पिंपरी- पिंपरी-चिंचवड़ मनपा आयुक्त ने पालिका के अस्पतालों और क्लीनिकों में मुफ्त इलाज बंद करने का फैसला लिया है। राकांपा के शहर अध्यक्ष अजीत गव्हाणे ने मांग की है कि आयुक्त शहर के गरीब लोगों के हित को देखते हुए फैसला तुरंत रद्द करे। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो जन आंदोलन शुरू किया जाएगा।
8 अस्पतालों,29 औषधालयों में फ्री सुविधा बंद
पिंपरी-चिंचवड़ पालिका आयुक्त और प्रशासक राजेश पाटिल ने अब तक पालिका के 8 अस्पतालों और 29 औषधालयों में उपलब्ध मुफ्त इलाज और दवा की सुविधा को बंद करने का फैसला किया है। अगले हफ्ते से प्रभावी होने वाले इस फैसले का शहर के सबसे गरीब नागरिकों पर गहरा असर पड़ेगा। साथ ही पहले नारंगी राशन कार्ड धारकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता था और अब इन नागरिकों को भी इसे बदलकर शुल्क का भुगतान करना होगा। इसलिए अजीत गव्हाणे ने कमिश्नर के इस फैसले का विरोध किया है।
पालिका के अस्पताल गरीबों के लिए जीवनदायनी
इस संबंध में गव्हाणे ने एक पत्र जारी कर कहा है कि आम जनता को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना पालिका का कर्तव्य है। अब तक पालिका के अस्पताल में इलाज और सर्जरी की वजह से कई लोगों की जान बचाई जा चुकी है। इसलिए मुफ्त इलाज से गरीब मरीजों को राहत मिली है। आयुक्त को मुफ्त इलाज बंद करने पर पुनर्विचार करना चाहिए और जनहित में पहले की तरह मुफ्त इलाज जारी रखना चाहिए। मुफ्त इलाज बंद करने के फैसले का एनसीपी ने कड़ा विरोध किया है और कमिश्नर को तुरंत अपना फैसला वापस लेना चाहिए, नहीं तो इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर जन आंदोलन होगा। ऐसी चेतावनी राकांपा के शहर अध्यक्ष अजीत गव्हाणे ने दी है।
भ्रष्टाचार बंद करो
पिछले पांच साल से पालिका में सत्ता में रही भाजपा ने भी चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है। चिकित्सा आपूर्ति और दवाओं की खरीद जैसे मामले भ्रष्ट भाजपा नेताओं के चंगुल से नहीं छूटे हैं। अजीत गव्हाणे ने यह भी कहा है कि अगर पालिका के चिकित्सा विभाग में भाजपा द्वारा बनाया गया भ्रष्टाचार बंद हो जाता है, तो फीस में वृद्धि की कोई आवश्यकता नहीं होगी। गव्हाणे ने यह भी मांग की है कि चिकित्सा अधिकारी, ठेकेदार और भाजपा नेता भ्रष्ट श्रृंखला को तोड़ें।