और 328 फीट रेडियस चौड़ाई थी। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि 2050 तक वे इसका नमूना तैयार कर लेंगे। शोधकर्ता इंटरप्लेनेटरी ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम का भी सपना देख रहे हैं, जिसे ’हेक्साट्रैक’ कहा जाता है। यह कम गुरुत्वाकर्षण में लंबी दूरी की यात्रा के दौरान भी 1ॠ का गुरुत्वाकर्षण बनाए रखता है। हेक्साकैप्सूल हेक्सागोनल आकार के कैप्सूल होते हैं।

 

अंतरिक्ष में चलेगी ’स्पेस एक्सप्रेस’

पृथ्वी और चंद्रमा के बीच एक छोटा मिनी-कैप्सूल (15 मीटर की त्रिज्या वाला) और पृथ्वी और मंगल और चंद्रमा और मंगल के बीच यात्रा करने वाला एक बड़ा कैप्सूल (30 मीटर की त्रिज्या वाला) होगा। पृथ्वी पर ट्रैक के स्टेशन को ’टेरा स्टेशन’ कहा जाएगा जबकि छह डिब्बों वाले मानक गेज ट्रैक पर चलने वाली ट्रेन को ’स्पेस एक्सप्रेस’ कहा जाएगा। यह बेस शहरों को जोड़ने वाले गेज पर एक हाई-स्पीड रेलवे के रूप में चंद्रमा और मंगल पर काम करेगा।

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