पिंपरी- पिंपरी कैम्प के व्यापारियों की ऑक्सीजन मानी जाने वाली सेवा विकास बैंक को इन दिनों खुद ऑक्सीजन की जरुरत है। बैंक के चेयरमैन अमर मूलचंदानी समेत 4 संचालकों ने इस्तीफा देकर भूचाल ला दिया है। कुछ संचालकों और बैंक कर्मचारियों के विरुद्ध हिंजवडी,पिंपरी पुलिस स्टेशन में अनियमिताओं,गडबडियों को लेकर अपराध दर्ज है। कुछ बैंक कर्मचारी गिरफ्तार हुए है। येरवडा जेल में बंद है। खाता धारकों और बैंक कर्मचारियों समेत पिंपरी कैम्प के व्यापारियों के बीच एक ही बात पर चर्चा शुरु है कि बैंक डूबेगी या बचेगी? बैंक पर क्या राज्य सरकार की ओर से प्रशासक की नियक्ति होने जा रही है? या फिर आसवानी समूह के हाथ में बैंक की डोर आएगी? इन तमाम चर्चाओं का पिंपरी बाजार पेठ में बाजार गर्म है।
5 जनवरी 2021 के दिन बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टरों की मीटिंग हुई। उस मीटिंग में चेयरमैन अमर मूलचंदानी ने अपने स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देते हुए चेयरमैन और संचालक दोनों पदों से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। इसके बाद 4 अन्य संचालक चंद्रशेखर अहिरराव,राजेश सावंत.अॅड सुनिल डोंगरे ने अपना व्यक्तिगत कारणों को बताते हुए संचालक पद से त्यागपत्र बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पास सौंप दिए। सभी के इस्तीफे पुणे आयुक्त सहकार विभाग के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।
इस बैंक का उदय करीबन 40 साल पहले हुआ था। सिंधी समाज के कुछ बुद्धिजीवी और व्यापारियों ने बैंक शुरु की थी। वर्तमान में 25 शाखाएं है। ज्यादातर शाखाओं का उदय अमर मूलचंदानी के पिछले 10 सालों के कार्यकाल में हुआ। बैंक खोलने का मकसद था कि व्यापारियों को लोन देकर आर्थिक मजबुत करना। सिंधी समाज का विकास,उत्थान करना। बैंक उस दिशा में कई सालों तक चली। लेकिन पिछले कुछ सालों में बैंक चालकों की नीतियां भटक गई। मनमाने तरीके से अंधाधुंध जमकर कर्ज वितरण हुआ। लेकिन वसूली का औसतमान कम रहा। संचालकों पर विरोधियों ने जमकर आरोप भी लगाए। कुछ आरोप सत्य भी हुए। धीरे धीरे बैंक डूबने की ओर बढने लगी। खाताधारकों का विश्वास डगमगाने लगा और बडी मात्रा में पैसों की निकासी होने लगी। हलांकि चेयरमैन मूलचंदानी की ओर से कई बार दलीलें दी गई कि बैंक सुरक्षित है,ग्राहकों का पैसा सुरक्षित है मगर भ्रम और अफवाह इतना फैला कि लोगों का विश्वास खत्म होने लगा।
बैंक में दो धडा है सेवा और विकास पैनल। एक पैनल का नेतृत्व आसवानी तो दूसरे का मूलचंदानी समूह करता आया है। पिंपरी कैम्प की राजनीति का बैंक मुख्य केंद्र बिन्दु भी रहा। चेेयरमैन समेत 4 संचालकों को आखिर समय से पहले क्यों इस्तीफा देना पडा? क्या बैंक में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। अब बैंक का भविष्य क्या होगा?आसवानी समूह सत्ता पर आएंगे या फिर राज्य सरकार की ओर से प्रशासक नियुक्त करके नए सिरे से चुनाव कराया जाएगा। मगर खाता धारक अपनी जमापूंजि को लेकर और बैंक कर्मचारी अपनी नौकरी को लेकर चिंतित अवश्य है।