पिंपरी- पत्रकारिता एक समाजसेवा है। पत्रकारिता को धन कमाने का साधन नहीं बनाना चाहिए। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को जिंदा रखना आज के पत्रकारों का परम कर्तव्य और दायित्व है। ऐसा मनोगत पिंपरी चिंचवड शहर पुलिस आयुक्त श्री कृष्ण प्रकाश ने व्यक्त किया। आज आचार्य बालकृष्ण शास्त्री जांभेकर जयंती निमित्त पत्रकारिता दिन के अवसर पर पिंपरी चिंचवड मनपा भवन में पत्रकार कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस अवसर पर पालिका आयुक्त श्रवण हर्डीकर,महापौर उषा माई ढोरे,स्थायी समिति सभापति संतोष लोंढे समेत शहर के कई मान्यवर पत्रकार उपस्थित थे।
श्री कृष्ण प्रकाश ने आगे कहा कि वर्तमान में पत्रकारिता का स्वरुप समाजसेवा से हटकर व्यवसाय बन गया है। चौथा स्तंभ का अस्तित्व टिकाना कठिन काम हो गया है। संपादक के पास सारे अधिकार रिजर्व हो गए कि कौन सा समाचार देना है और कौन सा समाचार नहीं देना है। संपादक के अधिकार क्षेत्र में पत्रकारिता कैद हो गई है। पत्रकारिता के इस गलाकाट जंग के युग में टिकना आसान नहीं। इसलिए विज्ञापन की भी आवश्यकता पडती है। बिना विज्ञापन के खर्च को संभालना मुश्किल है। यही कारण है कि पत्रकारिता अपने मूल सिद्धांत से भटककर व्यवसायिकरण की ओर चल पडी है। साकारात्मक मार्ग से पैसा कमाना कोई बुरी बात नहीं लेकिन नाकारात्मक मार्ग से पैसा कमाना गलत बात है। पत्रकारिता को व्यवसाय की दृष्टि से देखना,पैसा कमाना अगर उद्देश्य है तो इस क्षेत्र में ऐसे लोगों को नहीं आना चाहिए। अगर व्यवसाय ही करना है तो कई क्षेत्र है जहां व्यवसाय करके धन कमाया जा सकता है,उद्योगपति बनकर दूसरों के हाथों को रोजगार दिया जा सकता है। पत्रकारिता केवल समाजसेवा ही होनी चाहिए। ऐसा आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने पत्रकारों का मार्गदर्शन करते हुए कहा।
आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने पत्रकारिता क्षेत्र में अपने जीवन के अनुभवों को भी साझा किया। वे खुद चिंगारी,प्रतिभा नामक समाचार पत्र में संपादक के रुप में काम कर चुके है। पत्रकारिता के दौरान अपने खट्टे-मिठ्ठे अनुभवों को पत्रकारों को बताया। महापौर उषा माई ढोरे ने भी अपना मनोगत व्यक्त की। इस अवसर पर पिंपरी चिंचवड पत्रकार संघ की ओर से पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश,पालिका आयुक्त श्री श्रावण हर्डीकर,महापौर माई ढोरे,सभापति संतोष लोंढे का सत्कार किया गया। वरिष्ठ पत्रकारों का सत्कार मान्यवरों के हाथों हुआ। संघ के अध्यक्ष अनिल वडघुले,वरिष्ठ पत्रकार नाना कांबले ने विचार व्यक्त किया। आभार दादा आढाव ने माना।