पुणे- जहां शहर को कुशल,आसान और सस्ती सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रदान करने की उम्मीद है,वहीं पीएमपी ने ऐसी सेवाएं प्रदान करने के बजाय सैकड़ों इलेक्ट्रिक कारों को खरीदने का फैसला किया है। इस फैसले से शहर में बेवजह निजी वाहनों की संख्या में इजाफा होगा। इससे यह सवाल उठता है कि अधिक से अधिक यात्रियों को सेवा देने के बजाय मुट्ठी भर यात्रियों को सेवा प्रदान करने वाली योजना को क्यों लागू किया जा रहा है। एक तरफ इस बात पर विचार किया जा रहा है कि क्या मेट्रो की तेज सेवा को पूरक बनाने वाली सेवा प्रदान करने के बजाय निदेशक मंडल निजी कार के विस्तार के फैसले को मंजूरी देगा।
पीएमपी पुणे और पिंपरी-चिंचवड में कम से कम दस लाख यात्रियों के लिए एक प्रमुख सार्वजनिक सेवा पीएमपी है। यात्री लगातार मांग कर रहे हैं कि पीएमपी सेवाएं गुणवत्तापूर्ण,सस्ती,सुलभ और कुशल हों। हालांकि सक्षम जनसेवा की आड़ में पीएमपी ने ट्रैफिक जाम में योगदान देने का धंधा शुरू कर दिया है। निजी यात्री परिवहन,ओला और उबर की तर्ज पर पीएमपी ने भी 100 वाहनों में यात्री सेवाएं प्रदान करने का निर्णय लिया है और रुचि की अभिव्यक्ति जारी की है। इससे पहले पीएमपी प्रशासन ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सामने प्रेजेंटेशन भी दिया था। यह सेवा दिन-रात प्रदान करने का प्रस्ताव है और ऑनलाइन पंजीकरण के अलावा सीधे स्टॉप और कार द्वारा भी यात्रा करना संभव होगा। पीएमपी प्रशासन ने स्पष्ट किया कि मार्केट यार्ड,पुणे रेलवे स्टेशन,एयरपोर्ट जैसी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर यह सेवा उपयोगी होगी।
पीएमपी का मुख्य कार्य एक ही समय में अधिक से अधिक यात्रियों की सेवा करना है। बड़ी कंपनियों के अधिकारी, कर्मचारी ओला उबर जैसी यात्री सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे यात्री इन ट्रेनों के कारण पीएमपी की ओर आकर्षित होंगे। पीएमपी अधिकारियों का दावा है कि पीएमपी निजी यात्री परिवहन सेवा के समान सेवाएं प्रदान करेगा। हालांकि यह नई अवधारणा आसान,सुरक्षित और उचित दरों पर सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य को भूल गई है।शहर में निजी वाहनों की संख्या 36 लाख से अधिक है। समय-समय पर यह स्पष्ट हो गया है कि सार्वजनिक सेवाओं की कमी के कारण निजी वाहनों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में 100 कारों को सड़क पर लाकर पीएमपी का फायदा कौन उठा रहा है,यह सवाल भी सामने आया है।
यात्री सेवाओं में सुधार का दावा
पीएमपी के बेड़े में 150 इलेक्ट्रिक वाहन हैं। इसके अलावा मार्च के अंत तक कुछ नई बसें बेड़े में शामिल हो जाएंगी और इलेक्ट्रिक (ई-बस) ट्रेनों की संख्या पांच सौ हो जाएगी। यात्रा को आरामदायक और वातानुकूलित बनाने के लिए ले जाए गए वाहन भी खराब हो गए हैं। दावा किया गया है कि ई-कैब की वातानुकूलित सेवा से पीएमपी की सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। आशय पत्र के बाद तय होगा कि कार लीज पर ली जाए या नहीं।