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गुडी पडवा क्या जुडी हैं भगवान श्रीराम और छत्रपति शिवाजी महाराज की कथाएं ?

पुणे- चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्रि शुरू होतीं हैं और इसी दिन गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जाता है। आपको बात दें किहिंदू नववर्ष की शरुआत भी इसी दिन से होती है। वहीं इस साल गुड़ी पड़वा का पर्व 2 अप्रैल को मनाया जाएगा। गुड़ी पड़वा को भारत के दक्षिणी प्रांतों में उगादी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और इस दिन से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें

 

तिथि- 2 अप्रैल 2022, शनिवार

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 1 अप्रैल, शुक्रवार सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू

आपको बता दें कि गुड़ी पड़वा में ‘गुड़ी’ शब्द का अर्थ ‘विजय पताका’ और पड़वा का अर्थ प्रतिपदा तिथि से है। साथ ही चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा पर्व के मौके पर प्रत्येक घर में विजय के प्रतीक स्वरूप गुड़ी सजाई जाती है और लोग हर्ष उल्लास के साथ इसे मनाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन अपने घर को सजाने और गुड़ी फहराने से घर में सुख समृद्धि आती है और बुराइयों का नाश होता है।

 

फसल की होती है इस दिन पूजा:

इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है क्योंकि मराठियों के लिए ये पर्व नए साल की शुरुआत होती है। इस दिन फसल की पूजा भी की जाती है।

 

लोग बनाते हैं रंगोली:

इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं तथा रंगोली बनाते हैं। साथ ही इस खास मौके पर लोग अपने घरों के गेट पर आम के पत्तों से बंदनवार बनाकर सजाते हैं। मान्यता है बंदनवार मुख्य गेट पर बांधने से घर में सुख और समृद्धि का वास होता है। साथ ही गुड़ी पड़वा पर महिलाएं अपने घर के बाहर गुड़ी लगाती हैं।

 

बनाते हैं यह पकवान:

आपको बात दें कि गुड़ी पड़वा के त्योहार पर लोग पूरन पोली बनाते हैं जो महाराष्ट्र का जाना माना पकवान होता है। साथ ही परिवार के लोग इसे एक साथ बैठकर खाते हैं।

 

भगवान राम अयोध्या लौटे थे:

शास्त्रों के अनुसार इस पर्व को लेकर ये भी प्रचलित है कि इस दिन रावण का विनाश करने के बाद भगवान राम माता सीता को लेकर अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे।

 

छत्रपति शिवाजी ने पहली बार मनाया था यह पर्व:

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, युद्ध में जीत मिलने के बाद मराठों के प्रख्यात राजा छत्रपति शिवाजी ने ही पहली बार गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया था। तभी से हर एक मराठा इस पर्व को हर साल मनाता आ रहा है।

 

नीम की पत्तियां खाने की है परंपरा:

आपको बता दें कि गुड़ी पड़वा पर नीम की पत्तियों को खाने की परंपरा है। ऐसा कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा पर नीम की पत्तियों का सेवन करने से खून साफ होता है जिससे इंसान रोग मुक्त रहता है और उसके मन में सकारात्मक विचार आते हैं।

 

इस दिन घर में लाया जाता है गुड़ी:

इस दिन घर में गुड़ी लाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि ये घर की सुख-समृद्धि को बढ़ाता है तथा नकारात्मक चीजों को घर से दूर रखता है।

 

सूर्य देव की जाती है आराधना:

इस पर्व पर सूर्य देव की विशेष आराधना भी की जाती है। लोग सूर्य उपासना करके आरोग्य और सुख- समृद्धि की कामना करते हैं।

 

आम खाने का भी प्रचलन:

मान्यता है इस दिन से लोग आम फल खाने की भी शुरुआत करते हैं।

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