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घरकुल कोविड सेंटर बना शराबियों,जुआरियों का अड्डा,करोड़ों के मेडिकल उपकरण चोरी

उपकरणों की देखभाल हेतू सुरक्षा गार्ड नहीं,कमरों में ताला नहीं,चोरी,तोड़फोड़ से करोड़ों का नुकसान

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड़ मनपा ने कोरोना बाधित मरीजों के लिए घरकुल कोविड में करोड़ों रुपये की लागत से कोरोना केयर सेंटर (सीसीसी) शुरू किया था। मरीजों की संख्या कम होते ही सीसीसी सेंटर को बंद कर दिया गया। वहां अरबों रुपये मूल्य का साहित्य लावारिस पड़ा है। पालिका ने वहां सुरक्षा गार्ड भी नहीं लगाया। जिस कमरे में यह कीमती सामग्री रखी गई उसमें ताला तक नहीं लगा है। नतीजतन इस सामग्री की तोड़फोड़,चोरी की घटनाएं शुरु है। इससे यह साफ होता है कि पालिका का यह दावा कि वह तीसरी लहर से लड़ने के लिए तैयार है, दावा खोखला है।

 

करदाताओं के पैसों की बर्बादी

करदाताओं के पैसे से खरीदी गई सामग्री के नुकसान के बावजूद पालिका प्रशासन अनदेखी कर रहा है। इससे नागरिकों में भारी रोष है। पिंपरी-चिंचवड़ में 10 मार्च,2020 को पहला कोरोना मरीज मिला था। उसके बाद जैसे-जैसे मरीजों की संख्या बढ़ने लगी,पालिका ने कोरोना केयर सेंटर शुरू करने का फैसला लिया। जो नागरिक कोरोना रोगियों के उच्च जोखिम वाले संपर्क में रहे हैं,वे नागरिक जिन्हें जांच के लिए भेजा गया है और शहर के विभिन्न हिस्सों में 11 स्थानों पर कोरोना केअर सेंटर का निर्माण किया गया है। घरकुल स्थित भवन में केंद्र भी शुरू किया गया था। पालिका ने खरीदे चिकित्सा उपकरण,मरीज की आपूर्ति संचालन के लिए सभी सामग्री के साथ एक निजी संस्था को केंद्र दिया गया था। साथ ही संस्था के करोड़ों रुपये के बिल का भुगतान भी किया गया। यह सीसीसी केंद्र दूसरी लहर में भी शुरू था।

 

मेडिकल उपकरण की रक्षा हेतू सुरक्षा गार्ड नहीं,कमरों में ताला नहीं

जून 2021 में कोरोना की एक और लहर उठी। वर्तमान में कोरोना मरीजों की संख्या कम होने से पालिका ने सीसीसी केंद्र को बंद कर दिया। संबंधित चालक संस्था चला गया। लेकिन करोड़ों रुपये का माल जस का तस रखा है। गर्म पानी के लिए बिजली के गीजर,अग्निशामक यंत्र,ऑक्सीजन सिलेंडर,टेबल,बेड,गद्दे,चादरें,कुशन, सामान,ट्रे,गिलास,सैनिटाइजर,रूमाल,थर्मोज करोड़ों रुपये में खरीदे गए। हालांकि कोरोना के मरीजों की संख्या कम होने से पालिका ने इस केंद्र की उपेक्षा की। करोड़ों रुपये की सामग्री होने के बाद सुरक्षा रक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई। किसी भी कमरे में ताल नहीं लगाया गया,ऐसी लापरवाही पालिका प्रशासन कर रही है।

 

कोविड सेंटर बना शराबियों,जुआरियों का अड्डा

वहां दस्ताने,गद्दे,पानी की बोतलें जलाई जाती हैं। भवन में विद्युत फिटिंग,नलसाजी सामग्री टूट गई है। यहां गंदगी का साम्राज्य खड़ा हो गया है। शराबियों,जुआरियों का अड्डा बन गया है। ठेकेदार कंपनी ने करोड़ों रुपये कमाए। पालिका ने जरूरत को नजरंदाज किया। लेकिन करदाताओं के पैसे से खरीदी गई सामग्री के नुकसान के लिए प्रशासन की अकार्यक्षमता,लापरवाही,अनदेखी पर नागरिकों में आक्रोश है। ओमिक्रॉन वायरस संकट की तीसरी लहर की दस्तक हो चुकी है। अगर यह लहर शहर को अपने आगोश में लेती है तो इन बहुमुल्य उपकरणों की तत्कालीन आवश्यकता पड़ेगी।

 

प्रशासन की घोर लापरवाही,अनदेखी

अगर उकरण चोरी अथवा तोडफोड भंगार की अवस्था में हो गए तो पालिका को फिर से करोडों रुपये खर्च करके उपकरणों को खरीदना पडेगा,जिसका बोझ शहर के करदाताओं पर लदेगा। पालिका आयुक्त राजेश पाटिल अपने कुंभकर्णीय प्रशासन अधिकारियों को जगाएं और इस बर्बादी,अनदेखी पर कार्रवाई करे। साथ सुरक्षा रक्षकों की नियुक्ति,कमरों में ताला लगाकर जीवनदायनी उपकरणों की रक्षा सुरक्षा की दिशा में बिना विलंब कदम उठाएं।

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