ग्रामपंचायत,नगरपालिका,महानगरपालिका में नियम लागू,आर्किटेक्ट के डिजाइन को मान्यता
पिंपरी-पिंपरी चिंचवड शहर की जनता जिनको अपना घर बनाना है लेकिन महानगरपालिका के बांधकाम परमिशन न मिलने के कारण घर नहीं बना पा रहे है ऐसे लोगों के लिए बडी खुशखबरी है। राज्य सरकार ने नियम बनाकर अध्यादेश(जीआर) जारी किया है कि अब 1500 स्के.फुट से लेकर 3000 स्के्र.फुट तक के एरिया में बांधकाम करने के लिए अब महानगरपालिका बांधकाम विभाग की अनुमति की आवश्यकता नहीं। यह नियम ग्रामपंचायत,नगरपालिका,महानगरपालिका सभी जगह लागू हो गया है। छोटे भूस्वामियों के लिए एक बडी राहत होगी। पालिका भवन में चक्कर लगाने की जरुरत नहीं,किसी अधिकारी की पैलागन करने की अब जरुरत नहीं। एक आर्किटेक्ट से नक्शा बनाओ और बांधकाम शुरु कर दो। राज्य सरकार द्धारा हाल ही में अनुमोदित यूनिफाइड डीसी नियम में ऐसा प्रावधान किया है।
छोटे भूमि मालिकों को पालिका बांधकाम विभाग के चक्कर काटने और पैसा-समय बर्बादी के लिए बड़ी राहत देने का प्रयास किया गया है। इससे पहले आर्किटेक्ट को राज्य सरकार द्वारा अपने जोखिम पर 200 वर्ग मीटर या 2 गुंठे तक के निर्माण की अनुमति दी गई थी। राज्य सरकार द्वारा एक स्वतंत्र आदेश जारी किया गया था। लेकिन उन्हें लागू नहीं किया गया। अब हालांकि राज्य सरकार ने सभी जिलों के लिए एकीकृत डीसी नियम में इस प्रावधान को शामिल किया है। इसलिए यह दो के बजाय तीन गुंठा तक के निर्माण की अनुमति के लिए पालिका के अधिकार को कम करके आर्किटेक्ट को दिया गया है।
डेढ़ सौ वर्ग मीटर,यानी डेढ़ गुंठे तक ग्राऊंड अधिक निर्धारित मजला तक सीमित कर दिया गया है। उसके लिए पालिका जाने की जरूरत नहीं है। हालांकि पालिका द्वारा आर्किटेक्ट के माध्यम से निर्माण योजना तैयार करने और नियमानुसार विकास शुल्क का भुगतान करने के बाद चालान जारी किया जाएगा। उसी अनुमति का उपयोग निर्माण के लिए किया जा सकता है। डेढ़ गुंठा के ऊपर और भीतर के निर्माण की योजना तैयार करने और विकास शुल्क का भुगतान करने के बाद बांधकाम विभाग द्वारा किसी भी निरीक्षण के बिना अनुमति दी जाएगी। इतना ही नहीं तीन गुंठों तक की जाँच के लिए आवेदन करने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा। नया प्रावधान वास्तुकार को निर्माण योजनाओं,कार्य और पूर्णता के साथ-साथ अधिभोग प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार दिया है। इसलिए अनुमति के लिए मनपा की दहलीज तक जाने की अब कोई आवश्यकता नही्ं। केवल पालिका की तिजोरी में निर्माण विकास शुल्क भरना अनिवार्य है।