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एकनाथ शिंदे का राजतिलक…महाराष्ट्र में शिंदे सरकार

मुंबई- महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने आज शाम 7.30 बजे एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ दिलायी। जबकि देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री पद के लिए शपथ दिलायी गई। मुंबई के राजभवन दरबार हॉल में शपथग्रहण समारोह का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर भाजपा कई सीनियर नेता,विधायक मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह के चलते देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल हुए। बताया जा रहा है कि मोदी ने फडणवीस को दो बार फोन करके सरकार में शामिल होने के लिए कहा। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने भी ट्विट करके फडणवीस के सरकार में शामिल होने के लिए जानकारी दी।

 

ऑटो रिक्शा के ड्राइवर से मंत्री तक का सफर

महाराष्ट्र में 9 फरवरी 1964 को जन्मे एकनाथ शिंदे सतारा जिले के पहाड़ी जवाली तहसील से आते हैं और मराठी समुदाय से हैं। एकनाथ शिंदे ने 11वीं कक्षा तक ठाणे में ही पढ़ाई की और इसके बाद वागले एस्टेट इलाके में रहकर ऑटो रिक्शा चलाने लगे। ऑटो रिक्शा चलाते-चलाते एकनाथ शिंदे अस्सी के दशक में शिवसेना से जुड़े गए और पार्टी के एक आम कार्यकर्ता के तौर पर अपना सियासी सफर शुरू किया है।

 

ठाणे जिले के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिनती

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से सटे ठाणे जिले के सबसे प्रभावशाली नेताओं में एकनाथ शिंदे की गिनती होती है। लोकसभा का चुनाव हो या नगर निकाय का, ठाणे में जीत के लिए एकनाथ शिंदे का साथ जरूरी माना जाता है। हालांकि, एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में जमीनी कार्यकर्ता के तौर पर काम किया और ठाणे के प्रभावशाली नेता आनंद दीघे के उंगली पकड़कर आगे बढ़े। एकनाथ शिंदे 1997 में ठाणे महानगर पालिका से नगरसेवक चुने गए और 2001 में पालिका सदन में विपक्ष के नेता बन। इसके बाद दोबारा साल 2002 में दूसरी बार निगम पार्षद बने। इसके अलावा तीन साल तक पॉवरफुल स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य रहे। हालांकि, दूसरी बार पार्षद चुने जाने के दो साल बाद ही विधायक बन गए, लेकिन शिवसेना में सियासी बुलंदी साल 2000 के बाद छू सके।

 

ठाणे इलाके में शिवसेना के दिग्गज नेता आनंद दीघे का साल 2000 में निधन हो गया। इसके बाद ही बाद ठाणे में एकनाथ शिंदे आगे बढ़े। इसी बीच 2005 में नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ दी, जिसके बाद एकनाथ शिंदा का कद पार्टी में बढ़ता चला गया। राज ठाकरे के शिवसेना छोड़ने के बाद एकनाथ शिंदे का ग्राफ शिवसेना में तो बढ़ा ही बढ़ा और ठाकरे परिवार के करीबी भी बन गए। उद्धव ठाकरे के साथ एकनाथ मजबूती से खड़े रहे।

 

चौथी बार के विधायक हैं एकनाथ शिंदे

मातोश्री के सबसे करीबी नेताओं की लिस्ट में एकनाथ शिंदे का नाम सबसे पहले लिया जाता था। एकनाथ शिंदे ठाणे की कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से साल 2004 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे। शिवसेना के टिकट पर 2004 में पहली बार विधानसभा पहुंचे शिंदे इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में भी विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। इतना ही नहीं एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे भी शिवसेना के टिकट पर कल्याण लोकसभा सीट से सांसद हैं। इस तरह से एकनाथ शिंदे ने नगर पलिका के नगरसेवक से विधायक और मंत्री तक का सफर तय किया।

 

2019 में चुने गए थे विधायक दल के नेता

एकनाथ शिंदे देवेंद्र फडणवीस मंत्रिमंडल के ताकतवर मंत्रियों में से एक थे तो उनकी सियासी तूती बोलती थी। साल 2019 की चुनावी जंग जीतकर जब वे चौथी बार विधानसभा पहुंचे, शिवसेना और उसकी तब गठबंधन सहयोगी रही बीजेपी के बीच बात बिगड़ गई। शिवसेना विधायक दल की बैठक में एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। तब आदित्य ठाकरे को नेता चुने जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं। शिवसेना विधायक दल की बैठक में आदित्य ठाकरे ने ही एकनाथ शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा और उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया गया।

 

पहले भी सीएम की रेस में था शिंदे का नाम

साल 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान उद्धव ठाकरे ने एक इंटरव्यू में कहा था कि महाराष्ट्र में एक शिवसैनिक ही सीएम बनेगा। उद्धव ने कहा था कि ये वचन मैंने बालासाहेब ठाकरे को दिया था। ऐसे में महा विकास आघाड़ी की सरकार बन रही थी तो एकनाथ शिंदे का नाम बतौर सीएम सबसे तेजी से उभरा था। उस वक्त शिवसेना के विधायक और नेता भी उनके नाम पर तैयार थे, लेकिन एनसीपी और कांग्रेस इस पर सहमत नहीं थे। महा विकास आघाड़ी से उद्धव ठाकरे के सामने आने से एकनाथ शिंदे के अरमानों पर पानी फिर गया। हालांकि, उससे पहले एकनाथ शिंदे के समर्थक जगह-जगह उन्हें भावी सीएम बताने वाले पोस्टर लगाने लगे थे।

 

एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सरकार बनाने के पक्ष में थे, लेकिन उद्धव ठाकरे के सीएम बनने के बाद खामोशी अख्तियार कर ली थी। ऐसे में उन्हें उद्धव सरकार में नगर विकास जैसा भारी भरकम मंत्रालय दिया गया, जिससे उनके सियासी कद का अंदाजा लगाया था सकता है।

 

हादसे में हो गई थी बच्चों की मौत

एक हादसे में शिंदे ने अपने 2 बच्चों को खो दिया था। उनका बेटा और बेटी उनकी आंखों के सामने सतारा में डूब गए थे। इस घटना के बाद शिंदे एकांतप्रिय हो गए थे। उन्होंने राजनीति छोड़ दी थी। वह तब शिवसेना के नगरसेवक थे। लेकिन आनंद दिघे उन्हें दोबारा सार्वजनिक जीवन में वापस लाए और उन्हें ठाणे मनपा में सदन का नेता बनाया।

 

11 करोड़ की संपत्ति, 18 केस भी चल रहे

2019 के विधानसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे ने जो हलफनामा दिया था उसके अनुसार उनके ऊपर कुल 18 आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें आग या विस्फोटक पदार्थ से नुकसान पहुंचाने, गैरकानून तरीके से इकट्ठा हुई भीड़ का हिस्सा होना, सरकारी कर्मचारी के आदेशों की अवहेलना करने जैसे आरोप हैं। इस हलफनामे के मुताबिक शिंदे के पास कुल 11 करोड़ 56 लाख से ज्यादा की संपत्ति है। इसमें 2.10 करोड़ से ज्यादा की चल और 9.45 करोड़ से ज्यादा की अचल संपत्ति घोषित की गई थी।

 

छह कारें और एक टैम्पो भी है शिंदे के पास

चुनावी हलफनामे के मुताबिक शिंदे के पास कुल छह कारें हैं। इनमें से तीन शिंदे के नाम और तीन उनकी पत्नी के नाम पर हैं। शिंदे की पत्नी के नाम पर एक टैम्पो भी है। शिंदे की छह कार के जखीरे में दो इनोवा, दो स्कॉर्पियो, एक बोलेरो और एक महिंद्र अर्मडा है। शिंदे के पास एक पिस्टल और एक रिवॉल्वर भी है।

 

कॉन्ट्रैक्टर हैं शिंदे और उनकी पत्नी

चुनावी हलफनामे में शिंदे ने खुद को कॉन्ट्रैक्टर और बिजनेसमैन बताया है। उनकी पत्नी भी कंस्ट्रक्शन का काम करती हैं। शिंदे ने विधायक के तौर पर मिलने वाली सैलरी, घरों से आने वाले किराये और इंटरेस्ट से होने वाली कमाई को अपनी आय का स्त्रोत बताया है।

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