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प्राधिकरण की जमींन बिल्डरों के हवाले,नामदेव ढाके का सनसनीखेज खुलासा

पिंपरी-पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण के विकसित हिस्से को पिंपरी चिंचवड मनपा और पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण में अविकसित भाग शामिल किया जा रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि प्राधिकारण के भूमिपूत्रों की भूमि को कमर्शियल करके बिल्डरों के हवाले करने की साजिश चल रही है। प्राधिकरण का गठन जिस उद्देश्य से 1972 में किया गया था उससे भटक रहे है। अगर जमींन की आवश्यकता नहीं तो भूमिपूत्रों की मांग के अनुसार 12.5 प्रतिशत भूखंड वापस किया जाना चाहिए्। ऐसी मांग पिंपरी चिंचवड मनपा के सत्तारुढ नेता नामदेव ढाके ने की है।

प्राधिकरण का गठन मुख्य उद्देश्य से भटका

नामदेव ढाके ने आगे कहा कि प्राधिकरण का गठन जिसका उद्देश्य औद्योगिकरण के कारण श्रमिकों और शहर में रहने वाले गरीबों को किफायती भूखंड और मकान उपलब्ध कराना था। इस उद्देश्य के लिए, प्राधिकरण की स्थापना के समय किसानों को 12.5 प्रतिशत प्रतिफल के साथ भिन्नात्मक दर पर किसानों से खरीदा गया था। कई किसान भूमिहीन हो गए हैं और उन्हें अब तक 12.5 प्रतिशत भूमि रिटर्न नहीं मिला है। हालांकि पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) के साथ पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास महामंडल के अविकसित हिस्से को विलय करना प्राधिकरण की स्थापना के मूल उद्देश्य का भटकाव है और बिल्डरों को पालने,फायदा फहुंचाने,मलिदा खिलाने का दांव है।

नामदेव ढाके ने कुछ सवाल पूछे है कि आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण की स्थापना का उद्देश्य क्या था?और अब पीएमआरडीए के साथ विलय करना क्या हम उस उद्देश्य की पूर्ति कर रहे है?
पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण की स्थापना का उद्देश्य क्या था?और अब पीएमआरडीए के साथ विलय करना क्या हम उस उद्देश्य को प्राप्त करने जा रहे हैं?
प्राधिकरण द्वारा अपनी स्थापना के समय भूमि का अधिग्रहण किया गया था। नियोजन कुछ स्थानों पर किया गया था लेकिन कुछ स्थानों पर प्रशासन की लापरवाही के कारण इसे विकसित नहीं किया जा सका।
प्राधिकरण की स्थापना के समय 12.5 प्रतिशत की दर से किसानों से भूमि खरीदी गई्। कई किसान भूमिहीन हो गए भले ही किसानों द्वारा प्राधिकरण से भूमि का अधिग्रहण किया गया था,अब उन्हें वापस दे्ं।
9 वर्ष 2009 में किसानों और छोटे भूखंड धारकों के नाम 7/12 से हटाया गया और उनका स्थान प्राधिकरण ने ले लिया। अब प्राधिकरण का नाम 7/12 से कम किया जाना चाहिए और किसानों और छोटे भूखंड धारकों का नाम तुरंत जोड़ा जाना चाहिए्।
विलिनिकरण के नाम पर बड़े बिल्डरों के नाम पर,व्यवसायियों को ये प्लॉट देते हैं और इससे हराम की कमाई इकट्ठा करते ह््ैं। पिंपरी चिंचवड़ शहर को एक औद्योगिक,मेहनती शहर के रूप में जाना जाता है लेकिन चूंकि प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य वहां काम करने वाले श्रमिकों और मजदूरों के लिए घर बनाना है, इसलिए प्राधिकरण द्वारा उनके लिए बनाए जा रहे मकान केवल श्रमिकों को दिए जाने चाहिए्।
साथ ही पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण के विकसित हिस्से के साथ अविकसित भाग को पिंपरी चिंचवड़ पालिका में ही वर्गीकृत किया जाना चाहिए,साथ ही पूरे आरक्षित भूमि को मनपा को सौंप दिया जाना चाहिए्।
प्राधिकरण किसानों से अधिग्रहीत भूमि का 50 प्रतिशत भी विकसित नहीं कर पाया है,फिर भी विलय क्यों?

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