पिंपरी-पिंपरी चिंचवड मनपा के मनसे नगरसेवक सचिन चिखले,मनसे के शहर अध्यक्षा रुपाली ठोंबरे समेत 350 मनसे कार्यकर्ता और कामगारों के खिलाफ अपराध पंजिकृत हुआ है। कामगारों की छंटनी,काम से निकालने और दूसरे प्लांट में बदली करने के खिलाफ कामगारों को न्याय दिलाने के लिए मनसे ये पदाधिकारी,कार्यकर्ताओं ने बिना पुलिस अनुमति के मोर्चा निकाले थे। हलांकि राजनेता न्याय दिलाने और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता रहता है। उसे आंदोलन,मोर्चा,धरना प्रदर्शन करना पडता है। इस दौरान वो पुलिस कार्रवाई से नहीं डरता। उनका कहना है कि जेल जाना राजनेताओं का गहना होता है।
मनसे नगरसेवक सचिन चिखले आंदोलन से निकले एक राजनेता है। हर जुर्म के लिए आवाज उठाने में पीछे नहीं हटते। यही कारण है कि जनता उनको लगातार 10 सालों से चुनकर दे रही है। इसके पहली चिखले की पत्नी नगरसेविका थी अब सचिन खुद नगरसेवक है।
कितने लोगों पर और क्यों केस दर्ज हुआ? क्या है पूरा मामला आओ विस्तार से समझाते है। महालुंगे एमआयडीसी की एक कंपनी ने कुछ कामगारों की छंटनी की और कुछ को दूसरे प्लांट में स्थानांतरित की। सभी कामगारों को वापस काम पर रखने की मांग को लेकर मनसे के शहर अध्यक्ष रुपाली ठोंबरे,नगरसेवक सचिन चिखले समेत मनसे के सैकडों कार्यकर्ताओं ने बिना अनुमति गैरकानूनी मोर्चा निकाला। पुलिस ने जिला अध्यक्ष,शहर अध्यक्ष समेत करीबन 350 कार्यकर्ताओं पर अपराध दर्ज किया है। इसमें कुछ छंटनी कामगार भी शामिल है।
प्रमुख लोगों के नाम जिन पर केस रजिर्स्ट- मनसे की पुणे शहर अध्यक्षा रुपाली ठोंबरे,मनसे कामगार सेना महासचिव सचिन गोले,पुणे जिला अध्यक्ष समीर थिगले,मनसे विद्यार्थी सेना जिला अध्यक्ष आशिष साबले,मनसे कामगार सेना सह सचिव मनोज खराबी,पिंपरी चिंचवड मनपा के मनसे नगरसेवक सचिन चिखले,रुपेश म्हालसकर,अंकुश तापकीर,तुषार बवले,गणेश गायकवाड,ओंकार इंगवले तथा जेबीएम कंपनी के छंटनी हुए कामगार,दूसरे प्लांट में स्थानांतरित कामगार,मनसे के कार्यकर्ता समेत 350 लोगों पर अपराध पंजिकृत किया गया।
कौन सी कानूनी धाराएं लगी? पुलिस के अनुसार महालुंगे में स्थित जेबीएम ऑटो लि.कंपनी है। कंपनी प्रशासन कुछ दिन पहले कुछ कामगारों की छंटनी करके घर बैठा दिया। कुछ कामगारों को दूसरे प्लांट में भेजा गया। मनसे की ओर से कंपनी प्रशासन के विरोध में आंदोलन किया गया। संचारबंदी में 5 से ज्यादा लोगों के एक साथ आने और बिना अनुमति मोर्चा निकालने के अपराध में सभी आंदोलनकारियों पर केस दर्ज हुआ है। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता 143,188,महामारी प्रतिबंधक कानून सन 1897 की धारा 3,राष्ट्रीय आपत्ति अधिनियम धारा 51(ब) महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम धारा 135 के अनुसार केस रजिस्टर हुआ है।