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अण्णा हजारे किसान आंदोलन में कूदेंगे,दिल्ली कूच से पहले भाजपा के हाथ पांव फूले

पुणे-रालेगण सिद्धि-वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली जाकर केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने का फैसला किया है। इसलिए भाजपा में हलचल मची हुई है।भाजपा के वरिष्ठ नेता हरिभाऊ बागडे रालेगण सिद्धि गए और अन्ना के साथ चर्चा की। वर्तमान में चर्चाएं चल रही हैं कि ये बैठकें अन्ना के आंदोलन के डर से शुरू की गई थी्ं। पंजाब के किसान कल रालेगण सिद्धि आए थे। किसानों ने पिटाई कर अन्ना हजारे के सामने नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने तब अन्ना के साथ चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने शुरू से ही किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था और प्रदर्शनकारियों को ताकत देने के लिए दिल्ली आने का वादा किया था।
इसलिए अगर अन्ना केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करते हैं जो पहले से ही किसानों के आंदोलन के कारण पहले ही केंद्र सरकार सांसत में है,तो दुविधा होने की संभावना है। अगर अन्ना दिल्ली में आंदोलन करते हैं, तो यह आंदोलन और अधिक तीव्र होगा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष,विधायक हरिभाऊ राठौड़ ने आज अन्ना से मुलाकात की। करीब डेढ़ घंटे तक दरवाजा बंद रहा। सूत्रों ने कहा कि कृषि अधिनियम के अनुसार बैठक के दौरान अधिक विचार-विमर्श किया गया। हालांकि,अन्ना और बागडे ने यात्रा पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पूरा देश देख रहा है कि अन्ना क्या अंतिम निर्णय लेते है
अन्ना को एक कानून पुस्तक उपहार
हरिभाऊ दोपहर 1 बजे के बीच रालेगण सिद्धि आए और अन्ना के साथ डेढ़ घंटे तक चर्चा हुई्। इस समय अन्ना को मराठी भाषा में कृषि कानून पर एक पुस्तक प्रस्तुत की गई थी। इस समय राज्यसभा सांसद डॉ. भागवत कराड, पूर्व जिला अध्यक्ष प्रो. भानुदास बेयर्ड और सुनील थोरात भी उपस्थित थे। सूत्रों ने कहा कि नेताओं ने अन्ना से भूख हड़ताल पर जाने का फैसला नहीं करने का अनुरोध किया था। अन्ना का एक दिन का उपवास किया है।

8 दिसंबर को दिल्ली में किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया था। उस समय अन्ना हजारे रालेगण सिद्धि में किसानों के आंदोलन के समर्थन में एक दिवसीय सांकेतिक उपवास पर गए थे। उस समय अन्ना ने मांग की थी कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द किसानों के आंदोलन को हल करे। भले ही केंद्र सरकार पहले भी दो बार लिखित आश्वासन दे चुकी है, लेकिन उसने इसका अनुपालन नहीं किया है। केंद्र सरकार किसानों को धोखा दे रही है। किसानों के इस आंदोलन से समस्या हल नहीं हुई्।

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