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सांसद श्रीरंग बारणे के जलपूजन से महापौर का अपमान कैसे?

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड़ शहर को पानी की आपूर्ति करने वाले पवना बांध के शत-प्रतिशत भरे होने के कारण हर साल महापौर के हाथों जल पूजन किया जाता है। यह प्रथा आज तक कायम है। हालांकि शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे प्रचार पाने के लिए स्टंटबाजी कर कल जल पूजन किया। सत्तारूढ़ दल के नेता नामदेव ढाके ने आरोप लगाया है कि यह शहर की महिला महापौर का अपमान है। जब महापौर का कार्यक्रम निर्धारित था तो पहले जाकर शिवसेना सांसद बारणे को जलपूजा करने की क्या जरुरत पड़ी। यह केवल महापौर का अपमान और खुद को मीडिया में सुर्खियों में रहने की स्टंटबाजी है। ऐसा सत्तारुढ नेता नामदेव ढाके ने बड़ा आरोप लगाया है।

 

जलसंकट पर भाजपा का गतिशील कार्य

दरअसल 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद भामा आखेड़ से 300 एमएलडी पानी निकासी की मंजूरी दी गई थी,जिसमें से आंध्र योजना से 100 एमएलडी पानी की आपूर्ति के लिए जैक वेल का निर्माण,जल शोधन केंद्रों तक पाइपलाइन बिछाने,जल शोधन केंद्र और पानी की टंकियों का निर्माण और समानांतर में पाइपलाइन बिछाना आदि कार्य गतिमान है। इन पूरी योजना का काम 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इस कार्य के पूर्ण होने से जल्द ही शहर की पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा। शहर के नागरिकों को समान पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन दिन रात कार्य कर रहा है। भाजपा शहर वासियों के जलसंकट कैसे दूर हो,24 घंटे पानी प्रतिदिन कैसे मिले इस दिशा में काम कर रही है। ऐसी जानकारी ढाके ने दी।

 

श्रीरंग बारणे शहर की जनता के लिए क्या किया?

दूसरी ओर शिवसेना के सांसद बताएं कि अपने 6 साल के कार्यकाल के दौरान पिंपरी चिंचवड शहर की जनता जिसने उनको दो बार चुनकर लोकसभा भेजा उस जनता के लिए पानी समस्या पर क्या काम किया? अपने संसद निधि से शहर के विकास कामों के लिए कितनी धनराशि आवंटित करवायी? केवल स्टटंबाजी करना,फोटो खिंचवाना,मीडिया में प्रकाशित कराना क्या सांसद का इतना ही काम नहीं। बारणे पिंपरी चिंचवड शहर में एक भूमिका में नजर आते हैं तो मावल परिसर में दूसरी भूमिका में नजर आते है। दोहरा चेहरा,दोहरी नीति का खेला आखिर कब तक खेलेंंगे,जनता की मूल समस्याओं पर काम कब करेंगे? ऐसा सवाल नामदेव ढाके ने बारणे से किया।

 

जलपूजन करना महापौर का अधिकार

पिंपरी चिंचवड शहर की प्रथम नागरिक होने के नाते शहरवासियों की ओर से जीवनदायनी पवना बांध के भंडारण जल का जलपूजन करना मेयर का अधिकार है,जैसे ही हमारे जल पूजन कार्यक्रम की घोषणा की जाती है,तो बारणे आनन फानन में कल पवना बांध में जाकर जल पूजन करते हैं। पब्लिसिटी की यह स्टंटबाजी पिंपरी चिंचवड और मावल के लोगों के संज्ञान में आया है।

 

श्रीरंग बारणे के जलपूजन से महापौर का अपमान कैसे?

आपको बताते चलें कि महापौर को जलपूजन करने का अधिकार है। महापौर का पद संवैधानिक है। इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। लेकिन शिवसेना के सांसद श्रीरंग बारणे पहली बार जलपूजन करने नहीं गए। पिछले 8 सालों से पवना डैम में जलपूजन करते आए है। साथ ही पवना बांध की स्वच्छता,जलपर्णी निकालने का भी प्रतिवर्ष काम करते हैं। यह बात किसी से छुपी नहीं। मावल लोकसभा क्षेत्र से श्रीरंग बारणे लगातार दो बार निर्वाचित हुए। उनके लोकसभा क्षेत्र में तलेगांव,लोनावला नगरपालिका,देहूरोड छावणी बोर्ड,पवना बांध आते हैं। इस क्षेत्र के नागरिक इसी बांध का पानी पीते हैं। जिनका प्रतिनिधित्व श्रीरंग बारणे कर रहे हैं। सबसे पहले अगर जलपूजन का अधिकार किसी का है तो वह शिवसेना सांसद बारणे का बनता है। महापौर केवल पिंपरी चिंचवड शहर तक सीमित है। किसी भी संविधान,कानून में यह नहीं लिखा कि जलपूजन केवल महापौर का अधिकार होता है और कोई दूसरा जनप्रतिनिधि नहीं कर सकता।

 

चुनावी वर्ष में झंड़ा ऊंचा रहे हमारा

चुनावी वर्ष है भाजपा के सत्तारुढ नेता नामदेव ढाके पिछले 4 साल से ऐसा आरोप नहीं लगाए,फिर इस वर्ष आरोप लगाकर आखिर क्या साबित करना चाहते है। यह समझ के परे है। जबकि मावल के पूर्व विधायक बालासाहेब भेगडे ने भी जलपूजन की परंपरा को निभाया। भेगडे भाजपा से तालुक रखते है। फिर यहां महापौर का अपमान नहीं हुआ,क्योंकि वे अपनी पार्टी भाजपा से है। जलपूजन करने के लिए किसी को रोकटोक नहीं है। ये तो अपनी श्रद्धा प्रेम का प्रतिक होता है। बारणे के जलपूजन करने से महापौर का अपमान कैसे हो गया? यह भी समझ के परे है? चुनावी वर्ष है हर कोई नेता,कार्यकर्ता अपनी पार्टी का… झंडा ऊंचा रहे हमारा… गीत गा सकता है।

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