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टीका लगाने के बाद भी कोरोना संभव,पुणे सीरम का सनसनीखेज खुलासा

पुणे– भारत में कोरोना की वैक्सीन का इंतजार खत्म होता दिखाई दे रहा है. माना जा रहा है कि नया साल भारत के लिए वैक्सीन के लिहाज से राहत की खबर लेकर आएगा. पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में बड़े पैमाने पर कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड की डोज तैयार की जा रही हैं. अदार पूनावाला एक न्यूज चैनल को बताया है कि टीका लगाने के बाद कोरोना वायरस नहीं होगा ऐसा नहीं। केवल पॉवर कम होगी मरीज को हॉस्पिटल तक जाने की आवश्यकता नहीं पडेगी।
सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कोविड-19 की वैक्सीन के उत्पादन के पीछे की प्रक्रिया को दिखाने और समझाने के लिए कोविशील्ड फैक्ट्री का दौरा कराया. अदार पूनावाला ने कहा कि पिछले 8-9 महीने से हमारी पूरी टीम वैक्सीन बनाने पर काम कर रही है और अब इसे लॉन्च करने का टाइम आया है, जिसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है. देश को जितनी भी वैक्सीन चाहिए उसके लिए हम तैयार हैं. उन्होंने कहा कि हमें सरकार से मंजूरी मिलने का इंतजार है, जिसके बाद हमें इस लॉन्च करेंगे.
क्या वैक्सीन सेफ है
पूनावाला ने कहा कि सभी टीके के कुछ साइड-इफेक्ट्स होते हैं, लेकिन चिंता की बात नहीं है. ट्रायल के दौरान कम संख्या में लोगों ने साइड इफेक्ट का अनुभव किया. हल्का बुखार, गले में खराश या हल्का सिरदर्द हो सकता है जो दो दिनों तक रहता है.अदार पूनावाला ने समझाया कि कोविड -19 का टीका इस बात की गारंटी नहीं देता कि किसी व्यक्ति को बीमारी नहीं होगी, बल्कि वो यह सुनिश्चित करता है कि लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होंगे, जिससे कि मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़े. उन्होंने बताया कि हमें यह समझना महत्वपूर्ण है कि यदि आप टीका लगवा लेते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कोरोना वायरस नहीं होगा.

कैसे बनती है वैक्सीन?
अदार पूनावाला पैकेजिंग प्रक्रिया को दिखाने के लिए हमें फैक्ट्री के अंदर लेकर गए, जो पूरी तरह से स्वचालित है. खाली शीशियों को पहले एक उच्च दबाव वाले पानी के जेट के नीचे धोया जाता है.उन्होंने कहा कि प्रदूषण की संभावनाओं को कम करने के लिए हमने मानवीय हस्तक्षेप को कम से कम किया है. टीका प्रक्रिया शुरू से अंत तक मानव संपर्क में नहीं आता है. धोने के बाद, शीशियों को वैक्सीन से भर दिया जाता है. फिर एक अन्य मशीन शीशियों पर सील लगाती है और एल्युमिनियम कैप के साथ शीशियों को बंद कर दिया जाता है. भरी हुई शीशियां स्क्रीनिंग प्रक्रिया के लिए जाती हैं. स्क्रीनिंग मशीन एक सख्त मानक के आधार पर स्वीकृत और अस्वीकृत शीशियों को छांटती है.

वैक्सीन की डोज कितनी होगी?
पूनावाला ने बताया कि एक व्यक्ति को दो डोज की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि विभिन्न ट्रायल के परिणामों से संकेत मिलता है कि दो खुराक के बीच दो से तीन महीने का गैप होना चाहिए.अदार पूनावाला ने कहा कि हम प्रति मिनट 5,000 शीशियों को भर रहे हैं और यह गति फरवरी में दोगुनी होने जा रही है. एक शीशी में 10 डोज होती हैं. एक बार जब शीशी खुल गई तो 4 से 5 घंटे में उसका इस्तेमाल करना होता है. वैक्सीन की लगभग 50 मिलियन खुराक पहले ही तैयार कर ली गई है.
वैक्सीन स्टोर कैसे होती है?
कोविशील्ड शीशियों को 2 डिग्री सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर स्टोर करने की आवश्यकता होती है. संस्थान में एक बड़े स्टोरेज की सुविधा है.
वितरण को लेकर क्या योजना है?

अदार पूनावाला ने बताया कि शुरू में हमने आपातकालीन उपयोग के लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, जिसमें सरकार पहले जरूरी सेवा से जुड़े श्रमिकों को वैक्सीन प्रदान करेगी. एक बार जब पहला फेज खत्म हो जाएगा तो उसके बाद सामान्य वितरण का लाइसेंस मिल जाएगा. वैक्सीन मार्च या अप्रैल तक संभवतः केमिस्ट और अन्य निजी अस्पतालों के माध्यम से आम जनता के लिए उपलब्ध होगी. पूनावाला ने कहा कि उनकी कंपनी वैक्सीन को निष्पक्ष तरीके से वितरित करने का प्रयास करेगी ताकि यह बड़ी संख्या में लोगों तक जल्दी पहुंचे. उन्होंने कहा कि हम कई कॉरपोरेट घरानों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं, जो अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए वैक्सीन खरीदना चाहते हैं ताकि वे सुरक्षित रूप से काम फिर से शुरू कर सकें.

वैक्सीन की कीमत क्या होगी
सीरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन की दो अलग-अलग दरें निर्धारित की हैं. एक भारत सरकार के लिए और दूसरी निजी क्षेत्र के लिए.
भारत सरकार के लिए, इसकी कीमत लगभग 3 अमेरिकी डॉलर प्रति डोज होगी. वहीं, निजी बाजार के लिए इसकी कीमत लगभग 700-800 रुपये होगी.

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