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प्राधिकरण बर्खास्त मतलब जमींन बिल्डरों और बरामती शिफ्ट करने का फंडा-महापौर

पिंपरी- कल आयोजित एक कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार ने पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के साथ पिंपरी चिंचवड नवनगर विकास प्राधिकरण को विलय करने का निर्णय लिया है। इस फैसले से शहर की छवि धूमिल होगी और भूमिपुत्रों की जमीनें वाणिज्यिक बिल्डरों द्वारा लूटी जाएगी। वास्तव में पिंपरी चिंचवड़ के बढ़ते आकार,बढ़ती जनसंख्या,औद्योगीकरण और स्मार्ट शहर की ओर शहर के कदम को देखते हुए राज्य विकास प्राधिकरण के बजाय पिंपरी चिंचवड़ मनपा में विलिनिकरण होना चाहिए। ताकि प्राधिकरण की स्थापना का उद्देश्य सफल हो और विकास को बढ़ाया जा सके। ऐसी मांग महापौर माई ढोरे ने की।

महापौर माई ढोरे,डिप्टी मेयर हीराबाई घुले,स्थायी समिति अध्यक्ष नितिन लांडे और सत्तारूढ़ पार्टी के नेता नामदेव ढाके उपस्थित थे। इस अवसर पर नगरसेवक शशिकांत कदम,अंबरनाथ कांबले,उत्तम केंडले,पार्षद निर्मलताई गायकवाड़, निता पाडाले आदि उपस्थित थे। वास्तविक पिंपरी चिंचवड नवनगर विकास प्राधिकरण का गठन 1972 में किया गया था। पिंपरी चिंचवड में महाराष्ट्र राज्य औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) की स्थापना के बाद यह औद्योगीकरण के कारण श्रमिकों और शहर में रहने वाले गरीबों को किफायती भूखंड और मकान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। पिंपरी नवनगर विकास प्राधिकरण के माध्यम से शहर के विकास के संबंध में शहर में कई किसानों की कृषि भूमि के विकास के नाम पर जमीन का अधिग्रहण किया गया।

1972 के बाद से इनमें से कई किसानों को अपनी जमीन खोने का मुआवजा भी नहीं मिला है। इसकी स्थापना के समय प्राधिकरण द्वारा अधिगृहित की गई भूमि की कुछ स्थानों पर योजना बनाई गई थी। लेकिन कुछ जगहों पर प्रशासन की लापरवाही के कारण उस हिस्से को अभी तक विकसित नहीं किया जा सका। 12.5 फीसदी रिटर्न के लालच के साथ किसानों से जमीन खरीद ली गई्। कई किसान भूमिहीन हो गए हैं और उन्हें अब तक 12.5 प्रतिशत रिटर्न नहीं मिला है अन्य स्थानों में भूमि विकसित करते समय प्राधिकरण शहर के नागरिकों से विकास शुल्क जमा कराता है और इन जमाओं पर नज़र रखना और मूल उद्देश्य की अनदेखी करना,इस बात से कोई इंकार नहीं है कि ये सभी बड़े व्यापारियों, बिल्डरों को भूखंडों को देने और इससे मलाई खाने और बारामती में ले जाने की साजिश है।

भले ही किसानों से प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित की गई भूमि का 50 प्रतिशत भी विकसित नहीं हुआ है। चूंकि पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण का अधिकार क्षेत्र बड़ा है,इसलिए प्राधिकरण में स्थानीय नागरिकों की समस्याओं को हल करना संभव नहीं है। यह निर्णय प्राधिकरण के लिए हानिकारक होगा क्योंकि कॉमन डेवलपमेंट कंट्रोल रेगुलेशन लागू होगा और प्राधिकरण में इमारतों की ऊंचाई बढ़ाएगा। जिन उद्देश्यों के लिए प्राधिकरण बनाया गया था,वे इस निर्णय से प्राप्त नहीं होंगे,जिसके परिणामस्वरूप भविष्य में प्राधिकरण की निरर्थकता में वृद्धि होगी। इसलिए राज्य सरकार को इस फैसले को रद्द करना चाहिए और पूरे पिंपरी चिंचवड नवनगर विकास प्राधिकरण को पिंपरी चिंचवड पालिका में विलय करना चाहिए्।

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