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महेशदादा की ..वचनपूर्ति.. पर टिकी भोसरीकरों की निगाहें

पिंपरी– सलमान खान की फिल्म वांटेड का एक डॉयलाग बडा मशहूर हुआ था कि एक बार मैंने जो कमेंट कर दी तो अपनी आपकी नहीं सुनता…एक पुराना मुहावरा है कि प्राण जाए पर वचन न जाए..भोसरी के विधायक महेशदादा लांडगे इन दिनों ऐसे ही परिस्थितियों के बीच घिरे नजर आ रहे है। विधानसभा में नगरसेवक रवि लांडगे के बगावती रुख को भांपते हुए भोसरी के सम्मानित व्यक्तियों,बडे बजुर्ग,घर परिवार,रिश्तेदारों को बुलाकर कहा था कि रवि लांडगे को समझाओ और शांत करो,मेरा प्रचार करे,चुनाव में मदद करे। इसके बदले में रवि लांडगे को स्थायी समिति सभापति बनाऊंगा,ऐसा वचन देता हूं। मैं महेशदादा हूं एक बार जो कमेंट कर दी तो….उस समय रवि लांडगे ने सभी बडे बुजुर्ग,घर परिवार की बात का सम्मान करते हुए तलवार को वापस म्यान में रख ली थी। विधानसभा चुनाव में महेश लांडगे के लिए धूंआधार प्रचार किया। अपनी युवाशक्ति को चुनाव में लगा दी और महेश लांडगे को भाती मतों से चुनकर लाने में महत्वपूर्ण भूमिक निभायी थी। यह बात किसी से छुपी नहीं।
अब वक्त का पहिया घूमा और महेशदादा को अपना दिया वचन पूरा करने का समय आया। भोसरी के वही लोग अब महेशदादा के पास जा रहे हैं कि दादा वचनपूर्ति करो और रवि लांडगे को न्याय दो। हलांकि दादा ने भी सभी को आश्‍वस्त किया है कि रवि लांडगे को सभापति बनाने का हरसंभव प्रयास करेंगे। ऐसी बातें भोसरी के गलियारों से छनकर आ रही है। अगले सप्ताह सभापति पद के लिए नामांकन भरा जाएगा। सबकी सांसें तब तक गले में अटकी है। इधर शत्रुघ्न काटे भी इस पद के रेस में आगे नजर आ रहे है। अगर दोनों से गेेंद फिसली तो नितिन लांडगे या फिर सुरेश भोईर बॉल को कैच कर सकते है।

रवि लांडगे को स्व.अंकुश लांडगे परिवार का राजनीतिक वारिसदार माना जाता है। जनसंघ के समय से स्व.अंकुश लांडगे काम कर रहे थे। भोसरी समेत पिंपरी चिंचवड शहर में भाजपा का खूंटा अंकुश लांडगे ने गाडा था। उस समय जब शहर में प्रो.रामकृष्ण मोरे की तूती बोला करती थी,कांग्रेस के मनपा में सत्ता हुआ करती थी। तब स्व.अंकुश लांडगे ने अपने दम पर भाजपा के दो अंकों में नगरसेवक चुनकर लाया करते थे। उनके साथ काम कर चुके सदाशिव खाडे,एकनाथ पवार समेत कई पुराने भाजपाई इस बात के गवाह है। पुराने भाजपाई भी रवि लांडगे को न्याय दिलाने के लिए संघर्षशील है। 2017 पालिका चुनाव में रवि लांडगे बिनविरोध नगरसेवक निर्वाचित हुए है। युवाशक्ति उनके साथ है। लंबे रेस के राजनीतिक घोडा है।

भोसरीकरों को विश्वास है कि महेश लांडगे अपना वचन निभाएंगे और रवि लांडगे को न्याय देंगे। राजनीति विश्वासों पर टिकी है। एक बार विश्वास टूटा तो दोबारा कोई विश्वास नहीं करता यह भी कटू सत्य है। इतिहास गवाह है कि जो नेता प्राण जाए पर वचन न जाए.. इस मूलमंत्र को अपनाया वह राजनेता सियासत में वर्षों वर्षों तक जनता पर राज किया। जोे मूलमंत्र से भटका,वादाखिलाफी की उसे जनता अर्श से फर्श में पटकने का काम भी किया है। महेश दादा के सामने एक बार फिर इतिहास अपने आपको दोहरा रहा है। शब्द,वचन,घर परिवार,रिश्तेदार,सम्मानित बडे,बुजुर्गों का दबाव और मध्यस्था का खेल कभी पूर्व विधायक विलास लांडे के साथ दादा ने खेला और सफल रहे। आज महेश दादा के पदचिन्हों पर रवि लांडगे चल रहे है। अब देखने है कि दादा वचन के पक्के निकलते हैं या नहीं,इस पर भोसरीकरों समेत पूरे पिंपरी चिंचवड शहर के सियासतदानों की नजरें लगी है।

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