पिंपरी- पिंपरी चिंचवड मनपा में शिवसेना गुटनेता राहुल कलाटे का विवादों से चोली दामन का साथ रहा है। शिवसेना पार्टी हाईकमान की ओर से राहुल कलाटे को कारण बताओ नोटिस मिला है। सात दिन का समय खुलासा करने को दिया गया है। अगर योग्य खुलासा नहीं दे सके तो गुटनेता पद से हाथ धोना पडेगा। यह नोटिस दादर शिवसेेना मध्यवतीॅ कार्यालय से सांसद और शिवसेना सचिव अनिल देसाई ने भेजी है।
क्या है पूरा मामला आओ विस्तार से बताते हैं। हाल ही में पिंपरी चिंचवड मनपा में स्थायी समिति सदस्यों का चयन चुनाव प्रक्रिया संपन्न हुई। जिसमें भाजपा के 4,राकांपा 2,निर्दल 1 और शिवसेना के 1 सदस्यों को स्थायी समिति में एन्ट्री मिली थी। इस दौरान शिवसेना पार्टी की ओर से सांसद श्रीरंग बारणे समर्थक अश्विनी चिंचवडे का नाम भेजा गया था। लेकिन गुटनेता राहुल कलाटे ने नाम बदलकर अपने समर्थक मीनल यादव के नाम का पत्र महापौर को सौंपा। शिवसेना ने इसे पार्टी की अनुशासन भंग की श्रेणी में लिया। पार्टी के आदेशों का उल्लंघन का मामला माना और कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। बताया जा रहा है कि कलाटे से शिवसेना के हाइकमान काफी नाराज है।
आपको बताते चलें कि अश्विनी चिंचवडे शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे समर्थक है। जबकि मीनल यादव गुटनेता राहुल समर्थक मानी जाती है। राहुल कलाटे और श्रीरंग बारणे नदी के दो किनारा है। सांसद होने के बावजूद बारणे का मनपा में कुछ नहीं चलता। राहुल कलाटे जो बोले सो निहाल वाली बात है। राहुल कलाटे की मातोश्री में अच्छी खासी पकड है। यही कारण है कि स्थानीय नेताओं की पुकार मातोश्री जाते जाते दम तोड देती है। चुनाव का आखिरी वर्ष है राहुल कलाटे को अगर इस्तीफा देना भी पडे तो उनकी सेहद पर कोई फर्क नहीं पडेगा। क्योंकि स्थायी समिति में वे हटते ही अपने समर्थक मीनल यादव को भेजने में सफल रहे। यह भी सत्य है कि राहुल कलाटे पिछले चुनाव में अपने दम पर कई नगरसेवक चुनकर लाए्। शिवसेना सांसद होने के बावजूद बारणे अपने गृहक्षेत्र थेरगांव में एक भी नगरसेवक चुनकर नहीं ला सके। भोसरी विधानसभा में शुन्य नगरसेवक की स्थिति है। सुलभा उबाले जैसे धाकड महिला नगरसेविका चुनाव हार गई्। अब देखना होगा कि राहुल कलाटे इस्तीफा देते हैं या फिर पद पर बने रहते है।