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दिपक मेवानी ने 5000 गरीब परिवार को बांटा अन्नधान्य का किट

पिंपरी-पिंपरी चिंचवड शहर में दौलतमंद लोग बहुत है लेकिन किसी गरीब को रोटी,प्यासे को पानी पीलाने वाले कम ही लोग है। शहर में कुछ दानवीर है जो गरीब,जरुरतमंदों की दोनों हाथों से खुलकर मदद करते है। इसमें से एक नाम है पिंपरी कैम्प के बिजनेसमैन दिपक मेवानी का।

 

32 किलो का 1 किट

सिटी और गिव फाउंडेशन के संयुक्त सहयोग से पिंपरी कैम्प में रहने वाले बिजनेसमैन और सामाजसेवक दिपक मेवानी ने पिछले 7 दिनों से गरीबों और जरुरतमंदों को अन्नधान्य का किट वितरण कर रहे है। आजतक उन्होंने 5 हजार परिवारों को मुफ्त अन्नधान्य का किट बांटा। एक किट 32 किलो का है,जिसमें गेंहू का आटा,चावल,चीनी,दाल,रवा,पोहा,चाय पत्ती,हलदी का पाकिट,मसाला,नमक इत्यादि वस्तुएं को मिलाकर एक किट तैयार किया गया है। टेम्पो,ट्रकों में माल उनके निवास स्थान,साधू वासवानी गार्डन के पास लाया जाता है और वहीं गरीब,जरुरतमंद परिवारों को एक एक किट वितरित होता है।

 

कहां कहां के लाभार्थियों ने लाभ उठाया?

इस नेक कार्य में दिपक मेवानी की नगरसेविका पत्नी कोमल मेवानी,बच्चे भी सहयोग कर रहे हैं। अनिल मेवानी,हर्ष मेवानी,दीनू मेवानी, रंगा साळवे,अमरजीत यादव,रंगा साळवे,रमेश शिंदे,विजू कोलके,सोनू सिरसाठ,नम्रता भाट,समेत कई कार्यकर्ता गरीबों की सेवा में लगे है। सुभाषनगर,मिलिंदनगर,बौद्धनगर,रमाबाईनगर,भीमनगर,आंबेडकर कॉलोनी,बौद्धनगर एमआयडीसी,भाटनगर,अदर्शनगर,बलदेवनगर,संजय गांधीनगर,गांधीनगर,वाल्मिकीनगर परिसर से अबतक 5000 परिवार ने मुफ्त अन्नधान्य किट का लाभ उठाया।

 

गरीबों की सेवा ईश्वर की सेवा-दिपक मेवानी

दिपक मेवानी का मानना है कि गरीब की सेवा ईश्वर की सेवा। कोरोना,लॉकडाउन काल में लोगों के हाथ से काम छीन गया। लोग बेरोजगार होकर घरों में बैठ गए थे। उस समय भी कोई गरीब भूखा न सोए,इस मनोभावना के साथ गरीबों,जरुरतमंदों की हरसंभव मदद की गई थी। आज कोरोना कम हुआ,उद्योग धंधे,बाजारपेठ शुरु हो चुके है। लेकिन अधिकांश लोग जो नौकरी गंवा चुके थे आज भी कुछ लोग काम की तलाश में भटक रहे है। ऐसी परिस्थिति में अन्नधान्य का किट बांटकर थोडा राहत देने का कार्य किया जा रहा है। मेवानी ने कहा कि यह हमारा सामाजिक दायित्व बनता है कि हर गरीब जरुरतमंदों की मदद करना।

 

भूखे को रोटी,प्यासे को पानी पिलाने वाला सच्चा जनप्रतिनिधि

लोग चाहे इसे राजनीति,चुनावी एंगल से भले ही देखें,मगर 5 हजार परिवारों को मुफ्त अनाज बांटने के लिए बडा जिगर चाहिए। कुछ ऐसे मान्यवर भी है जो कई बार नगरसेवक निर्वाचित हुए,बडे बिल्डर,व्यवसायिक,ठेकेदार बन बैठे है मगर कभी भी गरीबों की मदद के लिए आगे नहीं आए। कोरोना काल में जब लोग एक एक दाने के लिए मोहताज थे तब भी दौलतमंद नगरसेवकों ने गरीबों,झुग्गी वालों के लिए मदद का हाथ नहीं बढ़ाया। ऐसे हालात में दिपक मेवानी बिना कोई स्वार्थ,भेदभाव के आगे आए और यथाशक्ति के अनुसार दिल से लोगों की मदद की,आज भी मदद का सिलसिला जारी है। जो भूखे को रोटी खिला दे,प्यासे को पानी पिला दे वही तो ईश्वर का दूसरा रुप होता है।

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