ताज़ा खबरे
Home / ताज़ा खबरे / पिंपरी मनपा का चुनाव कब? कंफ्यूजन की स्थिति बरकरार

पिंपरी मनपा का चुनाव कब? कंफ्यूजन की स्थिति बरकरार

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड,पुणे मनपा का चुनाव कब होगा? कितने सदस्यीय पैनल वाला होगा? वॉर्ड रचना नए सिरे से गठित होगा या तीन सदस्यीय का रहेगा? ऐसे कई सवालों के जवाब पाने के लिए इच्छुक उम्मीदवार आतुर हैं।

 

सरकार ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव नहीं चाहती

राज्य सरकार ने 6 महिने बाद चुनाव वाला विधेयक पारित करके राज्यपाल की अंतरिम मंजूरी ले ली है। बिना ओबीसी आरक्षण का चुनाव सरकार जोखिम उठाना नहीं चाहेगी। इधर चुनाव को 6 महिने आगे किया गया तो दो दिन बाद एक और झटका सरकार की ओर से लगा। वॉर्ड रचना को रद्द करने की घोषणा की गई। सभी पार्टी के स्थानीय नेता,कार्यकर्ता,इच्छुक उम्मीदवार कंफ्यूज हैं कि आखिर हो क्या रहा है। उधर उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने पार्टी के लोगों को यह कहकर और कंफ्यूजन पैदा कि है कि बेफिक्र मत रहो,कहीं घूमने,सैरसपाटा के लिए मत जाओ,चुनाव की तैयारी में जुट जाओ,चुनाव कभी भी हो सकता है।

 

सरकार के निर्णय के विरुद्ध भाजपा जा सकती है कोर्ट में

वॉर्ड रचना का काम पूरा हो चुका था। दुरुस्ती का प्रस्ताव भी भेजा जा चुका था। अब अगर कोई भाजपा का नेता राज्य सरकार के निर्णय के विरुद्ध कोर्ट में जाता है तो कोर्ट निर्णय को पलट सकता है,ऐसे हालात में चुनाव मई में होने की संभावना बन सकती है। अगर नए वॉर्ड रचना के गठन की पारी आती है तो कम से कम 2 महिने का वक्त लगेगा। मतलब जून तक यह प्रक्रिया पूर्ण होगी। इसके बाद महाराष्ट्र में बारिश शुरु हो जाती है। ऐसे हालात में चुनाव लेना संभव नहीं होगा,चुनाव अक्टूबर तक बढने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

 

आघाडी सरकार को तीन सदस्यीय,राष्ट्रवादी को दो सदस्यीय पैनल चाहिए

तीन सदस्यीय पैनल से आघाडी सरकार के तीनों दलों का फायदा होगा। हलांकि व्यक्तिगत रुप से अजित पवार दो सदस्यीय पैनल चाहतें है। ओबीसी आरक्षण के बिना सरकार चुनाव नहीं कराना चाहती,क्योंकि ओबीसी समाज की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहेगी। दो साल बाद 2024 में महाराष्ट्र में लोकसभा-विधानसभा के चुनाव होने है। ओबीसी वर्ग का वोटबैंक राकांपा से छिंटकने का डर है। यही मजबुरी भाजपा के पाले में पल रही है। अगर भाजपा ओबीसी के बिना चुनाव कराने की मांग करती है तो ओबीसी समाज नाराज हो सकता है। आघाडी सरकार और भाजपा दोनों के सामने एक तरफ कुंआ तो दूसरी ओर खांई है।

 

चुनाव आयोग के पास चुनाव किसी भी क्षण कराने का अधिकार

चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है। उसको चुनाव किसी भी क्षण लेने का पूरा अधिकार है। अगर आयोग सुप्रिम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए चुनाव की घोषणा मई में कर दें तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह तय है कि अगर चुनाव मई-जून तक संपन्न नहीं होते तो अक्टूबर महिने तक आगे जा सकता है। इधर वॉर्ड रचना रद्द होने और विधानसभा में विधेयक पारित करके चुनाव 6 महिने आगे ढकेलने के निर्णय के बाद इच्छुक उम्मीदवार जो तैयारियों में जुट गए थे अब वे बे्रेक लगा दिए। क्योंकि अगर चुनाव 6 महिने बाद होता है तो अभी से खर्च के दौडते मीटर को संभालना कठिन काम होगा। फिलहाल सभी पार्टी के कार्यकर्ता वेट एंड वॉच की भूमिका में है।

Check Also

संजोग वाघेरे के नामांकन पर्चा दाखिल रैली में उमड़ा जनसैलाब

आदित्य ठाकरे,अमोल कोल्हे,सचिन अहिर,माणिक ठाकरे रहे उपस्थित पिंपरी- मावल लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना उद्धव ठाकरे-राकांपा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *