ताज़ा खबरे
Home / ताज़ा खबरे / पिंपरी पालिका में 30 करोड का खिला कमल, राष्ट्रवादी-शिवसेना की छूट,पालिका तिजोरी की लूट

पिंपरी पालिका में 30 करोड का खिला कमल, राष्ट्रवादी-शिवसेना की छूट,पालिका तिजोरी की लूट

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड मनपा का चुनावी आखिरी वर्ष है। हर कोई मालामाल होना चाहता है। चुनाव का खर्च निकालने की होड मची है। जो जहां दांव पाता है पालिका तिजोरी में जमा जनता के टैक्स के पैसों को डकारने के फिराक में लगा है। सत्ताधारी भाजपा को लगता है कि दोबारा सत्ता आने की गारंटी नहीं इसलिए जो कुछ घसोट सको घसोट लो। ना खाऊंगा ना खाने दूंगा का मोदी मंत्र अब भूली बिसरी गीत लगती है। यही कारण है कि स्थायी समिति की पिछली दो बैठकों में दबे पांव व चोर दरवाजे से अचानक 30 करोड रुपये का वृद्धि खर्च को बिना कोई चर्चा कराए मंजूरी दी गई। हम आपको बताते चलें कि यह वो मंजूरी होती है जो पुराने टेंडर के विकास काम शहर में किए जा रहे है। उसको पैसा कम पड गया अथवा काम ठेकेदार ने रोक दिया है इसके नाम पर मूल टेंडर के अलावा अतिरिक्त पैसा दिया जाता है। हलांकि यह भारी भरकम रकम संबंधित ठेकेदार को केवल एक हिस्सा ही मिलता है बाकी तीन हिस्सा बंदरबांट होता है। मतलब पालिका की तिजोरी में डकैती डालने का केवल तरीका बदला है। अगर कोई किसी की तिजोरी में डकैती डालता है तो पकडा जाता है जेल होती है। लेकिन यहां विकास काम के नाम पर तिजोरी को साफ किया जाता है।
अब आप लोग सोचते होंगे कि फिर विपक्ष की राष्ट्रवादी कांग्रेस और शिवसेना के सदस्य विरोध क्यों नहीं करते? मंजूरी के समय ये लोग मौनीबाबा बनकर चुप्पी साधे रहते है क्योंकि इनको विटामिन(एम) मिल रहा है। समिति का कार्यकाल दो महिने मतलब केवल 8 मीटिंग शेष बची है। अब भला अपना आर्थिक नुकसान क्यों करेगा। मतलब पालिका में 30 करोड का जो कमल खिला है उसे खिलाने में विपक्ष की पार्टियों की बडी भूमिका है। पिछले पांच साल पहले यही भाजपा वृद्धि और संशोधन विषयों की मंजूरी के समय भारी विरोध करती थी। अधिकारियों पर आरोप भी लगाती थी। इसी विरोध की सीडी चढकर सत्ता तक पहुंची पारदर्शी कामकाज,ना खाउंगा ना खाने दूंगा जैसे लोकप्रिय नारों के साथ भाजपा पांच साल के लिए हडताल पर चली गई है। क्योंकि भाजपा को वृद्धि-संशोधित विषयों की मंजूरी से मिलने वाली रसमलाई के स्वाद का पता चल गया है। अब तो बढे खर्चों को मंजूरी देकर एक रिकॉर्ड कायम कर रही है। दो बैठकों में 29 करोड 71 लाख 16 हजार रुपये वृद्धि खर्च को मंजूरी दी गई।

23 दिसंबर 2020 को स्थायी समिति की बैठक में अनुमोदित विषय!
14 करोड़ 30 लाख रुपये की अतिरिक्त लागत से थेरगांव-बापूजी बुवानगर में अस्पताल के निर्माण के लिए नगरसेवकों द्वारा लाए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। परिणामस्वरूप अस्पताल की लागत 48.93 करोड़ रुपये से बढ़कर 63.25 करोड़ रुपये हो गई है।

30 दिसंबर को स्थायी समिति की बैठक में अनुमोदित विषय!
बिजलीनगर से गुरुद्वारा तक मेट्रो के निर्माण के लिए पालिका द्वारा 4.5 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
नाले पर स्लैब बिछाने को भोसरी में खाई भरने का काम का प्रस्ताव था। इस कार्य पर अतिरिक्त 7.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए ह््ैं। प्रशासन के प्रस्ताव को उचित समय में मंजूरी दी गई्। सदस्य ने बिना किसी चर्चा के पालिका के कार्यशाला विभाग में कार्यों के लिए 2 करोड़ 10 लाख रुपये के अतिरिक्त खर्च के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। कब्रिस्तान में साहित्य पूर्ति के लिए प्रशासन ने 32 लाख 16 हजार रुपये की मंजूरी दी। पार्क स्ट्रीट के सामने औंध-रावत बीआरटीएस सड़क निर्माण ने 96 लाख 97 हजार प्रशासन के प्रस्ताव को बढ़ा दिया,जिसे भविष्य में चर्चा के बिना मंजूरी दी जाएगी।

काम समय पर पूरे नहीं होते,स्टैंडिंग कमेटी जवाब नहीं मांगती
पालिका ठेकेदार को विकास कार्य पूरा करने के लिए एक समय सीमा निर्धारित होता है। उसके अनुसार प्रशासन द्वारा दिए गए समय के भीतर काम पूरा करना अनिवार्य होता है। लेकिन काम समय पर पूरे नहीं होते। ठेकेदार जानबूझकर काम समय पर पूरा नहीं करते ताकि बाद में वृद्धि खर्च मिल सके। समय पर काम पूरा नहीं करने के लिए ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय प्रशासन,स्थायी समिति के सदस्य पुरस्कार के रुप में वृद्धि खर्च के प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए स्थायी समिति के पास लाते ह््ैं। वृद्धि-संशोधित खर्च के प्रस्ताव को एजेंडे पर नहीं लाया जाता है। बैठक से पहले प्रस्ताव पेश किए जाते हैं ताकि इस पर चर्चा न हो सके। मतलब चोर की दाढी में तिनका,पालिका तिजोरी खाली करने का तरीका।

राष्ट्रवादी,शिवसेना की चुप्पी संदिग्ध!
स्थायी समिति में कुल 16 सदस्य हैं जिनमें से एक भाजपा से संबद्ध निर्दलीय चार राकांपा से और एक शिवसेना से है। बाकी भाजपा के सदस्य है। सत्तारूढ़ भाजपा अरबों रुपये वृद्धि खर्च के रुप में स्वीकृति दे रही है। इसके लिए कोई चर्चा तक नहीं कराया जाता। एनसीपी और शिवसेना की स्थायी समिति के सदस्य बढ़े हुए खर्च को मंजूरी देते वक्त चुप रहते ह््ैं। मीटिंग में मौनीबाबा की भूमिका में रहते है। विरोधियों का काम होता है विरोध दर्ज कराना। इनकी चुप्पी संदिग्ध है,हैरान करने वाली है। यहां तेरी भी चुप मेरी भी चुप का खेल चल रहा है। जो कुछ मिलेगा बंदरबांट करेंगे।

स्थायी समिति सभापति जवाब देने से कन्नी काटे
अंधेर नगरी चौपट राजा के बारे में जब स्थायी समिति सभापति संतोष लोंढे से इस बारे में पूछा गया तो बचते बचाते कन्नी काटते नजर आए्। कहा कि विकास कार्य की आगे की योजना बन रही है। काम बाकी रहेगा। इसलिए प्रशासन प्रस्तावित लागत को अनुमोदित करने का प्रस्ताव करता है। सभापति के अनुसार करोडों रुपये का वृद्धि खर्च जायज है। यह पूछे जाने पर कि क्या न केवल प्रशासन के लिए बल्कि कुछ अतिरिक्त खर्चों के लिए भी प्रस्ताव था?लोंढे ने जवाब देने से परहेज करते हुए कहा मैं देखूंगा और बताऊंगा।

Check Also

संजोग वाघेरे के नामांकन पर्चा दाखिल रैली में उमड़ा जनसैलाब

आदित्य ठाकरे,अमोल कोल्हे,सचिन अहिर,माणिक ठाकरे रहे उपस्थित पिंपरी- मावल लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना उद्धव ठाकरे-राकांपा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *