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पुणे कोरोना वैक्सीन का जन्मदाता,पुणेकर वैक्सीन से वंचित

पिंपरी- दीया तले अंधेरा …यह कहावत पुरानी है लेकिन आज कोरोना संकट की घडी में पुणेकरों पर सटीक बैठती है। पुणे शहर देश ही नहीं दुनिया को प्राणरक्षक वैक्सीन की सौगात दी लेकिन अफसोस उसी पुणे में रहने वाले नागरिकों को वैक्सीन की किल्लत झेलनी पड रही है। भारत में पुणे में सीरम कंपनी और भारत बायोटेक दो कंपनियों ने वैक्सीन बनाकर दुनिया के अन्य कंपनियों के मुकाबले भारत का सिर उंचा किया। सीरम एक प्रायवेट कंपनी है तो भारत बायोटेक भारत सरकार की अंगीकृत कंपनी है।

महाराष्ट्र से भेदभाव- वर्तमान में पुणे के लोगों को वैक्सीन टीका मिलना दुर्लभ हो रहा है। कई केंद्रों पर टीका खत्म होने की शिकायतें मिल रही है। नई खेप आने का दावा पिंपरी चिंचवड मनपा के आयुक्त राजेश पाटिल कर रहे है। लेकिन उनके दावे जमींनी हकीकत से भिन्न है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया और महाराष्ट्र को कम वैक्सीन दी जा रही है।

टीकाकरण अभियान को बे्रक- पुणे शहर को अब तक 6 लाख डोज प्राप्त हुए है। इसमें से 6 लाख 8 हजार डोज लोगों को लगाया जा चुका है। केवल 45 हजार वैक्सीन डोज बाकी है। 25 हजार डोज पुणे मनपा के पास स्टॉक में बचे है। पुणे शहर में कुल 125 केंद्रों पर टीकाकरण का काम शुरु है। पिंपरी चिंचवड़ शहर में अब तक 1 लाख 80 हजार 92 लोगों को टिका लगाया गया और निजी अस्पताल में 50 हजार 777 लोगों को टीक लगा है। पिंपरी चिंचवड़ शहर में कुल 2 लाख 30869 लोगों का टीकाकरण किया गया है। जब की अभी लाखों लोगों को टिका लगाना बाकी है। अचानक टीकाकरण आज बंद होने से कई जेष्ठ नागरिक सुबह टीकाकरण केंद्र के बाहर पहुंचे तो उन्हें वहां पर कोई मदद नहीं मिली और नहीं वैक्सीन मिली।

दीया तले अंधेरा-एक तरफ पुणे ने जिन दो वैक्सीन का उत्पाद करके देश को सौगात दी आज उसी पुणेकरों को वैक्सीन से वंचित रहना पड रहा है। एक और कहावत यहां सटीक बैठती है कि घर में दाने नहीं और अम्मा चली भूजाने,मतलब देशवासियों को वैक्सीन की किल्लत झेलनी पड रही है और हमारा देश 84 देशों को वैक्सीन की पूर्ति कर रहा है। मतलब अपने देश वासी मरे तो मरे लेकिन विदेश में वाहवाही लूटने अपना डंका बजाने से मोदी सरकार बाज नहीं आ रही है। पडोसी देशों की मदद करो मगर पहले अपने देशवासियों के स्वास्थ्य के बारे में विचार करो।

पुणे में रेमडेसिविर इंजेक्शन कालाबाजारी- जी हाँ! यह भी चौंकाने वाला सत्य सामने आया है कि गंभीर परिस्थति में लगाए जाना वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है। सरकारी अस्पतालों में यह इंजेक्शन खत्म हो चुका है। डॉक्टर मरीज के परिजनों को बाहर से खरीदने के लिए सलाह दे रहे है। रेमडेसिविर इंजेक्सन की तलाश में घरवाले सभी मेडिकल स्टोर,मेडिकल संस्थानों के चक्कर लगा रहे है लेकिन उपलब्ध नही्ं। पता चला है कि इस इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है। एक इंजेक्शन 15 हजार रुपये में बिक रहा है। मुंबई, पुणे और नागपुर समेत राज्य के कई शहरों में मेडिकल स्टोर के बाहर इसे खरीदने के लिए लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही ह््ैं। भीड़ की वजह से कई जगह पुलिस भी तैनात करनी पड़ी। स्वास्थ्य विभाग ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने के लिए इसकी कीमत 1100 से 1400 रुपए तय करने का फैसला किया है। मुंबई और नांदेड़ से कालाबाजारी करने वाले 6 लोगों को अरेस्ट किया गया है।मुंबई की क्राइम ब्रांच ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए जिन दो लोगों को पकड़ा है, वो एक मेडिकल स्टोर के ऑनर ह््ैं।

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