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सावधान! कोविड एंटीजेन टेस्ट 70% पास,30% फेल

पिंपरी- कोरोना महामारी में बडी संख्या में लोग अपना कोविड टेस्ट करवा रहे हैं। उसी रिपोर्ट के आधार पर तय होता है कि मरीज नेगेटिव है या पॉजिटिव। अगर टेस्ट में सही रिपोर्ट न मिले,पॉजिटिव मरीज को नेगेटिव रिपोर्ट थमायी जाए,और यह काम सरकारी अस्पताल के द्धारा होता हो तो यह सचमुच चौंकाने वाली खबर है। पॉजिटिव व्यक्ति को अगर कोविड एंटिजेन की नेगेटिव रिपोर्ट दी जाए और कहा जाए कि आप नेगेटिव हो अन्य टेस्ट करने की जरुरत नहीं,तो वह व्यक्ति बेफिक्र होकर घर,मुहल्ले,बाजारों,सार्वजनिक स्थलों पर घूमेगा। इस बीच न जाने कितने लोगों के संपर्क में आकर पॉजिटिव कर देगा। क्योंकि उसे खुद को नहीं पता होता कि वह पॉजिटिव है। कोरोना मरीजों की संख्या बढने का एक यह भी बडा कारण सामने आया है। आओ आपको सरल भाषा में एक उदाहरण देकर बताते है और पिंपरी चिंचवड मनपा के मेडिकल विभाग के इस फेलियर की ओर ध्यानाकर्षण कराते है।

1) पिंपरी चिंचवड मनपा का पिंपरी में जिजामाता हॉस्पिटल है। एक व्यक्ति 21 अप्रैल को कोविड रेपिट एंटिजेन टेस्ट कराया। इस टेस्ट में केवल नाक का द्रव्य पदार्थ का सेंपल लिया जाता है। 2 घंटे बाद उसकी रिपोर्ट नेगटिव आयी। सबंधित मेडिकल टीम ने कहा कि आप नेगटिव हो और कोई टेस्ट की जरुरत नहीं। व्यक्ति भी खुश होकर घर आया। लेकिन उसे जो गले में खांसी की तकलीफ थी उससे वह शांत नहीं बैठा।

2) 25 अप्रैल को वह व्यक्ति फिर जिजामाता हॉस्पिटल गया और आरटी पीसीआर टेस्ट कराया। जिसमें उसके नाक और गले का द्रव्य पदार्थ का सैंपल लिया गया। दो दिन बाद रिपोर्ट पॉजिटिव निकली।

3) जिजामाता ने ऑटोकल्स्टर कोविड सेंटर में रेफर किया। वहां की महिला डॉक्टरों ने चेक किया। ऑक्सीजन लेवल,ब्लड प्रेशर सामान्य दिखा। भर्ती न करके होम क्वारंटाइन होने की सलाह दी। साथ में कुछ दवाईयां लिखकर दी।
4) इस बात का हमारे पास ठोस प्रमाण है कि जिस एंटिजेन टेस्ट में व्यक्ति को नेगेटिव बताया गया वही व्यक्ति आरटी पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव निकलता है। यह व्यक्ति समझदार निकला,सूझबूझ से काम किया और अपना दोबारा टेस्ट करा लिया। वर्ना ऐसे कितने केसेस है कि एंटिजन रिपोर्ट नेगटिव मिलने के बाद लोग बेफिक्र होकर सामान्य जीवन जीने लगते है और हर दिन कई लोगों के संपर्क में आकर संक्रमित करते है। पालिका के ऐसे कई अस्पतालों में एंटिजेन जांच की जा रही है। अगर इस जांच प्रणाली का रेसो 70% पास,30% फेल मानकर चलें तो हर दिन सैकडों लोगों को गलत रिपोर्ट मिल रही है। शहर के स्वास्थ्य के लिए यह किसी घातक से कम नहीं।

5) पिंपरी चिंचवड मनपा जैसी सरकारी संस्थान का अगर यह हाल है तो लोग भरोसा किस पर करें?सवाल बनता है,सवाल उठेगा और पालिका प्रशासन से पूछा जाएगा कि इतनी लापरवाही क्यों? अगर कोविड रेपिड एंटिजेन टेस्ट 70% पास और 30% फेल साबित हो रहा है तो ऐसे टेस्ट का क्या औचित्य है? फिर यह टेस्ट बंद करके केवल आरटी पीसीआर टेस्ट हो ताकि सटिक रिपोर्ट मिले और सही समय पर मरीज अपना इलाज करा सके। एंटिजेन की गलत रिपोर्ट मिलने से दो खतरनाक परिणाम निकल रहे है पहला यह कि संक्रमित व्यक्ति रिपोर्ट के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्रों में बिंदाश्त घूमता है। दूसरों को संक्रमित करता है। दूसरा कुछ दिनों में उसकी तबियत गंभीर हो जाती है क्योंकि वह पॉजिटिव होता है। समय निकल जाता है,अस्पतालों में बेड पाने के लिए दो तीन दिन लग जाते है और मरीज दम तोड देता है। शहर में संक्रमित मरीजों की संख्या बढाने में कारण बनता है।

6) पालिका प्रशासन,स्वास्थ्य विभाग को अपने इस फेलियर सिस्टम की ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरुरत है। वर्ना यह सिलसिला जारी रहेगा और एंटिजेन टेस्ट के आधार पर पॉजिटिव व्यक्ति एक मानव बम की तरह लोगों के बीच में घूमता रहेगा।

7) मेडिकल टेस्ट जांच टीम के साथ कुछ सिक्यूरिटी,सुरक्षा रक्षकों की नियुक्ति की गई है। उनका काम लोगों को लाइन पर लगाना,व्यवस्था की देखभाल करना,आए मरीजों से शालिनता,प्रेम से बात करना। लेकिन जिजामता अस्पताल में नियुुक्त एक युवा सुरक्षा रक्षक खुद को डॉक्टर,नर्स समझकर स्कुल के अंदर डॉक्टरों,नर्सों के साथ बैठता है। यह महाशय उस टीम के साथ अटैच है जहां मरीज रिपोर्ट मिलने के बाद रिपोर्ट किट और कोविड नंबर जनरेट करने जाते है। पैंट खाकी और शर्ट सिविल होता है। अंदर से ही महिला डॉक्टरों,नर्सों के सामने मरीजों पर रुआब झाडता है। गलत व अपमानित शब्दों का प्रयोग करता है। इसका काम स्कूल के अंदर की गैलरी से बाहर निकल करके मरीजों को लाइन पर लगाना है मगर ऐसा नहीं करता। झोपडपट्टी क्षेत्र होने की वजह से कोई कभी भी बिना कतार के अंदर प्रवेश करके टेस्ट करा लेते है। सुबह 7 बजे से लोग अपना नंबर आने का इंतजार करते है। बाद में पता चलता है कि प्रतिदिन केवल 200 लोगों का ही टेस्ट होना है। जिसमें से 50 लोग तो अतिक्रमण करके टेस्ट कर लेते है। फिर सुरक्षा रक्षकों की वहां मौजदूगी का क्या मतलब है?

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